Bible Language

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1. तब अय्यूब ने कहा,
1. But Job H347 answered H6030 and said H559 ,
2. निर्बल जन की तू ने क्या ही बड़ी सहायता की, और जिसकी बांह में सामर्थ्य नहीं, उसको तू ने कैसे सम्भाला है?
2. How H4100 hast thou helped H5826 him that is without H3808 power H3581 ? how savest H3467 thou the arm H2220 that hath no H3808 strength H5797 ?
3. निर्बुद्धि मनुष्य को तू ने क्या ही अच्छी सम्मति दी, और अपनी खरी बुद्धि कैसी भली भांति प्रगट की है?
3. How H4100 hast thou counseled H3289 him that hath no H3808 wisdom H2451 ? and how hast thou plentifully H7230 declared H3045 the thing H8454 as it is?
4. तू ने किसके हित के लिये बातें कही? और किसके मन की बातें तेरे मुंह से निकलीं?
4. To H854 whom H4310 hast thou uttered H5046 words H4405 ? and whose H4310 spirit H5397 came H3318 from H4480 thee?
5. बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं।
5. Dead H7496 things are formed H2342 from under H4480 H8478 the waters H4325 , and the inhabitants H7931 thereof.
6. अधोलोक उसके साम्हने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढंप नहीं सकता।
6. Hell H7585 is naked H6174 before H5048 him , and destruction H11 hath no H369 covering H3682 .
7. वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।
7. He stretcheth out H5186 the north H6828 over H5921 the empty place H8414 , and hangeth H8518 the earth H776 upon H5921 nothing H1099 .
8. वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता।
8. He bindeth up H6887 the waters H4325 in his thick clouds H5645 ; and the cloud H6051 is not rent H1234 H3808 under H8478 them.
9. वह अपने सिंहासन के साम्हने बादल फैला कर उसको छिपाए रखता है।
9. He holdeth back H270 the face H6440 of his throne H3678 , and spreadeth H6576 his cloud H6051 upon H5921 it.
10. उजियाले और अन्धियारे के बीच जहां सिवाना बंधा है, वहां तक उसने जलनिधि का सिवाना ठहरा रखा है।
10. He hath compassed H2328 H5921 the waters H6440 H4325 with bounds H2706 , until H5704 the day H216 and night H2822 come to an end H8503 .
11. उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथरा कर चकित होते हैं।
11. The pillars H5982 of heaven H8064 tremble H7322 and are astonished H8539 at his reproof H4480 H1606 .
12. वह अपने बल से समुद्र को उछालता, और अपनी बुद्धि से घपण्ड को छेद देता है।
12. He divideth H7280 the sea H3220 with his power H3581 , and by his understanding H8394 he smiteth through H4272 the proud H7293 .
13. उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग भागने वाले नाग को मार देता है।
13. By his spirit H7307 he hath garnished H8235 the heavens H8064 ; his hand H3027 hath formed H2490 the crooked H1281 serpent H5175 .
14. देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है, फिर उसके पराक्रम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है?
14. Lo H2005 , these H428 are parts H7098 of his ways H1870 : but how H4100 little H8102 a portion H1697 is heard H8085 of him? but the thunder H7482 of his power H1369 who H4310 can understand H995 ?