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1. “अय्यूब, यदि तू चाहे तो पुकार कर देख ले किन्तु तुझे कोई भी उत्तर नहीं देगा।
तू किसी भी स्वर्गदूत की ओर मुड़ नहीं सकता है।
2. मूर्ख का क्रोध उसी को नष्ट कर देगा।
मूर्ख की तीव्र भावनायें उसी को नष्ट कर डालेंगी।
3. मैंने एक मूर्ख को देखा जो सोचता था कि वह सुरक्षित है।
किन्तु वह एकाएक मर गया।
4. ऐसे मूर्ख व्यक्ति की सन्तानों की कोई भी सहायता कर सका।
न्यायालय में उनको बचाने वाला कोई था।
5. उसकी फसल को भूखे लोग खा गये, यहाँ तक कि वे भूखे लोग काँटों की झाड़ियों के बीच उगे अन्न कण को भी उठा ले गये।
जो कुछ भी उसके पास था उसे लालची लोग उठा ले गये।
6. बुरा समय मिट्टी से नहीं निकलता है,
ही विपदा मैदानों में उगती है।
7. मनुष्य का जन्म दु:ख भोगने के लिये हुआ है।
यह उतना ही सत्य है जितना सत्य है कि आग से चिंगारी ऊपर उठती है।
8. किन्तु अय्यूब, यदि तुम्हारी जगह मैं होता
तो मैं परमेश्वर के पास जाकर अपना दुखड़ा कह डालता।
9. लोग उन अद्भुत भरी बातों को जिन्हें परमेश्वर करता है, नहीं समझते हैं।
ऐसे उन अद्भुत कर्मो का जिसे परमेश्वर करता है, कोई अन्त नहीं है।
10. परमेश्वर धरती पर वर्षा को भेजता है,
और वही खेतों में पानी पहुँचाया करता है।
11. परमेश्वर विनम्र लोगों को ऊपर उठाता है,
और दु:खी जन को अति प्रसन्न बनाता है।
12. परमेश्वर चालाक दुष्ट लोगों के कुचक्र को रोक देता है।
इसलिये उनको सफलता नहीं मिला करती।
13. परमेश्वर चतुर को उसी की चतुराई भरी योजना में पकड़ता है।
इसलिए उनके चतुराई भरी योजनाएं सफल नहीं होती।
14. वे चालाक लोग दिन के प्रकाश में भी ठोकरें खाते फिरते हैं।
यहाँ तक कि दोपहर में भी वे रास्ते का अनुभव रात के जैसे करते हैं।
15. परमेश्वर दीन व्यक्ति को मृत्यु से बचाता है
और उन्हें शक्तिशाली चतुर लोगों की शक्ति से बचाता है।
16. इसलिए दीन व्यक्ति को भरोसा है।
परमेश्वर बुरे लोगों को नष्ट करेगा जो खरे नहीं हैं।
17. “वह मनुष्य भाग्यवान है, जिसका परमेश्वर सुधार करता है
इसलिए जब सर्वशक्तिशाली परमेश्वर तुम्हें दण्ड दे रहा तो तुम अपना दु:खड़ा मत रोओ।
18. परमेश्वर उन घावों पर पट्टी बान्धता है जिन्हें उसने दिया है।
वह चोट पहुँचाता है किन्तु उसके ही हाथ चंगा भी करते हैं।
19. वह तुझे छ: विपत्तियों से बचायेगा।
हाँ! सातों विपत्तियों में तुझे कोई हानि होगी।
20. अकाल के समय परमेश्वर
तुझे मृत्यु से बचायेगा
और परमेश्वर युद्ध में
तेरी मृत्यु से रक्षा करेगा।
21. जब लोग अपने कठोर शब्दों से तेरे लिये बुरी बात बोलेंगे,
तब परमेश्वर तेरी रक्षा करेगा।
विनाश के समय
तुझे डरने की आवश्यकता नहीं होगी।
22. विनाश और भुखमरी पर तू हँसेगा
और तू जंगली जानवरों से कभी भयभीत होगा।
23. तेरी वाचा परमेश्वर के साथ है यहाँ तक कि मैदानों की चट्टाने भी तेरा वाचा में भाग लेती है।
जंगली पशु भी तेरे साथ शान्ति रखते हैं।
24. तू शान्ति से रहेगा
क्योंकि तेरा तम्बू सुरक्षित है।
तू अपनी सम्पत्ति को सम्भालेगा
और उसमें से कुछ भी खोया हुआ नहीं पायेगा।
25. तेरी बहुत सन्तानें होंगी और वे इतनी होंगी
जितनी घास की पत्तियाँ पृथ्वी पर हैं।
26. तू उस पके गेहूँ जैसा होगा जो कटनी के समय तक पकता रहता है।
हाँ, तू पूरी वृद्ध आयु तक जीवित रहेगा।
27. “अय्यूब, हमने ये बातें पढ़ी हैं और हम जानते हैं कि ये सच्ची है।
अत: अय्यूब सुन और तू इन्हें स्वयं अपने आप जान।” PE
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