1. {परमेश्वर यहेजकेल को इस्राएल का पहरेदार चुनता है} PS यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
2. “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से बातें करो। उनसे कहो, ‘मैं शत्रु के सैनिकों को उस देश के विरुद्ध युद्ध के लिये ला सकता हूँ। जब ऐसा होगा तो लोग एक व्यक्ति को पहरेदार के रूप में चुनेंगे।
3. यदि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आते देखता है, तो वह तुरही बजाता है और लोगों को सावधान करता है।
4. यदि लोग उस चेतावनी को सुनें किन्तु अनसुनी करें तो शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी के रूप में ले जायेगा। यह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये स्वयं उत्तरदायी होगा।
5. उसने तुरही सुनी, पर चेतावनी अनसुनी की। इसलिये अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं दोषी है। यदि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो उसने अपना जीवन बचा लिया होता। PEPS
6. “ ‘किन्तु यह हो सकता है कि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आता देखता है, किन्तु तुरही नहीं बजाता। उस पहरेदार ने लोगों को चेतावनी नहीं दी। शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी बनाकर ले जाएगा। वह व्यक्ति ले जाया जाएगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु पहरेदार भी उस आदमी की मृत्यु का उत्तरदायी होगा।’ PEPS
7. “अब, मनुष्य के पुत्र, मैं तुमको इस्राएल के परिवार का पहरेदार चुन रहा हूँ। यदि तुम मेरे मुख से कोई सन्देश सुनो तो तुम्हें मेरे लिये लोगों को चेतावनी देनी चाहिए।
8. मैं तुमसे कह सकता हूँ, ‘यह पापी व्यक्ति मरेगा।’ तब तुम्हें उस व्यक्ति के पास जाकर मेरे लिये उसे चेतावनी देनी चाहिए। यदि तुम उस पापी व्यक्ति को चेतावनी नहीं देते और उसे अपना जीवन बदलने को नहीं कहते, तो वह पापी व्यक्ति मरेगा, क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु मैं तुम्हें उसकी मृत्यु का उत्तरदायी बनाऊँगा।
9. किन्तु यदि तुम उस बुरे व्यक्ति को अपना जीवन बदलने के लिये और पाप करना छोड़ने के लिये चेतावनी देते हो और यदि वह पाप करना छोड़ने से इन्कार करता है तो वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया, किन्तु तुमने अपना जीवन बचा लिया।” PS
10. {परमेश्वर लोगों को नष्ट करना नहीं चाहता} PS “अत: मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार से मेरे लिये कहो। वे लोग कह सकते हैं, ‘हम लोगों ने पाप किया है और नियमों को तोड़ा है। हमारे पाप हमारी सहनशक्ति के बाहर हैं। हम उन पापों के कारण नाश हो रहे हैं। हम जीवित रहने के लिये क्या कर सकते हैं।’ PEPS
11. “तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर विश्वास दिलाता हूँ कि मैं लोगों को मरता देख कर आनन्दित नहीं होता, पापी व्यक्तियों को भी नहीं। मैं नहीं चाहता कि वे मरें। मैं उन पापी व्यक्तियों को अपने पास लौटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें जिससे वे जीवित रह सकें। अत: मेरे पास लौटो! बुरे काम करना छोड़ो! इस्राएल के परिवार, तुम्हें मरना ही क्यों चाहिए?’ PEPS
12. “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से कहो: ‘यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पुण्य किया है तो उससे उसका जीवन नहीं बचेगा। यदि वह बच जाये और पाप करना शुरु करे। यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पाप किया, तो वह नष्ट नहीं किया जाएगा, यदि वह पाप से दूर हट जाता है। अत: याद रखो, एक व्यक्ति द्वारा अतीत में किये गए पुण्य कर्म उसकी रक्षा नहीं करेंगे, यदि वह पाप करना आरम्भ करता है।’ PEPS
13. “यह हो सकता है कि मैं किसी अच्छे व्यक्ति के लिये कहूँ कि वह जीवित रहेगा। किन्तु यह हो सकता है कि वह अच्छा व्यक्ति यह सोचना आरम्भ करे कि अतीत में उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्म उसकी रक्षा करेंगे। अत: वह बुरे काम करना आरम्भ कर सकता है। किन्तु मैं उसके अतीत के पुण्यों को याद नहीं रखूँगा! नहीं, वह उन पापों के कारण मरेगा जिन्हें वह करना आरम्भ करता है। PEPS
14. “या यह हो सकता है कि मैं किसी पापी व्यक्ति के लिये कहूँगा कि वह मरेगा। किन्तु वह अपने जीवन को बदल सकता है। वह पाप करना छोड़ सकता है और ठीक—ठीक रहना आरम्भ कर सकता है। वह अच्छा और उचित हो सकता है।
15. वह उस गिरवीं की चीज़ को लौटा सकता है जिसे उसने ऋण में मुद्रा देते समय रखा था। वह उन चीज़ों के लिये भुगतान कर सकता है जिन्हें उसने चुराया था। वह उन नियमों का पालन कर सकता है जो जीवन देते हैं। वह बुरे काम करना छोड़ देता है। तब वह व्यक्ति निश्चय ही जीवित रहेगा। वह मरेगा नहीं।
16. मैं उसके अतीत के पापों को याद नहीं करूँगा। क्यों क्योंकि वह अब ठीक—ठीक रहता है और उचित व्यवहार रखता है। अत: वह जीवित रहेगा! PEPS
17. “किन्तु तुम्हारे लोग कहते हैं, ‘यह उचित नहीं है! यहोवा मेरा स्वामी वैसा नहीं हो सकता!’ PEPS “परन्तु वे ही लोग हैं जो उचित नहीं है! वे ही लोग है, जिन्हें बदलना चाहिए!
18. यदि अच्छा व्यक्ति पुण्य करना बन्द कर देता है और पाप करना आरम्भ करता है तो वह अपने पापों के कारण मरेगा।
19. और यदि कोई पापी पाप करना छोड़ देता है और ठीक—ठीक तथा उचित रहना आरम्भ करता है तो वह जीवित रहेगा!
20. किन्तु तुम लोग अब भी कहते हो कि मैं उचित नहीं हूँ। किन्तु मैं सत्य कह रहा हूँ। इस्राएल के परिवार, हर एक व्यक्ति के साथ न्याय, वह जो करता है, उसके अनुसार होगा!” PS
21. {यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया} PS देश—निकाले के बारहवें वर्ष में, दसवें महीने (जनवरी) के पाँचवें दिन एक व्यक्ति मेरे पास यरूशलेम से आया। वह वहाँ के युद्ध से बच निकला था। उसने कहा, “नगर (यरूशलेम) पर अधिकार हो गया!” PEPS
22. ऐसा हुआ कि जिस दिन वह व्यक्ति मेरे पास आया उसकी पूर्व संध्या को, मेरे स्वामी यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। परमेश्वर ने मुझे बोलने योग्य नहीं बनाया। जिस समय वह व्यक्ति मेरे पास आया, यहोवा ने मेरा मुख खोल दिया था और फिर से मुझे बोलने दिया।
23. तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
24. “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के ध्वस्त नगर में इस्राएली लोग रह रहे हैं। वे लोग कह रहे हैं, ‘इब्राहीम केवल एक व्यक्ति था और परमेश्वर ने उसे यह सारी भूमि दे दी। अब हम अनेक लोग हैं अत: निश्चय ही यह भूमि हम लोगों की है! यह हमारी भूमि है!’ PEPS
25. “तुम्हें उनसे कहना चाहिये कि मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘तुम लोग रक्त—युक्त माँस खाते हो। तुम लोग अपनी देवमूर्तियों से सहायता की आशा करते हो। तुम लोगों को मार डालते हो। अत: मैं तुम लोगों को यह भूमि क्यों दूँ
26. तुम अपनी तलवार पर भरोसा करते हो। तुममें से हर एक भयंकर पाप करता है। तुममें से हर एक अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार करता है। अत: तुम भूमि नहीं पा सकते।’ PEPS
27. “तुम्हें कहना चाहिए कि स्वामी यहोवा यह कहता है, मैं अपने जीवन की शपथ खा कर प्रतिज्ञा करता हूँ, कि जो लोग उन ध्वस्त नगरों में रहते हैं, वे तलवार के घाट उतारे जाएंगे। यदि कोई उस देश से बाहर होगा तो मैं उसे जानवरों से मरवाऊँगा और खिलाऊँगा। यदि लोग किले और गुफाओं में छिपे होंगे तो वे रोग से मरेंगे।
28. मैं भूमि को खाली और बरबाद करूँगा। वह देश उन सभी चीजों को खो देगा जिन पर उसे गर्व था। इस्राएल के पर्वत खाली हो जाएंगे। उस स्थान से कोई गुजरेगा नहीं।
29. उन लोगों ने अनेक भयंकर पाप किये हैं। अत: मैं उस देश को खाली और बरबाद करूँगा। तब वे लोग जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।” PEPS
30. “अब तुम्हारे विषय में, मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे लोग दीवारों के सहारे झुके हुए और अपने दरवाजों में खड़े हैं और वे तुम्हारे बारे में बात करते हैं। वे एक दूसरे से कहते हैं, ‘आओ, हम जाकर सुनें जो यहोवा कहता है।’
31. अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं। PEPS
32. “तुम इन लोगों की दृष्टि में प्रेमगीत गाने वाले गायक से अधिक नहीं हो। तुम्हारा स्वर अच्छा है। तुम अपना वाद्य अच्छा बजाते हो। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहते हो।
33. किन्तु जिन चीजों के बारे में तुम गाते हो, वे सचमुच घटित होंगी और तब लोग समझेंगे कि उनके बीच सचमुच एक नबी रहता था!” PE