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1
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1. यहोवा का वचन जो पतूएल के पुत्र योएल के पास पहुंचा, वह यह है:
1. The word H1697 of the LORD H3068 that H834 came H1961 to H413 Joel H3100 the son H1121 of Pethuel H6602 .
2. हे पुरनियो, सुनो, हे देश के सब रहने वालो, कान लगा कर सुनो! क्या ऐसी बात तुम्हारे दिनों में, वा तुम्हारे पुरखाओं के दिनों में कभी हुई है?
2. Hear H8085 this H2063 , ye old men H2205 , and give ear H238 , all H3605 ye inhabitants H3427 of the land H776 . Hath this H2063 been H1961 in your days H3117 , or even H518 in the days H3117 of your fathers H1 ?
3. अपने लड़के-बालों से इसका वर्णन करो, और वे अपने लड़के-बालों से, और फिर उनके लड़के-बाले आने वाली पीढ़ी के लोगों से॥
3. Tell H5608 ye your children H1121 of H5921 it , and let your children H1121 tell their children H1121 , and their children H1121 another H312 generation H1755 .
4. जो कुछ गाजाम नाम टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नाम टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नाम टिड्डी से बचा, उसे येलेक नाम टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नाम टिड्डी से बचा, उसे हासील नाम टिड्डी ने खा लिया है।
4. That which the palmerworm H1501 hath left H3499 hath the locust H697 eaten H398 ; and that which the locust H697 hath left H3499 hath the cankerworm H3218 eaten H398 ; and that which the cankerworm H3218 hath left H3499 hath the caterpillar H2625 eaten H398 .
5. हे मतवालो, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीने वालो, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब मिलेगा॥
5. Awake H6974 , ye drunkards H7910 , and weep H1058 ; and howl H3213 , all H3605 ye drinkers H8354 of wine H3196 , because of H5921 the new wine H6071 ; for H3588 it is cut off H3772 from your mouth H4480 H6310 .
6. देखो, मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनित हैं; उसके दांत सिंह के से, और डाढ़ें सिहनी की सी हैं।
6. For H3588 a nation H1471 is come up H5927 upon H5921 my land H776 , strong H6099 , and without H369 number H4557 , whose teeth H8127 are the teeth H8127 of a lion H738 , and he hath the cheek teeth H4973 of a great lion H3833 .
7. उसने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उसने उसकी सब छाल छील कर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियां छिलने से सफेद हो गई हैं॥
7. He hath laid H7760 my vine H1612 waste H8047 , and barked H7111 my fig tree H8384 : he hath made it clean bare H2834 H2834 , and cast it away H7993 ; the branches H8299 thereof are made white H3835 .
8. जैसे युवती अपने पति के लिये कटि में टाट बान्धे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो।
8. Lament H421 like a virgin H1330 girded H2296 with sackcloth H8242 for H5921 the husband H1167 of her youth H5271 .
9. यहोवा के भवन में तो अन्नबलि और अर्घ आता है। उसके टहलुए जो याजक हैं, वे विलाप कर रहे हैं।
9. The meat offering H4503 and the drink offering H5262 is cut off H3772 from the house H4480 H1004 of the LORD H3068 ; the priests H3548 , the LORD H3068 's ministers H8334 , mourn H56 .
10. खेती मारी गई, भूमि विलाप करती है; क्योंकि अन्न नाश हो गया, नया दाखमधु सूख गया, तेल भी सूख गया है॥
10. The field H7704 is wasted H7703 , the land H127 mourneth H56 ; for H3588 the corn H1715 is wasted H7703 : the new wine H8492 is dried up H3001 , the oil H3323 languisheth H535 .
11. हे किसानो, लज्जित हो, हे दाख की बारी के मालियों, गेहूं और जव के लिये हाय, हाय करो; क्योंकि खेती मारी गई है।
11. Be ye ashamed H954 , O ye husbandmen H406 ; howl H3213 , O ye vinedressers H3755 , for H5921 the wheat H2406 and for H5921 the barley H8184 ; because H3588 the harvest H7105 of the field H7704 is perished H6 .
12. दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है। अनार, ताड़, सेव, वरन मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्यों का हर्ष जाता रहा है॥
12. The vine H1612 is dried up H3001 , and the fig tree H8384 languisheth H535 ; the pomegranate tree H7416 , the palm tree H8558 also H1571 , and the apple tree H8598 , even all H3605 the trees H6086 of the field H7704 , are withered H3001 : because H3588 joy H8342 is withered away H3001 from H4480 the sons H1121 of men H120 .
13. हे याजको, कटि में टाट बान्ध कर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो। हे मेरे परमेश्वर के टहलुओ, आओ, टाट ओढ़े हुए रात बिताओ! क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्नबलि और अर्घ अब नहीं आते॥
13. Gird H2296 yourselves , and lament H5594 , ye priests H3548 : howl H3213 , ye ministers H8334 of the altar H4196 : come H935 , lie all night H3885 in sackcloth H8242 , ye ministers H8334 of my God H430 : for H3588 the meat offering H4503 and the drink offering H5262 is withheld H4513 from the house H4480 H1004 of your God H430 .
14. उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो। पुरनियों को, वरन देश के सब रहने वालों को भी अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में इकट्ठे कर के उसकी दोहाई दो॥
14. Sanctify H6942 ye a fast H6685 , call H7121 a solemn assembly H6116 , gather H622 the elders H2205 and all H3605 the inhabitants H3427 of the land H776 into the house H1004 of the LORD H3068 your God H430 , and cry H2199 unto H413 the LORD H3068 ,
15. उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन हो कर आएगा।
15. Alas H162 for the day H3117 ! for H3588 the day H3117 of the LORD H3068 is at hand H7138 , and as a destruction H7701 from the Almighty H4480 H7706 shall it come H935 .
16. क्या भोजन वस्तुएं हमारे देखते नाश नहीं हुईं? क्या हमारे परमेश्वर के भवन का आनन्द और मगन जाता नहीं रहा?
16. Is not H3808 the meat H400 cut off H3772 before H5048 our eyes H5869 , yea , joy H8057 and gladness H1524 from the house H4480 H1004 of our God H430 ?
17. बीज ढेलों के नीचे झुलस गए, भण्डार सूने पड़े हैं; खत्ते गिर पड़े हैं, क्योंकि खेती मारी गई।
17. The seed H6507 is rotten H5685 under H8478 their clods H4053 , the garners H214 are laid desolate H8074 , the barns H4460 are broken down H2040 ; for H3588 the corn H1715 is withered H3001 .
18. पशु कैसे कराहते हैं? झुण्ड के झुण्ड गाय-बैल विकल हैं, क्योंकि उनके लिये चराई नहीं रही; और झुण्ड के झुण्ड भेड़-बकरियां पाप का फल भोग रही हैं॥
18. How H4100 do the beasts H929 groan H584 ! the herds H5739 of cattle H1241 are perplexed H943 , because H3588 they have no H369 pasture H4829 ; yea H1571 , the flocks H5739 of sheep H6629 are made desolate H816 .
19. हे यहोवा, मैं तेरी दोहाई देता हूं, क्योंकि जंगल की चराइयां आग का कौर हो गईं, और मैदान के सब वृक्ष ज्वाला से जल गए।
19. O LORD H3068 , to H413 thee will I cry H7121 : for H3588 the fire H784 hath devoured H398 the pastures H4999 of the wilderness H4057 , and the flame H3852 hath burned H3857 all H3605 the trees H6086 of the field H7704 .
20. वन-पशु भी तेरे लिये हांफते हैं, क्योंकि जल के सोते सूख गए, और जंगल की चराइयां आग का कौर हो गईं॥
20. The beasts H929 of the field H7704 cry H6165 also H1571 unto H413 thee: for H3588 the rivers H650 of waters H4325 are dried up H3001 , and the fire H784 hath devoured H398 the pastures H4999 of the wilderness H4057 .
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