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1. यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन।
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1. The words H1697 of the Preacher H6953 , the son H1121 of David H1732 , king H4428 in Jerusalem H3389 .
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2. उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।”
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2. Vanity H1892 of vanities H1892 , saith H559 the Preacher H6953 , vanity H1892 of vanities H1892 ; all H3605 is vanity H1892 .
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3. उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है?
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3. What H4100 profit H3504 hath a man H120 of all H3605 his labor H5999 which he taketh H7945 H5998 under H8478 the sun H8121 ?
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4. एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।
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4. One generation H1755 passeth away H1980 , and another generation H1755 cometh H935 : but the earth H776 abideth H5975 forever H5769 .
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5. सूर्य उदय होकर अस्त भी होता है, और अपने उदय की दिशा को वेग से चला जाता है।
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5. The sun H8121 also ariseth H2224 , and the sun H8121 goeth down H935 , and hasteth H7602 to H413 his place H4725 where H8033 he H1931 arose H2224 .
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6. वायु दक्षिण की ओर बहती है, और उत्तर की ओर घूमती जाती है; वह घूमती और बहती रहती है, और अपनी परिधि में लौट आती है।
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6. The wind H7307 goeth H1980 toward H413 the south H1864 , and turneth about H5437 unto H413 the north H6828 ; it whirleth about H1980 continually H5437 H5437 , and the wind H7307 returneth again H7725 according H5921 to his circuits H5439 .
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7. सब नदियाँ समुद्र में जा मिलती हैं, तो भी समुद्र भर नहीं जाता; जिस स्थान से नदियाँ निकलती हैं; उधर ही को वे फिर जाती हैं।
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7. All H3605 the rivers H5158 run H1980 into H413 the sea H3220 ; yet the sea H3220 is not H369 full H4392 ; unto H413 the place H4725 from whence the rivers H7945 H5158 come H1980 , thither H8033 they H1992 return H7725 again H1980 .
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8. सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं।
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8. All H3605 things H1697 are full of labor H3023 ; man H376 cannot H3201 H3808 utter H1696 it : the eye H5869 is not H3808 satisfied H7646 with seeing H7200 , nor H3808 the ear H241 filled H4390 with hearing H4480 H8085 .
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9. जो कुछ हुआ था, वही फिर होगा, और जो कुछ बन चुका है वही फिर बनाया जाएगा; और सूर्य के नीचे कोई बात नई नहीं है।
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9. The thing H4100 that hath been H7945 H1961 , it H1931 is that which shall be H7945 H1961 ; and that H4100 which is done H7945 H6213 is that H1931 which shall be done H7945 H6213 : and there is no H369 H3605 new H2319 thing under H8478 the sun H8121 .
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10. क्या ऐसी कोई बात है जिसके विषय में लोग कह सके कि देख यह नई है? यह तो प्राचीन युगों में बहुत पहले से थी।
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10. Is there H3426 any thing H1697 whereof it may be said H7945 H559 , See H7200 , this H2088 is new H2319 ? it H1931 hath been H1961 already H3528 of old time H5769 , which H834 was H1961 before H4480 H6440 us.
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11. प्राचीनकाल की बातों का कुछ स्मरण नहीं रहा, और होनेवाली बातों का भी स्मरण उनके बाद होनेवालों को न रहेगा।
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11. There is no H369 remembrance H2146 of former H7223 things ; neither H1571 H3808 shall there be H1961 any remembrance H2146 of things that are to come H7945 H1961 with H5973 those that shall come H7945 H1961 after H314 .
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12. मैं उपदेशक यरूशलेम में इस्राएल का राजा था।
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12. I H589 the Preacher H6953 was H1961 king H4428 over H5921 Israel H3478 in Jerusalem H3389 .
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13. मैंने अपना मन लगाया कि जो कुछ आकाश के नीचे किया जाता है, उसका भेद बुद्धि से सोच सोचकर मालूम करूँ*; यह बड़े दुःख का काम है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उसमें लगें।
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13. And I gave H5414 H853 my heart H3820 to seek H1875 and search out H8446 by wisdom H2451 concerning H5921 all H3605 things that H834 are done H6213 under H8478 heaven H8064 : this H1931 sore H7451 travail H6045 hath God H430 given H5414 to the sons H1121 of man H120 to be exercised H6031 therewith.
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14. मैंने उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो वे सब व्यर्थ और मानो वायु को पकड़ना है।
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14. I have seen H7200 H853 all H3605 the works H4639 that are done H7945 H6213 under H8478 the sun H8121 ; and, behold H2009 , all H3605 is vanity H1892 and vexation H7469 of spirit H7307 .
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15. जो टेढ़ा है, वह सीधा नहीं हो सकता, और जितनी वस्तुओं में घटी है, वे गिनी नहीं जातीं।
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15. That which is crooked H5791 cannot H3201 H3808 be made straight H8626 : and that which is wanting H2642 cannot H3201 H3808 be numbered H4487 .
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16. मैंने मन में कहा, “देख, जितने यरूशलेम में मुझसे पहले थे, उन सभी से मैंने बहुत अधिक बुद्धि प्राप्त की है; और मुझ को बहुत बुद्धि और ज्ञान मिल गया है।”
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16. I H589 communed H1696 with H5973 mine own heart H3820 , saying H559 , Lo H2009 , I H589 am come to great estate H1431 , and have gotten more H3254 wisdom H2451 than H5921 all H3605 they that H834 have been H1961 before H6440 me in H5921 Jerusalem H3389 : yea , my heart H3820 had great H7235 experience H7200 of wisdom H2451 and knowledge H1847 .
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17. और मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूँ और बावलेपन और मूर्खता* को भी जान लूँ। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है।
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17. And I gave H5414 my heart H3820 to know H3045 wisdom H2451 , and to know H3045 madness H1947 and folly H5531 : I perceived H3045 that this H2088 also H7945 H1571 is vexation H7475 of spirit H7307 .
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18. क्योंकि बहुत बुद्धि के साथ बहुत खेद भी होता है, और जो अपना ज्ञान बढ़ाता है वह अपना दुःख भी बढ़ाता है। PE
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18. For H3588 in much H7230 wisdom H2451 is much H7230 grief H3708 : and he that increaseth H3254 knowledge H1847 increaseth H3254 sorrow H4341 .
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