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1. मैंने अपने मन में कहा, “मुझे मनो विनोद करना चाहिए। मुझे हर वस्तु का जितना रस मैं ले सकूँ, उतना लेना चाहिय।” किन्तु मैंने जाना कि यह भी व्यर्थ है।
1. I H589 said H559 in mine heart H3820 , Go to H1980 now H4994 , I will prove H5254 thee with mirth H8057 , therefore enjoy H7200 pleasure H2896 : and, behold H2009 , this H1931 also H1571 is vanity H1892 .
2. हर समय हँसते रहना भी मूर्खता है। मनो विनोद से मेरा कोई भला नहीं हो सका। PEPS
2. I said H559 of laughter H7814 , It is mad H1984 : and of mirth H8057 , What H4100 doeth H6213 it H2090 ?
3. सो मैंने निश्चय किया कि मैं अपनी देह को दाखमधु से भर लूँ यद्यपि मेरा मस्तिष्क मुझे अभी ज्ञान की राह दिखा रहा था। मैंने यह मूर्खता पूर्ण आचरण किया, क्योंकि मैं आनन्द का कोई मार्ग ढूँढना चाहता था। मैं चाहता था कि लोगों के लिये अपने जीवन के थोड़े से दिनों में क्या करना उत्तम है, इसे खोज लूँ। क्या कड़ी मेहनत से सच्चा आनन्द मिलता है? PS
3. I sought H8446 in mine heart H3820 to give H4900 H853 myself H1320 unto wine H3196 , yet acquainting H5090 mine heart H3820 with wisdom H2451 ; and to lay hold H270 on folly H5531 , till H5704 H834 I might see H7200 what H335 was that H2088 good H2896 for the sons H1121 of men H120 , which H834 they should do H6213 under H8478 the heaven H8064 all H4557 the days H3117 of their life H2416 .
4. फिर मैंने बड़े—बड़े काम करने शुरू किये। मैंने अपने लिये भवन बनवाएँ और अँगूर के बाग लगवाए।
4. I made me great H1431 works H4639 ; I built H1129 me houses H1004 ; I planted H5193 me vineyards H3754 :
5. मैंने बगीचे लगवाएँ और बाग बनवाए। मैंने सभी तरह के फलों के पेड़ लगवाये।
5. I made H6213 me gardens H1593 and orchards H6508 , and I planted H5193 trees H6086 in them of all H3605 kind of fruits H6529 :
6. मैंने अपने लिये पानी के तालाब बनवाए और फिर इन तालाबों के पानी को मैं अपने बढ़ते पेड़ों को सींचने के काम में लाने लगा।
6. I made H6213 me pools H1295 of water H4325 , to water H8248 therewith H4480 the wood H3293 that bringeth forth H6779 trees H6086 :
7. मैंने दास और दासियाँ खरीदीं और फिर मेरे घर में उत्पन्न हुए दास भी थे। मैंने बड़ी बड़ी वस्तुओं का स्वामी बन गया। मेरे पास झुँड के झुँड पशु और भेड़ों के रेवड़ थे। यरूशलेम में किसी भी व्यक्ति के पास जितनी वस्तुएँ थीं, मेरे पास उससे भी अधिक वस्तुएँ थीं। PEPS
7. I got H7069 me servants H5650 and maidens H8198 , and had H1961 servants born H1121 in my house H1004 ; also H1571 I had H1961 great H7235 possessions H4735 of great H1241 and small cattle H6629 above all H4480 H3605 that were H7945 H1961 in Jerusalem H3389 before H6440 me:
8. मैंने अपने लिये चाँदी सोना भी जमा किया। मैंने राजाओं और उनके देशों से भी खजाने एकत्र किये। मेरे पास बहुत सी वेश्याएँ थीं। PEPS
8. I gathered H3664 me also H1571 silver H3701 and gold H2091 , and the peculiar treasure H5459 of kings H4428 and of the provinces H4082 : I got H6213 me men singers H7891 and women singers H7891 , and the delights H8588 of the sons H1121 of men H120 , as musical instruments H7705 H7705 , and that of all sorts.
9. मैं बहुत धनवान और प्रसिद्ध हो गया। मुझसे पहले यरूशलेम में जो भी कोई रहता था, मैं उससे अधिक महान था। मेरी बुद्धि सदा मेरी सहायता किया करती थी।
9. So I was great H1431 , and increased more H3254 than all H4480 H3605 that were H7945 H1961 before H6440 me in Jerusalem H3389 : also H637 my wisdom H2451 remained H5975 with me.
10. मेरी आँखों ने जो कुछ देखा और चाहा उसे मैंने प्राप्त किया। मैं जो कुछ करता, मेरा मन सदा उससे प्रसन्न रहा करता और यह प्रसन्नता मेरे कठिन परिश्रम का प्रतिफल थीं। PEPS
10. And whatsoever H3605 H834 mine eyes H5869 desired H7592 I kept H680 not H3808 from H4480 them , I withheld H4513 not H3808 H853 my heart H3820 from any H4480 H3605 joy H8057 ; for H3588 my heart H3820 rejoiced H8056 in all H4480 H3605 my labor H5999 : and this H2088 was H1961 my portion H2506 of all H4480 H3605 my labor H5999 .
11. किन्तु मैंने जो कुछ किया था जब उस पर दृष्टि डाली और अपने किये कठिन परिश्रम के बारे में विचार किया तो मुझे लगा यह सब समय की बर्बादी थी! यह ऐसा ही था जैसा वायु को पकड़ना। इस जीवन में हम जो कुछ श्रम करते हैं उस सबकुछ का उचित परिणाम हमें नहीं मिलता। PS
11. Then I H589 looked H6437 on all H3605 the works H4639 that my hands had wrought H7945 H6213 H3027 , and on the labor H5999 that I had labored H7945 H5998 to do H6213 : and, behold H2009 , all H3605 was vanity H1892 and vexation H7469 of spirit H7307 , and there was no H369 profit H3504 under H8478 the sun H8121 .
12. {हो सकता है इसका उत्तर बुद्धि हो} PS जितना एक राजा कर सकता है, उससे अधिक कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता। तुम जो भी कुछ करना चाह सकते हो, वह सबकुछ कोई राजा अब तक कर भी चुका होगा। मेरी समझ में गया कि एक राजा तक जिन कामों को करता है, वे सब भी व्यर्थ हैं। सो मैंने फिर बुद्धिमान बनने, मूर्ख बनने और सनकीपन के कामों को करने के बारे में सोचना आरम्भ किया।
12. And I H589 turned H6437 myself to behold H7200 wisdom H2451 , and madness H1947 , and folly H5531 : for H3588 what H4100 can the man H120 do that cometh H7945 H935 after H310 the king H4428 ? even H853 that which H834 hath been already H3528 done H6213 .
13. मैंने देखा कि बुद्धि मूर्खता से उसी प्रकार उत्तम है जिस प्रकार अँधेरे से प्रकाश उत्तम होता है।
13. Then I H589 saw H7200 that H7945 H3426 wisdom H2451 excelleth H3504 folly H4480 H5531 , as far as light H216 excelleth H3504 darkness H4480 H2822 .
14. यह वैसे ही है जैसे: एक बुद्धिमान व्यक्ति, वह कहाँ जा रहा है, उसे देखने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग, अपनी आँखों की तरह करता है। किन्तु एक मूर्ख व्यक्ति उस व्यक्ति के समान है जो अंधेरे में चल रहा है। PEPS किन्तु मैंने यह भी देखा कि मूर्ख और बुद्धिमान दोनों का अंत एक ही प्रकार से होता हैं। दोनों ही अंत में मृत्यु को प्राप्त करते हैं।
14. The wise man H2450 's eyes H5869 are in his head H7218 ; but the fool H3684 walketh H1980 in darkness H2822 : and I myself H589 perceived H3045 also H1571 that one event H7945 H4745 H259 happeneth H7136 to H854 them all H3605 .
15. अपने मन में मैंने सोचा, “किसी मूर्ख व्यक्ति के साथ जो घटता है वह मेरे साथ भी घटेगा सो इतना बुद्धिमान बनने के लिये इतना कठिन परिश्रम मैंने क्यों किया?” अपने आपसे मैंने कहा, “बुद्धिमान बनना भी बेकार है।”
15. Then said H559 I H589 in my heart H3820 , As it happeneth H4745 to the fool H3684 , so it happeneth H7136 even H1571 to me ; and why H4100 was I H589 then H227 more H3148 wise H2449 ? Then I said H1696 in my heart H3820 , that this H2088 also H7945 H1571 is vanity H1892 .
16. बुद्धिमान व्यक्ति और मूर्ख व्यक्ति दोनों ही मर जायेंगे और लोग सदा के लिये तो बुद्धिमान व्यक्ति को याद रखेंगे और ही किसी मूर्ख व्यक्ति को। उन्होंने जो कुछ किया था, लोग उसे आगे चल कर भुला देंगे। इस प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति और मूर्ख व्यक्ति वास्तव में एक जैसे ही हैं। क्या सच्चा आनन्द जीवन में है? PS
16. For H3588 there is no H369 remembrance H2146 of the wise H2450 more than H5973 of the fool H3684 forever H5769 ; seeing that which now H7945 H3528 is in the days H3117 to come H935 shall all H3605 be forgotten H7911 . And how H349 dieth H4191 the wise H2450 man ? as H5973 the fool H3684 .
17. इसके कारण मुझे जीवन से घृणा हो गई। इस विचार से मैं बहुत दुःखी हुआ कि इस जीवन में जो कुछ है सब व्यर्थ है। बिल्कुल वैसा ही जैसे वायु को पकड़ने की कोशिश करना। PEPS
17. Therefore I hated H8130 H853 life H2416 ; because H3588 the work H4639 that is wrought H7945 H6213 under H8478 the sun H8121 is grievous H7451 unto H5921 me: for H3588 all H3605 is vanity H1892 and vexation H7469 of spirit H7307 .
18. मैंने जो कठिन परिश्रम किया था, उससे घृणा करना आरम्भ कर दिया। मैंने देखा कि वे लोग जो मेरे बाद जीवित रहेंगे उन वस्तुओं को ले लेंगे जिनके लिये मैंने कठोर परिश्रम किया था। मैं अपनी उन वस्तुओं को अपने साथ नहीं ले जा सकूँगा।
18. Yea, I H589 hated H8130 H853 all H3605 my labor H5999 which I H7945 H589 had taken H6001 under H8478 the sun H8121 : because I should leave H7945 H5117 it unto the man H120 that shall be H7945 H1961 after H310 me.
19. जिन वस्तुओं के लिये मैंने मन लगाकर कठिन परिश्रम किया था उन सभी वस्तुओं पर किसी दूसरे ही व्यक्ति का नियन्त्रण होगा और मैं तो यह भी नहीं जानता कि वह व्यक्ति बुद्धिमान होगा या मूर्ख। पर यह सब भी तो अर्थहीन ही है। PEPS
19. And who H4310 knoweth H3045 whether he shall be H1961 a wise H2450 man or H176 a fool H5530 ? yet shall he have rule H7980 over all H3605 my labor H5999 wherein I have labored H7945 H5998 , and wherein I have showed myself wise H7945 H2449 under H8478 the sun H8121 . This H2088 is also H1571 vanity H1892 .
20. इसलिए मैंने जो भी कठिन परिश्रम किया था, उस सब के विषय में मैं बहुत दुःखी हुआ।
20. Therefore I H589 went about H5437 to cause H853 my heart H3820 to despair H2976 of H5921 all H3605 the labor H5999 which I took H7945 H5998 under H8478 the sun H8121 .
21. एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, अपने ज्ञान और अपनी चतुराई का प्रयोग करते हुए कठिन परिश्रम कर सकता हैं। किन्तु वह व्यक्ति तो मर जायेगा और जिन वस्तुओं के लिये उस व्यक्ति ने कठिन परिश्रम किया था, वे किसी दूसरे ही व्यक्ति को मिल जायेंगी। उन व्यक्तियों ने वस्तुओं के लिये कोई काम तो नहीं किया था, किन्तु उन्हें वह सभी कुछ हासिल हो जायेगा। इससे मुझे बहुत दुःख होता है। यह न्यायपूर्ण तो नहीं है। यह तो विवेकपूर्ण नहीं है। PEPS
21. For H3588 there is H3426 a man H120 whose labor H7945 H5999 is in wisdom H2451 , and in knowledge H1847 , and in equity H3788 ; yet to a man H120 that hath not H7945 H3808 labored H5998 therein shall he leave H5414 it for his portion H2506 . This H2088 also H1571 is vanity H1892 and a great H7227 evil H7451 .
22. अपने जीवन में सारे परिश्रम और संघर्ष के बाद आखिर एक मनुष्य को वास्तव में क्या मिलता है?
22. For H3588 what H4100 hath H1933 man H120 of all H3605 his labor H5999 , and of the vexation H7475 of his heart H3820 , wherein he H7945 H1931 hath labored H6001 under H8478 the sun H8121 ?
23. अपने सारे जीवन में वह कठिन परिश्रम करता रहा किन्तु पीड़ा और निराशा के अतिरिक्त उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा। रात के समय भी मनुष्य का मन विश्राम नहीं पाता। यह सब भी अर्थहीन ही है। PEPS
23. For H3588 all H3605 his days H3117 are sorrows H4341 , and his travail H6045 grief H3708 ; yea H1571 , his heart H3820 taketh not H3808 rest H7901 in the night H3915 . This H2088 is also H1571 vanity H1892 .
24. (24-25) जीवन का जितना आनन्द मैंने लिया है क्या कोई भी ऐसा व्यक्ति और है जिसने मुझे से अधिक जीवन का आनन्द लेने का प्रयास किया हो? नहीं! मुझे जो ज्ञान हुआ है वह यह है: कोई व्यक्ति जो अच्छे से अच्छा कर सकता है वह है खाना, पीना और उस कर्म का आनन्द लेना जो उसे करना चाहिये। मैंने यह भी समझा है कि यह सब कुछ परमेश्वर से ही प्राप्त होता है।
24. There is nothing H369 better H2896 for a man H120 , than that he should eat H7945 H398 and drink H8354 , and that he should make his soul H7200 H853 H5315 good H2896 in his labor H5999 . This H2090 also H1571 I H589 saw H7200 , that H3588 it H1931 was from the hand H4480 H3027 of God H430 .
25. यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को प्रसन्न करता है तो परमेश्वर उसे बुद्धि, ज्ञान और आनन्द प्रदान करता है। किन्तु वह व्यक्ति जो उसे अप्रसन्न करता है, वह तो बस वस्तुओं के संचय और उन्हें ढोने का ही काम करता रहेगा। परमेश्वर बुरे व्यक्तियों से लेकर अच्छे व्यक्तियों को देता रहता है। इस प्रकार यह समग्र कर्म व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना। PE
25. For H3588 who H4310 can eat H398 , or who H4310 else can hasten H2363 hereunto , more H2351 than H4480 I?
26.
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