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1. लमूएल राजा के प्रभावशाली वचन, जो उसकी माता ने उसे सिखाए॥
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1. The words H1697 of king H4428 Lemuel H3927 , the prophecy H4853 that H834 his mother H517 taught H3256 him.
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2. हे मेरे पुत्र, हे मेरे निज पुत्र! हे मेरी मन्नतों के पुत्र!
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2. What H4100 , my son H1248 ? and what H4100 , the son H1248 of my womb H990 ? and what H4100 , the son H1248 of my vows H5088 ?
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3. अपना बल स्त्रियों को न देना, न अपना जीवन उनके वश कर देना जो राजाओं का पौरूष का जाती हैं।
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3. Give H5414 not H408 thy strength H2428 unto women H802 , nor thy ways H1870 to that which destroyeth H4229 kings H4428 .
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4. हे लमूएल, राजाओं का दाखमधु पीना उन को शोभा नहीं देता, और मदिरा चाहना, रईसों को नहीं फबता;
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4. It is not H408 for kings H4428 , O Lemuel H3927 , it is not H408 for kings H4428 to drink H8354 wine H3196 ; nor H176 for princes H7336 strong drink H7941 :
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5. ऐसा न हो कि वे पी कर व्यवस्था को भूल जाएं और किसी दु:खी के हक को मारें।
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5. Lest H6435 they drink H8354 , and forget H7911 the law H2710 , and pervert H8138 the judgment H1779 of any H3605 of the afflicted H1121 H6040 .
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6. मदिरा उस को पिलाओ जो मरने पर है, और दाखमधु उदास मन वालों को ही देना;
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6. Give H5414 strong drink H7941 unto him that is ready to perish H6 , and wine H3196 unto those that be of heavy H4751 hearts H5315 .
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7. जिस से वे पी कर अपनी दरिद्रता को भूल जाएं और अपने कठिन श्रम फिर स्मरण न करें।
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7. Let him drink H8354 , and forget H7911 his poverty H7389 , and remember H2142 his misery H5999 no H3808 more H5750 .
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8. गूंगे के लिये अपना मुंह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
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8. Open H6605 thy mouth H6310 for the dumb H483 in H413 the cause H1779 of all H3605 such as are appointed H1121 to destruction H2475 .
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9. अपना मुंह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर।
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9. Open H6605 thy mouth H6310 , judge H8199 righteously H6664 , and plead the cause H1777 of the poor H6041 and needy H34 .
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10. भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है।
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10. Who H4310 can find H4672 a virtuous H2428 woman H802 ? for her price H4377 is far H7350 above rubies H4480 H6443 .
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11. और उसे लाभ की घटी नहीं होती।
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11. The heart H3820 of her husband H1167 doth safely trust H982 in her , so that he shall have no H3808 need H2637 of spoil H7998 .
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12. वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन भला ही व्यवहार करती है।
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12. She will do H1580 him good H2896 and not H3808 evil H7451 all H3605 the days H3117 of her life H2416 .
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13. वह ऊन और सन ढूंढ़ ढूंढ़ कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है।
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13. She seeketh H1875 wool H6785 , and flax H6593 , and worketh H6213 willingly H2656 with her hands H3709 .
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14. वह व्यापार के जहाजों की नाईं अपनी भोजन वस्तुएं दूर से मंगवाती हैं।
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14. She is H1961 like the merchants H5503 ' ships H591 ; she bringeth H935 her food H3899 from afar H4480 H4801 .
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15. वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है और अपनी लौण्डियों को अलग अलग काम देती है।
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15. She riseth H6965 also while it is yet H5750 night H3915 , and giveth H5414 meat H2964 to her household H1004 , and a portion H2706 to her maidens H5291 .
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16. वह किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है और उसे मोल ले लेती है; और अपने परिश्रम के फल से दाख की बारी लगाती है।
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16. She considereth H2161 a field H7704 , and buyeth H3947 it : with the fruit H4480 H6529 of her hands H3709 she planteth H5193 a vineyard H3754 .
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17. वह अपनी कटि को बल के फेंटे से कसती है, और अपनी बाहों को दृढ़ बनाती है।
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17. She girdeth H2296 her loins H4975 with strength H5797 , and strengtheneth H553 her arms H2220 .
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18. वह परख लेती है कि मेरा व्यापार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता।
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18. She perceiveth H2938 that H3588 her merchandise H5504 is good H2896 : her candle H5216 goeth not out H3808 H3518 by night H3915 .
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19. वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है।
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19. She layeth H7971 her hands H3027 to the spindle H3601 , and her hands H3709 hold H8551 the distaff H6418 .
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20. वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है।
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20. She stretcheth out H6566 her hand H3709 to the poor H6041 ; yea , she reacheth forth H7971 her hands H3027 to the needy H34 .
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21. वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहिनते हैं।
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21. She is not H3808 afraid H3372 of the snow H4480 H7950 for her household H1004 : for H3588 all H3605 her household H1004 are clothed H3847 with scarlet H8144 .
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22. वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्ष्म सन और बैंजनी रंग के होते हैं।
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22. She maketh H6213 herself coverings of tapestry H4765 ; her clothing H3830 is silk H8336 and purple H713 .
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23. जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है।
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23. Her husband H1167 is known H3045 in the gates H8179 , when he sitteth H3427 among H5973 the elders H2205 of the land H776 .
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24. वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है; और व्योपारी को कमरबन्द देती है।
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24. She maketh H6213 fine linen H5466 , and selleth H4376 it ; and delivereth H5414 girdles H2289 unto the merchant H3669 .
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25. वह बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आने वाले काल के विषय पर हंसती है।
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25. Strength H5797 and honor H1926 are her clothing H3830 ; and she shall rejoice H7832 in time H3117 to come H314 .
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26. वह बुद्धि की बात बोलती है, और उस के वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं।
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26. She openeth H6605 her mouth H6310 with wisdom H2451 ; and in H5921 her tongue H3956 is the law H8451 of kindness H2617 .
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27. वह अपने घराने के चाल चलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती।
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27. She looketh well H6822 to the ways H1979 of her household H1004 , and eateth H398 not H3808 the bread H3899 of idleness H6104 .
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28. उसके पुत्र उठ उठकर उस को धन्य कहते हैं, उनका पति भी उठ कर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है:
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28. Her children H1121 arise up H6965 , and call her blessed H833 ; her husband H1167 also , and he praiseth H1984 her.
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29. बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभों में श्रेष्ट है।
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29. Many H7227 daughters H1323 have done H6213 virtuously H2428 , but thou H859 excellest H5927 H5921 them all H3605 .
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30. शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी।
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30. Favor H2580 is deceitful H8267 , and beauty H3308 is vain H1892 : but a woman H802 that feareth H3373 the LORD H3068 , she H1931 shall be praised H1984 .
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31. उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी॥
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31. Give H5414 her of the fruit H4480 H6529 of her hands H3027 ; and let her own works H4639 praise H1984 her in the gates H8179 .
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