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1. अच्छा नाम अनमोल इत्र से और मृत्यु का दिन जन्म के दिन से उत्तम है।
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1. A good name H8034 is better H2896 than precious H2896 ointment H4480 H8081 ; and the day H3117 of death H4194 than the day H4480 H3117 of one's birth H3205 .
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2. जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा।
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2. It is better H2896 to go H1980 to H413 the house H1004 of mourning H60 , than to go H4480 H1980 to H413 the house H1004 of feasting H4960 : for H834 that H1931 is the end H5490 of all H3605 men H120 ; and the living H2416 will lay H5414 it to H413 his heart H3820 .
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3. हंसी से खेद उत्तम है, क्योंकि मुंह पर के शोक से मन सुधरता है।
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3. Sorrow H3708 is better H2896 than laughter H4480 H7814 : for H3588 by the sadness H7455 of the countenance H6440 the heart H3820 is made better H3190 .
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4. बुद्धिमानों का मन शोक करने वालों के घर की ओर लगा रहता है परन्तु मूर्खों का मन आनन्द करने वालों के घर लगा रहता है।
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4. The heart H3820 of the wise H2450 is in the house H1004 of mourning H60 ; but the heart H3820 of fools H3684 is in the house H1004 of mirth H8057 .
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5. मूर्खों के गीत सुनने से बुद्धिमान की घुड़की सुनना उत्तम है।
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5. It is better H2896 to hear H8085 the rebuke H1606 of the wise H2450 , than for a man H4480 H376 to hear H8085 the song H7892 of fools H3684 .
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6. क्योंकि मूर्ख की हंसी हांडी के नीचे जलते हुए कांटो ही चरचराहट के समान होती है; यह भी व्यर्थ है।
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6. For H3588 as the crackling H6963 of thorns H5518 under H8478 a pot H5518 , so H3651 is the laughter H7814 of the fool H3684 : this H2088 also H1571 is vanity H1892 .
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7. निश्चय अन्धेर से बुद्धिमान बावला हो जाता है; और घूस से बुद्धि नाश होती है।
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7. Surely H3588 oppression H6233 maketh a wise man H2450 mad H1984 ; and a gift H4979 destroyeth H6 H853 the heart H3820 .
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8. किसी काम के आरम्भ से उसका अन्त उत्तम है; और धीरजवन्त पुरूष गर्वी से उत्तम है।
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8. Better H2896 is the end H319 of a thing H1697 than the beginning H4480 H7225 thereof: and the patient H750 in spirit H7307 is better H2896 than the proud H4480 H1362 in spirit H7307 .
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9. अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।
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9. Be not H408 hasty H926 in thy spirit H7307 to be angry H3707 : for H3588 anger H3708 resteth H5117 in the bosom H2436 of fools H3684 .
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10. यह न कहना, बीते दिन इन से क्यों उत्तम थे? क्योंकि यह तू बुद्धिमानी से नहीं पूछता।
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10. Say H559 not H408 thou, What H4100 is H1961 the cause that the former days H7945 H3117 H7223 were H1961 better H2896 than these H4480 H428 ? for H3588 thou dost not H3808 inquire H7592 wisely H4480 H2451 concerning H5921 this H2088 .
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11. बुद्धि बपौती के साथ अच्छी होती है, वरन जीवित रहने वालों के लिये लाभकारी है।
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11. Wisdom H2451 is good H2896 with H5973 an inheritance H5159 : and by it there is profit H3148 to them that see H7200 the sun H8121 .
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12. क्योंकि बुद्धि की आड़ रूपये की आड़ का काम देता है; परन्तु ज्ञान की श्रेष्टता यह है कि बुद्धि से उसके रखने वालों के प्राण की रक्षा होती है।
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12. For H3588 wisdom H2451 is a defense H6738 , and money H3701 is a defense H6738 : but the excellency H3504 of knowledge H1847 is, that wisdom H2451 giveth life H2421 to them that have H1167 it.
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13. परमेश्वर के काम पर दृष्टि कर; जिस वस्तु को उसने टेढ़ा किया हो उसे कौन सीधा कर सकता है?
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13. Consider H7200 H853 the work H4639 of God H430 : for H3588 who H4310 can H3201 make that straight H8626 , H853 which H834 he hath made crooked H5791 ?
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14. सुख के दिन सुख मान, और दु:ख के दिन सोच; क्योंकि परमेश्वर ने दोनों को एक ही संग रखा है, जिस से मनुष्य अपने बाद होने वाली किसी बात को न बूझ सके।
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14. In the day H3117 of prosperity H2896 be H1961 joyful H2896 , but in the day H3117 of adversity H7451 consider H7200 : God H430 also H1571 hath set H6213 H853 the one H2088 over against H5980 the other H2088 , to H5921 the end H1700 that man H120 should find H4672 nothing H7945 H3808 H3972 after H310 him.
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15. अपने व्यर्थ जीवन में मैं ने यह सब कुछ देखा है; कोई धर्मी अपने धर्म का काम करते हुए नाश हो जाता है, और दुष्ट बुराई करते हुए दीर्घायु होता है।
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15. H853 All H3605 things have I seen H7200 in the days H3117 of my vanity H1892 : there is H3426 a just H6662 man that perisheth H6 in his righteousness H6664 , and there is H3426 a wicked H7563 man that prolongeth H748 his life in his wickedness H7451 .
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16. अपने को बहुत धर्मी न बना, और न अपने को अधिक बुद्धिमान बना; तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?
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16. Be H1961 not H408 righteous H6662 over much H7235 ; neither H408 make thyself over wise H2449 H3148 : why H4100 shouldest thou destroy thyself H8074 ?
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17. अत्यन्त दुष्ट भी न बन, और न मूर्ख हो; तू क्यों अपने समय से पहिले मरे?
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17. Be not H408 over much H7235 wicked H7561 , neither H408 be H1961 thou foolish H5530 : why H4100 shouldest thou die H4191 before H3808 thy time H6256 ?
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18. यह अच्छा है कि तू इस बात को पकड़े रहे; ओर उस बात पर से भी हाथ न उठाए; क्योंकि जो परमेश्वर का भय मानता है वह इन सब कठिनाइयों से पार जो जाएगा॥
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18. It is good H2896 that H834 thou shouldest take hold H270 of this H2088 ; yea, also H1571 from this H4480 H2088 withdraw H5117 not H408 H853 thine hand H3027 : for H3588 he that feareth H3373 God H430 shall come forth H3318 H853 of them all H3605 .
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19. बुद्धि ही से नगर के दस हाकिमों की अपेक्षा बुद्धिमान को अधिक सामर्थ प्राप्त होती है।
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19. Wisdom H2451 strengtheneth H5810 the wise H2450 more than ten H4480 H6235 mighty H7989 men which H834 are H1961 in the city H5892 .
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20. नि:सन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो॥
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20. For H3588 there is not H369 a just H6662 man H120 upon earth H776 , that H834 doeth H6213 good H2896 , and sinneth H2398 not H3808 .
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21. जितनी बातें कही जाएं सब पर कान न लगाना, ऐसा न हो कि तू सुने कि तेरा दास तुझी को शाप देता है;
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21. Also H1571 take H5414 no H408 heed H3820 unto all H3605 words H1697 that H834 are spoken H1696 ; lest H834 H3808 thou hear H8085 H853 thy servant H5650 curse H7043 thee:
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22. क्योंकि तू आप जानता है कि तू ने भी बहुत बेर औरों को शाप दिया है॥
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22. For H3588 oftentimes H7227 H6471 also H1571 thine own heart H3820 knoweth H3045 that H834 thou thyself H859 likewise H1571 hast cursed H7043 others H312 .
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23. यह सब मैं ने बुद्धि से जांच लिया है; मैं ने कहा, मैं बुद्धिमान हो जाऊंगा; परन्तु यह मुझ से दूर रहा।
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23. All H3605 this H2090 have I proved H5254 by wisdom H2451 : I said H559 , I will be wise H2449 ; but it H1931 was far H7350 from H4480 me.
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24. वह जो दूर और अत्यन्त गहिरा है, उसका भेद कौन पा सकता है?
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24. That which is H4100 H7945 H1961 far off H7350 , and exceeding deep H6013 H6013 , who H4310 can find it out H4672 ?
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25. मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि के विषय में जान लूं; कि खोज निकालूं और उसका भेद जानूं, और कि दुष्टता की मूर्खता और मूर्खता जो निरा बावलापन है जानूं।
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25. I H589 applied H5437 mine heart H3820 to know H3045 , and to search H8446 , and to seek out H1245 wisdom H2451 , and the reason H2808 of things , and to know H3045 the wickedness H7562 of folly H3689 , even of foolishness H5531 and madness H1947 :
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26. और मैं ने मृत्यु से भी अधिक दृ:खदाई एक वस्तु पाई, अर्थात वह स्त्री जिसका मन फन्दा और जाल है और जिसके हाथ हथकडिय़ां है; (जिस पुरूष से परमेश्वर प्रसन्न है वही उस से बचेगा, परन्तु पापी उसका शिकार होगा)
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26. And I H589 find H4672 more bitter H4751 than death H4480 H4194 H853 the woman H802 , whose H834 H1931 heart H3820 is snares H4685 and nets H2764 , and her hands H3027 as bands H612 : whoso pleaseth H2896 H6440 God H430 shall escape H4422 from H4480 her ; but the sinner H2398 shall be taken H3920 by her.
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27. देख, उपदेशक कहता है, मैं ने ज्ञान के लिये अलग अलग बातें मिला कर जांचीं, और यह बात निकाली,
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27. Behold H7200 , this H2088 have I found H4672 , saith H559 the preacher H6953 , counting one H259 by one H259 , to find out H4672 the account H2808 :
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28. जिसे मेरा मन अब तक ढूंढ़ रहा है, परन्तु नहीं पाया। हजार में से मैं ने एक पुरूष को पाया, परन्तु उन में एक भी स्त्री नहीं पाई।
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28. Which H834 yet H5750 my soul H5315 seeketh H1245 , but I find H4672 not H3808 : one H259 man H120 among a thousand H4480 H505 have I found H4672 ; but a woman H802 among all H3605 those H428 have I not H3808 found H4672 .
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29. देखो, मैं ने केवल यह बात पाई है, कि परमेश्वर ने मनुष्य को सीधा बनाया, परन्तु उन्होंने बहुत सी युक्तियां निकाली हैं॥
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29. Lo H7200 , this H2088 only H905 have I found H4672 , that H834 God H430 hath made H6213 H853 man H120 upright H3477 ; but they H1992 have sought out H1245 many H7227 inventions H2810 .
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