|
|
1. अय्यूब ने कहा, “हम सभी मानव है हमारा जीवन छोटा और दु:खमय है!
|
1. Man H120 that is born H3205 of a woman H802 is of few H7116 days H3117 , and full H7649 of trouble H7267 .
|
2. मनुष्य का जीवन एक फूल के समान है जो शीघ्र उगता है और फिर समाप्त हो जाता है। मनुष्य का जीवन है जैसे कोई छाया जो थोड़ी देर टिकती है और बनी नहीं रहती।
|
2. He cometh forth H3318 like a flower H6731 , and is cut down H5243 : he fleeth H1272 also as a shadow H6738 , and continueth H5975 not H3808 .
|
3. हे परमेश्वर, क्या तू मेरे जैसे मनुष्य पर ध्यान देगा क्या तू मेरा न्याय करने मुझे सामने लायेगा
|
3. And H637 dost thou open H6491 thine eyes H5869 upon H5921 such a one H2088 , and bringest H935 me into judgment H4941 with H5973 thee?
|
4. “किसी ऐसी वस्तु से जो स्वयं अस्वच्छ है स्वच्छ वस्तु कौन पा सकता है कोई नहीं।
|
4. Who H4310 can bring H5414 a clean H2889 thing out of an unclean H4480 H2931 ? not H3808 one H259 .
|
5. मनुष्य का जीवन सीमित है। मनुष्य के महीनों की संख्या परमेश्वर ने निश्चित कर दी है। तूने मनुष्य के लिये जो सीमा बांधी है, उसे कोई भी नहीं बदल सकता।
|
5. Seeing H518 his days H3117 are determined H2782 , the number H4557 of his months H2320 are with H854 thee , thou hast appointed H6213 his bounds H2706 that he cannot H3808 pass H5674 ;
|
6. सो परमेश्वर, तू हम पर आँख रखना छोड़ दे। हम लोगों को अकेला छोड़ दे। हमें अपने कठिन जीवन का मजा लेने दे, जब तक हमारा समय नहीं समाप्त हो जाता।
|
6. Turn H8159 from H4480 H5921 him , that he may rest H2308 , till H5704 he shall accomplish H7521 , as a hireling H7916 , his day H3117 .
|
7. “किन्तु यदि वृक्ष को काट गिराया जाये तो भी आशा उसे रहती है कि वह फिर से पनप सकता है, क्योंकि उसमें नई नई शाखाऐं निकलती रहेंगी।
|
7. For H3588 there is H3426 hope H8615 of a tree H6086 , if H518 it be cut down H3772 , that it will sprout H2498 again H5750 , and that the tender H3127 branch thereof will not H3808 cease H2308 .
|
8. चाहे उसकी जड़े धरती में पुरानी क्यों न हो जायें और उसका तना चाहे मिट्टी में गल जाये।
|
8. Though H518 the root H8328 thereof wax old H2204 in the earth H776 , and the stock H1503 thereof die H4191 in the ground H6083 ;
|
9. किन्तु जल की गंध मात्र से ही वह नई बढ़त देता है और एक पौधे की तरह उससे शाखाऐं फूटती हैं।
|
9. Yet through the scent H4480 H7381 of water H4325 it will bud H6524 , and bring forth H6213 boughs H7105 like H3644 a plant H5194 .
|
10. किन्तु जब बलशाली मनुष्य मर जाता है उसकी सारी शक्ति खत्म हो जाती है। जब मनुष्य मरता है वह चला जाता है।
|
10. But man H1397 dieth H4191 , and wasteth away H2522 : yea, man H120 giveth up the ghost H1478 , and where H346 is he?
|
11. जैसे सागर के तट से जल शीघ्र लौट कर खो जाता है और जल नदी का उतरता है, और नदी सूख जाती है।
|
11. As the waters H4325 fail H235 from H4480 the sea H3220 , and the flood H5104 decayeth H2717 and drieth up H3001 :
|
12. उसी तरह जब कोई व्यक्ति मर जाता है वह नीचे लेट जाता है और वह महानिद्रा से फिर खड़ा नहीं होता। वैसे ही वह व्यक्ति जो प्राण त्यागता है कभी खड़ा नहीं होता अथवा चिर निद्रा नहीं त्यागता जब तक आकाश विलुप्त नहीं होंगे।
|
12. So man H376 lieth down H7901 , and riseth H6965 not H3808 : till H5704 the heavens H8064 be no more H1115 , they shall not H3808 awake H6974 , nor H3808 be raised H5782 out of their sleep H4480 H8142 .
|
13. “काश! तू मुझे मेरी कब्र में मुझे छुपा लेता जब तक तेरा क्रोध न बीत जाता। फिर कोई समय मेरे लिये नियुक्त करके तू मुझे याद करता।
|
13. O that H4310 thou wouldest H5414 hide H6845 me in the grave H7585 , that thou wouldest keep me secret H5641 , until H5704 thy wrath H639 be past H7725 , that thou wouldest appoint H7896 me a set time H2706 , and remember H2142 me!
|
14. यदि कोई मनुष्य मर जाये तो क्या जीवन कभी पायेगा मैं तब तक बाट जोहूँगा, जब तक मेरा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता और जब तक मैं मुक्त न हो जाऊँ।
|
14. If H518 a man H1397 die H4191 , shall he live H2421 again ? all H3605 the days H3117 of my appointed time H6635 will I wait H3176 , till H5704 my change H2487 come H935 .
|
15. हे परमेश्वर, तू मुझे बुलायेगा और मैं तुझे उत्तर दूँगा। तूने मुझे रचा है, सो तू मुझे चाहेगा।
|
15. Thou shalt call H7121 , and I H595 will answer H6030 thee : thou wilt have a desire H3700 to the work H4639 of thine hands H3027 .
|
16. फिर तू मेरे हर चरण का जिसे मैं उठाता हूँ, ध्यान रखेगा और फिर तू मेरे उन पापों पर आँख रखेगा, जिसे मैंने किये हैं।
|
16. For H3588 now H6258 thou numberest H5608 my steps H6806 : dost thou not H3808 watch H8104 over H5921 my sin H2403 ?
|
17. काश! मेरे पाप दूर हो जाएँ। किसी थैले में उन्हें बन्द कर दिया जाये और फिर तू मेरे पापों को ढक दे।
|
17. My transgression H6588 is sealed up H2856 in a bag H6872 , and thou sewest up H2950 H5921 mine iniquity H5771 .
|
18. “जैसे पर्वत गिरा करता है और नष्ट हो जाता है और कोई चट्टान अपना स्थान छोड़ देती है।
|
18. And surely H199 the mountain H2022 falling H5307 cometh to naught H5034 , and the rock H6697 is removed H6275 out of his place H4480 H4725 .
|
19. जल पत्थरों के ऊपर से बहता है और उन को घिस डालता है तथा धरती की मिट्टी को जल बहाकर ले जाती है। हे परमेश्वर, उसी तरह व्यक्ति की आशा को तू बहा ले जाता है।
|
19. The waters H4325 wear H7833 the stones H68 : thou washest away H7857 the things which grow H5599 out of the dust H6083 of the earth H776 ; and thou destroyest H6 the hope H8615 of man H582 .
|
20. तू एक बार व्यक्ति को हराता है और वह समाप्त हो जाता है। तू मृत्यु के रूप सा उसका मुख बिगाड़ देता है, और सदा सदा के लिये कहीं भेज देता है।
|
20. Thou prevailest H8630 forever H5331 against him , and he passeth H1980 : thou changest H8138 his countenance H6440 , and sendest him away H7971 .
|
21. यदि उसके पुत्र कभी सम्मान पाते हैं तो उसे कभी उसका पता नहीं चल पाता। यदि उसके पुत्र कभी अपमान भोगतें हैं, जो वह उसे कभी देख नहीं पाता है।
|
21. His sons H1121 come to honor H3513 , and he knoweth H3045 it not H3808 ; and they are brought low H6819 , but he perceiveth H995 it not H3808 of them H3926 .
|
22. वह मनुष्य अपने शरीर में पीड़ा भोगता है और वह केवल अपने लिये ऊँचे पुकारता है।” PE
|
22. But H389 his flesh H1320 upon H5921 him shall have pain H3510 , and his soul H5315 within H5921 him shall mourn H56 .
|