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7

1. फिर एलीहू इस प्रकार और भी कहता गया,
1. Elihu H453 spoke H6030 moreover , and said H559 ,
2. कि क्या तू इसे अपना हक़ समझता है? क्या तू दावा करता है कि तेरा धर्म ईश्वर के धर्म से अधिक है?
2. Thinkest H2803 thou this H2063 to be right H4941 , that thou saidst H559 , My righteousness H6664 is more than God H4480 H410 's?
3. जो तू कहता है कि मुझे इस से क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और होने में कौन सा अधिक अन्तर है?
3. For H3588 thou saidst H559 , What H4100 advantage H5532 will it be unto thee? and , What H4100 profit H3276 shall I have, if I be cleansed from my sin H4480 H2403 ?
4. मैं तुझे और तेरे साथियों को भी एक संग उत्तर देता हूँ।
4. I H589 will answer H7725 H4405 thee , and thy companions H7453 with H5973 thee.
5. आकाश की ओर दृष्टि कर के देख; और आकाशमण्डल को ताक, जो तुझ से ऊंचा है।
5. Look H5027 unto the heavens H8064 , and see H7200 ; and behold H7789 the clouds H7834 which are higher H1361 than H4480 thou.
6. यदि तू ने पाप किया है तो ईश्वर का क्या बिगड़ता है? यदि तेरे अपराध बहुत ही बढ़ जाएं तौभी तू उसके साथ क्या करता है?
6. If H518 thou sinnest H2398 , what H4100 doest H6466 thou against him? or if thy transgressions H6588 be multiplied H7231 , what H4100 doest H6213 thou unto him?
7. यदि तू धमीं है तो उसको क्या दे देता है; वा उसे तेरे हाथ से क्या मिल जाता है?
7. If H518 thou be righteous H6663 , what H4100 givest H5414 thou him? or H176 what H4100 receiveth H3947 he of thine hand H4480 H3027 ?
8. तेरी दुष्टता का फल तुझ ऐसे ही पुरुष के लिये है, और तेरे धर्म का फल भी मनुष्य मात्र के लिये है।
8. Thy wickedness H7562 may hurt a man H376 as thou H3644 art ; and thy righteousness H6666 may profit the son H1121 of man H120 .
9. बहुत अन्धेर होने के कारण वे चिल्लाते हैं; और बलवान के बाहुबल के कारण वे दोहाई देते हैं।
9. By reason of the multitude H4480 H7230 of oppressions H6217 they make the oppressed to cry H2199 : they cry out H7768 by reason of the arm H4480 H2220 of the mighty H7227 .
10. तौभी कोई यह नहीं कहता, कि मेरा सृजने वाला ईश्वर कहां है, जो रात में भी गीत गवाता है,
10. But none H3808 saith H559 , Where H346 is God H433 my maker H6213 , who giveth H5414 songs H2158 in the night H3915 ;
11. और हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है?
11. Who teacheth H502 us more than the beasts H4480 H929 of the earth H776 , and maketh us wiser H2449 than the fowls H4480 H5775 of heaven H8064 ?
12. वे दोहाई देते हैं परन्तु कोई उत्तर नहीं देता, यह बुरे लोगों के घमण्ड के कारण होता है।
12. There H8033 they cry H6817 , but none H3808 giveth answer H6030 , because H4480 H6440 of the pride H1347 of evil men H7451 .
13. निश्चय ईश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता, और सर्वशक्तिमान उन पर चित्त लगाता है।
13. Surely H389 God H410 will not H3808 hear H8085 vanity H7723 , neither H3808 will the Almighty H7706 regard H7789 it.
14. तो तू क्यों कहता है, कि वह मुझे दर्शन नहीं देता, कि यह मुक़द्दमा उसके साम्हने है, और तू उसकी बाट जोहता हुआ ठहरा है?
14. Although H637 H3588 thou sayest H559 thou shalt not H3808 see H7789 him, yet judgment H1779 is before H6440 him ; therefore trust H2342 thou in him.
15. परन्तु अभी तो उसने क्रोध कर के दण्ड नहीं दिया है, और अभिमान पर चित्त बहुत नहीं लगाया;
15. But now H6258 , because H3588 it is not H369 so , he hath visited H6485 in his anger H639 ; yet he knoweth H3045 it not H3808 in great H3966 extremity H6580 :
16. इस कारण अय्यूब व्यर्थ मुंह खोल कर अज्ञानता की बातें बहुत बनाता है।
16. Therefore doth Job H347 open H6475 his mouth H6310 in vain H1892 ; he multiplieth H3527 words H4405 without H1097 knowledge H1847 .
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