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1. ख़ुदावन्द का कलाम जो यूएल — बिन फ़तूएल पर नाज़िल हुआ: टिड्डियों के कहर पर मातम मनाना PEPS
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1. The word H1697 of the LORD H3068 that H834 came H1961 to H413 Joel H3100 the son H1121 of Pethuel H6602 .
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2. ऐ बूढ़ो, सुनो, ऐ ज़मीन के सब रहने वालों, कान लगाओ! क्या तुम्हारे या तुम्हारे बाप — दादा के दिनों में कभी ऐसा हुआ?
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2. Hear H8085 this H2063 , ye old men H2205 , and give ear H238 , all H3605 ye inhabitants H3427 of the land H776 . Hath this H2063 been H1961 in your days H3117 , or even H518 in the days H3117 of your fathers H1 ?
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3. तुम अपनी औलाद से इसका तज़किरा करो, और तुम्हारी औलाद अपनी औलाद से, और उनकी औलाद अपनी नसल से बयान करे।
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3. Tell H5608 ye your children H1121 of H5921 it , and let your children H1121 tell their children H1121 , and their children H1121 another H312 generation H1755 .
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4. जो कुछ टिड्डियों के एक ग़ोल से बचा, उसे दूसरा ग़ोल निगल गया; और जो कुछ दूसरे से बचा, उसे तीसरा ग़ोल चट कर गया; और जो कुछ तीसरे से बचा, उसे चौथा ग़ोल खा गया।
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4. That which the palmerworm H1501 hath left H3499 hath the locust H697 eaten H398 ; and that which the locust H697 hath left H3499 hath the cankerworm H3218 eaten H398 ; and that which the cankerworm H3218 hath left H3499 hath the caterpillar H2625 eaten H398 .
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5. ऐ मतवालो, जागो और मातम करो; ऐ मयनौशी करने वालों, नई मय के लिए चिल्लाओ, क्यूँकि वह तुम्हारे मुँह से छिन गई है।
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5. Awake H6974 , ye drunkards H7910 , and weep H1058 ; and howl H3213 , all H3605 ye drinkers H8354 of wine H3196 , because of H5921 the new wine H6071 ; for H3588 it is cut off H3772 from your mouth H4480 H6310 .
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6. क्यूँकि मेरे मुल्क पर एक क़ौम चढ़ आई है, उनके दाँत शेर — ए — बबर के जैसे हैं, और उनकी दाढ़ें शेरनी की जैसी हैं।
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6. For H3588 a nation H1471 is come up H5927 upon H5921 my land H776 , strong H6099 , and without H369 number H4557 , whose teeth H8127 are the teeth H8127 of a lion H738 , and he hath the cheek teeth H4973 of a great lion H3833 .
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7. उन्होंने मेरे ताकिस्तान को उजाड़ डाला, और मेरे अंजीर के दरख़्तों को तोड़ डाला; उन्होंने उनको बिल्कुल छील छालकर फेंक दिया, उनकी डालियाँ सफ़ेद निकल आईं।
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7. He hath laid H7760 my vine H1612 waste H8047 , and barked H7111 my fig tree H8384 : he hath made it clean bare H2834 H2834 , and cast it away H7993 ; the branches H8299 thereof are made white H3835 .
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8. तुम मातम करो, जिस तरह दुल्हन अपनी जवानी के शौहर के लिए टाट ओढ़ कर मातम करती है।
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8. Lament H421 like a virgin H1330 girded H2296 with sackcloth H8242 for H5921 the husband H1167 of her youth H5271 .
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9. नज़्र की कु़र्बानी और तपावन ख़ुदावन्द के घर से मौकूफ़ हो गए। ख़ुदावन्द के ख़िदमत गुज़ार, काहिन मातम करते हैं।
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9. The meat offering H4503 and the drink offering H5262 is cut off H3772 from the house H4480 H1004 of the LORD H3068 ; the priests H3548 , the LORD H3068 's ministers H8334 , mourn H56 .
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10. खेत उजड़ गए, ज़मीन मातम करती है, क्यूँकि ग़ल्ला ख़राब हो गया है; नई मय ख़त्म हो गई, और तेल बर्बाद हो गया।
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10. The field H7704 is wasted H7703 , the land H127 mourneth H56 ; for H3588 the corn H1715 is wasted H7703 : the new wine H8492 is dried up H3001 , the oil H3323 languisheth H535 .
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11. ऐ किसानो, शर्मिन्दगी उठाओ, ऐ ताकिस्तान के बाग़बानों, मातम करो, क्यूँकि गेहूँ और जौ और मैदान के तैयार खेत बर्बाद हो गए।
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11. Be ye ashamed H954 , O ye husbandmen H406 ; howl H3213 , O ye vinedressers H3755 , for H5921 the wheat H2406 and for H5921 the barley H8184 ; because H3588 the harvest H7105 of the field H7704 is perished H6 .
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12. ताक ख़ुश्क हो गई; अंजीर का दरख़्त मुरझा गया। अनार और खजूर और सेब के दरख़्त, हाँ मैदान के तमाम दरख़्त मुरझा गए; और बनी आदम से खुशी जाती रही'।
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12. The vine H1612 is dried up H3001 , and the fig tree H8384 languisheth H535 ; the pomegranate tree H7416 , the palm tree H8558 also H1571 , and the apple tree H8598 , even all H3605 the trees H6086 of the field H7704 , are withered H3001 : because H3588 joy H8342 is withered away H3001 from H4480 the sons H1121 of men H120 .
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13. ऐ काहिनो, कमरें कस कर मातम करो, ऐ मज़बह पर ख़िदमत करने वालो, वावैला करो। ऐ मेरे ख़ुदा के ख़ादिमों, आओ रात भर टाट ओढ़ो! क्यूँकि नज़्र की क़ुर्बानी और तपावन तुम्हारे ख़ुदा के घर से मौक़ूफ़ हो गए।
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13. Gird H2296 yourselves , and lament H5594 , ye priests H3548 : howl H3213 , ye ministers H8334 of the altar H4196 : come H935 , lie all night H3885 in sackcloth H8242 , ye ministers H8334 of my God H430 : for H3588 the meat offering H4503 and the drink offering H5262 is withheld H4513 from the house H4480 H1004 of your God H430 .
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14. रोज़े के लिए एक दिन मुक़द्दस करो; पाक महफ़िल बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर में जमा' करके उससे फ़रियाद करो
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14. Sanctify H6942 ye a fast H6685 , call H7121 a solemn assembly H6116 , gather H622 the elders H2205 and all H3605 the inhabitants H3427 of the land H776 into the house H1004 of the LORD H3068 your God H430 , and cry H2199 unto H413 the LORD H3068 ,
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15. उस दिन पर अफ़सोस! क्यूँकि ख़ुदावन्द का दिन नज़दीक है, वह क़ादिर — ए — मुतलक़ की तरफ़ से बड़ी हलाकत की तरह आएगा।
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15. Alas H162 for the day H3117 ! for H3588 the day H3117 of the LORD H3068 is at hand H7138 , and as a destruction H7701 from the Almighty H4480 H7706 shall it come H935 .
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16. क्या हमारी आँखों के सामने रोज़ी मौक़ूफ़ नहीं हुई, और हमारे ख़ुदा के घर से खु़शीओ — शादमानी जाती नहीं रही?
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16. Is not H3808 the meat H400 cut off H3772 before H5048 our eyes H5869 , yea , joy H8057 and gladness H1524 from the house H4480 H1004 of our God H430 ?
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17. बीज ढेलों के नीचे सड़ गया; ग़ल्लाख़ाने ख़ाली पड़े हैं, खत्ते तोड़ डाले गए; क्यूँकि खेती सूख गई।
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17. The seed H6507 is rotten H5685 under H8478 their clods H4053 , the garners H214 are laid desolate H8074 , the barns H4460 are broken down H2040 ; for H3588 the corn H1715 is withered H3001 .
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18. जानवर कैसे कराहते हैं! गाय — बैल के गल्ले परेशान हैं क्यूँके उनके लिए चरागाह नहीं है; हाँ, भेड़ों के गल्ले भी बर्बाद हो गए हैं।
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18. How H4100 do the beasts H929 groan H584 ! the herds H5739 of cattle H1241 are perplexed H943 , because H3588 they have no H369 pasture H4829 ; yea H1571 , the flocks H5739 of sheep H6629 are made desolate H816 .
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19. ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे सामने फ़रियाद करता हूँ। क्यूँकि आग ने वीराने की चरागाहों को जला दिया, और शो'ले ने मैदान के सब दरख़्तों को राख कर दिया है।
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19. O LORD H3068 , to H413 thee will I cry H7121 : for H3588 the fire H784 hath devoured H398 the pastures H4999 of the wilderness H4057 , and the flame H3852 hath burned H3857 all H3605 the trees H6086 of the field H7704 .
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20. जंगली जानवर भी तेरी तरफ़ निगाह रखते हैं, क्यूँकि पानी की नदियाँ सूख गई, और आग वीराने की चरागाहों को खा गईं। PE
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20. The beasts H929 of the field H7704 cry H6165 also H1571 unto H413 thee: for H3588 the rivers H650 of waters H4325 are dried up H3001 , and the fire H784 hath devoured H398 the pastures H4999 of the wilderness H4057 .
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