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1. फिर एलीहू इस प्रकार और भी कहता गया,
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1. Elihu H453 spoke H6030 moreover , and said H559 ,
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2. कि क्या तू इसे अपना हक़ समझता है? क्या तू दावा करता है कि तेरा धर्म ईश्वर के धर्म से अधिक है?
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2. Thinkest H2803 thou this H2063 to be right H4941 , that thou saidst H559 , My righteousness H6664 is more than God H4480 H410 's?
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3. जो तू कहता है कि मुझे इस से क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक अन्तर है?
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3. For H3588 thou saidst H559 , What H4100 advantage H5532 will it be unto thee? and , What H4100 profit H3276 shall I have, if I be cleansed from my sin H4480 H2403 ?
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4. मैं तुझे और तेरे साथियों को भी एक संग उत्तर देता हूँ।
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4. I H589 will answer H7725 H4405 thee , and thy companions H7453 with H5973 thee.
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5. आकाश की ओर दृष्टि कर के देख; और आकाशमण्डल को ताक, जो तुझ से ऊंचा है।
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5. Look H5027 unto the heavens H8064 , and see H7200 ; and behold H7789 the clouds H7834 which are higher H1361 than H4480 thou.
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6. यदि तू ने पाप किया है तो ईश्वर का क्या बिगड़ता है? यदि तेरे अपराध बहुत ही बढ़ जाएं तौभी तू उसके साथ क्या करता है?
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6. If H518 thou sinnest H2398 , what H4100 doest H6466 thou against him? or if thy transgressions H6588 be multiplied H7231 , what H4100 doest H6213 thou unto him?
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7. यदि तू धमीं है तो उसको क्या दे देता है; वा उसे तेरे हाथ से क्या मिल जाता है?
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7. If H518 thou be righteous H6663 , what H4100 givest H5414 thou him? or H176 what H4100 receiveth H3947 he of thine hand H4480 H3027 ?
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8. तेरी दुष्टता का फल तुझ ऐसे ही पुरुष के लिये है, और तेरे धर्म का फल भी मनुष्य मात्र के लिये है।
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8. Thy wickedness H7562 may hurt a man H376 as thou H3644 art ; and thy righteousness H6666 may profit the son H1121 of man H120 .
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9. बहुत अन्धेर होने के कारण वे चिल्लाते हैं; और बलवान के बाहुबल के कारण वे दोहाई देते हैं।
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9. By reason of the multitude H4480 H7230 of oppressions H6217 they make the oppressed to cry H2199 : they cry out H7768 by reason of the arm H4480 H2220 of the mighty H7227 .
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10. तौभी कोई यह नहीं कहता, कि मेरा सृजने वाला ईश्वर कहां है, जो रात में भी गीत गवाता है,
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10. But none H3808 saith H559 , Where H346 is God H433 my maker H6213 , who giveth H5414 songs H2158 in the night H3915 ;
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11. और हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है?
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11. Who teacheth H502 us more than the beasts H4480 H929 of the earth H776 , and maketh us wiser H2449 than the fowls H4480 H5775 of heaven H8064 ?
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12. वे दोहाई देते हैं परन्तु कोई उत्तर नहीं देता, यह बुरे लोगों के घमण्ड के कारण होता है।
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12. There H8033 they cry H6817 , but none H3808 giveth answer H6030 , because H4480 H6440 of the pride H1347 of evil men H7451 .
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13. निश्चय ईश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता, और न सर्वशक्तिमान उन पर चित्त लगाता है।
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13. Surely H389 God H410 will not H3808 hear H8085 vanity H7723 , neither H3808 will the Almighty H7706 regard H7789 it.
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14. तो तू क्यों कहता है, कि वह मुझे दर्शन नहीं देता, कि यह मुक़द्दमा उसके साम्हने है, और तू उसकी बाट जोहता हुआ ठहरा है?
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14. Although H637 H3588 thou sayest H559 thou shalt not H3808 see H7789 him, yet judgment H1779 is before H6440 him ; therefore trust H2342 thou in him.
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15. परन्तु अभी तो उसने क्रोध कर के दण्ड नहीं दिया है, और अभिमान पर चित्त बहुत नहीं लगाया;
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15. But now H6258 , because H3588 it is not H369 so , he hath visited H6485 in his anger H639 ; yet he knoweth H3045 it not H3808 in great H3966 extremity H6580 :
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16. इस कारण अय्यूब व्यर्थ मुंह खोल कर अज्ञानता की बातें बहुत बनाता है।
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16. Therefore doth Job H347 open H6475 his mouth H6310 in vain H1892 ; he multiplieth H3527 words H4405 without H1097 knowledge H1847 .
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