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1. “क्या इंसान के लिए ज़मीन पर जंग — ओ — जदल नहीं? और क्या उसके दिन मज़दूर के जैसे नहीं होते?
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1. Is there not H3808 an appointed time H6635 to man H582 upon H5921 earth H776 ? are not his days H3117 also like the days H3117 of a hireling H7916 ?
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2. जैसे नौकर साये की बड़ी आरज़ू करता है, और मज़दूर अपनी उजरत का मुंतज़िर रहता है;
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2. As a servant H5650 earnestly desireth H7602 the shadow H6738 , and as a hireling H7916 looketh for H6960 the reward of his work H6467 :
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3. वैसे ही मैं बुतलान के महीनों का मालिक बनाया गया हूँ, और मुसीबत की रातें मेरे लिए ठहराई गई हैं।
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3. So H3651 am I made to possess H5157 months H3391 of vanity H7723 , and wearisome H5999 nights H3915 are appointed H4487 to me.
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4. जब मैं लेटता हूँ तो कहता हूँ, 'कब उठूँगा?' लेकिन रात लम्बी होती है; और दिन निकलने तक इधर — उधर करवटें बदलता रहता हूँ।
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4. When H518 I lie down H7901 , I say H559 , When H4970 shall I arise H6965 , and the night H6153 be gone H4059 ? and I am full H7646 of tossings to and fro H5076 unto H5704 the dawning of the day H5399 .
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5. मेरा जिस्म कीड़ों और मिट्टी के ढेलों से ढका है। मेरी खाल सिमटती और फिर नासूर हो जाती है। अय्यूब का ख़ुदा की दुहाई देना PEPS
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5. My flesh H1320 is clothed H3847 with worms H7415 and clods H1487 of dust H6083 ; my skin H5785 is broken H7280 , and become loathsome H3988 .
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6. मेरे दिन जुलाहे की ढरकी से भी तेज़ और बगै़र उम्मीद के गुज़र जाते हैं।
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6. My days H3117 are swifter H7043 than H4480 a weaver's shuttle H708 , and are spent H3615 without H657 hope H8615 .
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7. 'आह, याद कर कि मेरी ज़िन्दगी हवा है, और मेरी आँख ख़ुशी को फिर न देखेगी।
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7. O remember H2142 that H3588 my life H2416 is wind H7307 : mine eye H5869 shall no H3808 more H7725 see H7200 good H2896 .
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8. जो मुझे अब देखता है उसकी आँख मुझे फिर न देखेगी। तेरी आँखें तो मुझ पर होंगी लेकिन मैं न हूँगा।
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8. The eye H5869 of him that hath seen H7210 me shall see H7789 me no H3808 more : thine eyes H5869 are upon me , and I am not H369 .
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9. जैसे बादल फटकर ग़ायब हो जाता है, वैसे ही वह जो क़ब्र में उतरता है फिर कभी ऊपर नहीं आता;
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9. As the cloud H6051 is consumed H3615 and vanisheth away H1980 : so H3651 he that goeth down H3381 to the grave H7585 shall come up H5927 no H3808 more .
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10. वह अपने घर को फिर न लौटेगा, न उसकी जगह उसे फिर पहचानेगी।
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10. He shall return H7725 no H3808 more H5750 to his house H1004 , neither H3808 shall his place H4725 know H5234 him any more H5750 .
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11. इसलिए मैं अपना मुँह बंद नहीं रख्खूँगा; मैं अपनी रूह की तल्ख़ी में बोलता जाऊँगा। मैं अपनी जान के 'ऐज़ाब में शिकवा करूँगा।
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11. Therefore H1571 I H589 will not H3808 refrain H2820 my mouth H6310 ; I will speak H1696 in the anguish H6862 of my spirit H7307 ; I will complain H7878 in the bitterness H4751 of my soul H5315 .
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12. क्या मैं समन्दर हूँ या मगरमच्छ', जो तू मुझ पर पहरा बिठाता है?
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12. Am I H589 a sea H3220 , or H518 a whale H8577 , that H3588 thou settest H7760 a watch H4929 over H5921 me?
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13. जब मैं कहता हूँ। मेरा बिस्तर मुझे आराम पहुँचाएगा, मेरा बिछौना मेरे दुख को हल्का करेगा।
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13. When H3588 I say H559 , My bed H6210 shall comfort H5162 me , my couch H4904 shall ease H5375 my complaint H7879 ;
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14. तो तू ख़्वाबों से मुझे डराता, और दीदार से मुझे तसल्ली देता है;
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14. Then thou scarest H2865 me with dreams H2472 , and terrifiest H1204 me through visions H4480 H2384 :
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15. यहाँ तक कि मेरी जान फाँसी, और मौत को मेरी इन हड्डियों पर तरजीह देती है।
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15. So that my soul H5315 chooseth H977 strangling H4267 , and death H4194 rather than my life H4480 H6106 .
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16. मुझे अपनी जान से नफ़रत है; मैं हमेशा तक ज़िन्दा रहना नहीं चाहता। मुझे छोड़ दे क्यूँकि मेरे दिन ख़राब हैं।
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16. I loathe H3988 it ; I would not H3808 live H2421 always H5769 : let me alone H2308 H4480 ; for H3588 my days H3117 are vanity H1892 .
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17. इंसान की औकात ही क्या है जो तू उसे सरफ़राज़ करे, और अपना दिल उस पर लगाए;
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17. What H4100 is man H582 , that H3588 thou shouldest magnify H1431 him? and that H3588 thou shouldest set H7896 thine heart H3820 upon H413 him?
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18. और हर सुबह उसकी ख़बर ले, और हर लम्हा उसे आज़माए?
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18. And that thou shouldest visit H6485 him every morning H1242 , and try H974 him every moment H7281 ?
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19. तू कब तक अपनी निगाह मेरी तरफ़ से नहीं हटाएगा, और मुझे इतनी भी मोहलत नहीं देगा कि अपना थूक निगल लें?
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19. How long H4100 wilt thou not H3808 depart H8159 from H4480 me, nor H3808 let me alone H7503 till H5704 I swallow down H1104 my spittle H7536 ?
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20. ऐ बनी आदम के नाज़िर, अगर मैंने गुनाह किया है तो तेरा क्या बिगाड़ता हूँ? तूने क्यूँ मुझे अपना निशाना बना लिया है, यहाँ तक कि मैं अपने आप पर बोझ हूँ?
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20. I have sinned H2398 ; what H4100 shall I do H6466 unto thee , O thou preserver H5341 of men H120 ? why H4100 hast thou set H7760 me as a mark H4645 against thee , so that I am H1861 a burden H4853 to H5921 myself?
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21. तू मेरा गुनाह क्यूँ नहीं मु'आफ़ करता, और मेरी बदकारी क्यूँ नहीं दूर कर देता? अब तो मैं मिट्टी में सो जाऊँगा, और तू मुझे ख़ूब ढूँडेगा लेकिन मैं न हूँगा।” PE
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21. And why H4100 dost thou not H3808 pardon H5375 my transgression H6588 , and take away H5674 H853 mine iniquity H5771 ? for H3588 now H6258 shall I sleep H7901 in the dust H6083 ; and thou shalt seek me in the morning H7836 , but I shall not H369 be .
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