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Acts 1 (IRVHI) Indian Reviced Version - Hindi

1 {प्रस्तावना} PS हे थियुफिलुस, मैंने पहली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु आरम्भ से करता और सिखाता रहा,
2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया गया,
3 और यीशु के दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह प्रेरितों को दिखाई देता रहा, और परमेश्‍वर के राज्य की बातें करता रहा। PS
4 {पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा} PS और चेलों से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, “यरूशलेम को छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की प्रतीक्षा करते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो। (लूका 24:49)
5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।” (मत्ती 3:11) PEPS
6 अतः उन्होंने इकट्ठे होकर उससे पूछा, “हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्राएल का राज्य पुनः स्थापित करेगा?”
7 उसने उनसे कहा, “उन समयों या कालों को जानना, जिनको पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।
8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे*; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे।” PS
9 {यीशु का स्वर्गारोहण} PS यह कहकर वह उनके देखते-देखते ऊपर उठा लिया गया, और बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। (भज. 47:5)
10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तब देखो, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहने हुए उनके पास खड़े हुए।
11 और कहने लगे, “हे गलीली पुरुषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।” (1 थिस्स. 4:16) PS
12 {सामूहिक प्रार्थना} PS तब वे जैतून नामक पहाड़ से जो यरूशलेम के निकट एक सब्त के दिन की दूरी पर है, यरूशलेम को लौटे।
13 और जब वहाँ पहुँचे तो वे उस अटारी पर गए, जहाँ पतरस, यूहन्ना, याकूब, अन्द्रियास, फिलिप्पुस, थोमा, बरतुल्मै, मत्ती, हलफईस का पुत्र याकूब, शमौन जेलोतेस और याकूब का पुत्र यहूदा रहते थे।
14 ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर* प्रार्थना में लगे रहे। PS
15 {एक नये प्रेरित का चुनाव} PS और उन्हीं दिनों में* पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्ति के लगभग इकट्ठे थे, खड़ा होकर कहने लगा।
16 “हे भाइयों, अवश्य था कि पवित्रशास्त्र का वह लेख पूरा हो, जो पवित्र आत्मा ने दाऊद के मुख से यहूदा के विषय में जो यीशु के पकड़ने वालों का अगुआ था, पहले से कहा था। (भज. 41:9) PEPS
17 क्योंकि वह तो हम में गिना गया, और इस सेवकाई में भी सहभागी हुआ।
18 (उसने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया; और सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उसकी सब अंतड़ियाँ निकल गई।
19 और इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए, यहाँ तक कि उस खेत का नाम उनकी भाषा में ‘हकलदमा’ अर्थात् ‘लहू का खेत’ पड़ गया।) PEPS
20 क्योंकि भजन संहिता में लिखा है,
‘उसका घर उजड़ जाए,
और उसमें कोई बसे’
और ‘उसका पद कोई दूसरा ले ले।’ (भज. 69:25, भज. 109:8) PEPS
21 इसलिए जितने दिन तक प्रभु यीशु हमारे साथ आता जाता रहा, अर्थात् यूहन्ना के बपतिस्मा से लेकर उसके हमारे पास से उठाए जाने तक, जो लोग बराबर हमारे साथ रहे,
22 उचित है कि उनमें से एक व्यक्ति हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए।”
23 तब उन्होंने दो को खड़ा किया, एक यूसुफ को, जो बरसब्बास कहलाता है, जिसका उपनाम यूस्तुस है, दूसरा मत्तियाह को। PEPS
24 और यह कहकर प्रार्थना की, “हे प्रभु, तू जो सब के मन को जानता है, यह प्रगट कर कि इन दोनों में से तूने किस को चुना है,
25 कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले, जिसे यहूदा छोड़कर अपने स्थान को गया।”
26 तब उन्होंने उनके बारे में चिट्ठियाँ डाली, और चिट्ठी मत्तियाह के नाम पर निकली, अतः वह उन ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया। PE