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1. तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूं उत्तर दिया,
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1. Then the LORD H3068 answered H6030 H853 Job H347 out of H4480 the whirlwind H5591 , and said H559 ,
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2. यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है?
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2. Who H4310 is this H2088 that darkeneth H2821 counsel H6098 by words H4405 without H1097 knowledge H1847 ?
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3. पुरुष की नाईं अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे।
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3. Gird up H247 now H4994 thy loins H2504 like a man H1397 ; for I will demand H7592 of thee , and answer H3045 thou me.
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4. जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
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4. Where H375 wast H1961 thou when I laid the foundations H3245 of the earth H776 ? declare H5046 , if H518 thou hast understanding H3045 H998 .
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5. उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा?
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5. Who H4310 hath laid H7760 the measures H4461 thereof, if H3588 thou knowest H3045 ? or H176 who H4310 hath stretched H5186 the line H6957 upon H5921 it?
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6. उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया,
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6. Whereupon H5921 H4100 are the foundations H134 thereof fastened H2883 ? or H176 who H4310 laid H3384 the corner H6438 stone H68 thereof;
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7. जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?
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7. When the morning H1242 stars H3556 sang H7442 together H3162 , and all H3605 the sons H1121 of God H430 shouted for joy H7321 ?
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8. फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया;
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8. Or who shut up H5526 the sea H3220 with doors H1817 , when it broke forth H1518 , as if it had issued out H3318 of the womb H4480 H7358 ?
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9. जब कि मैं ने उसको बादल पहिनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया,
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9. When I made H7760 the cloud H6051 the garment H3830 thereof , and thick darkness H6205 a swaddling band H2854 for it,
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10. और उसके लिये सिवाना बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़े लगा दिए, कि
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10. And broke up H7665 for H5921 it my decreed H2706 place , and set H7760 bars H1280 and doors H1817 ,
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11. यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमंडने वाली लहरें यहीं थम जाएं?
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11. And said H559 , Hitherto H5704 H6311 shalt thou come H935 , but no H3808 further H3254 : and here H6311 shall thy proud H1347 waves H1530 be stayed H7896 ?
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12. क्या तू ने जीवन भर में कभी भोर को आज्ञा दी, और पौ को उसका स्थान जताया है,
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12. Hast thou commanded H6680 the morning H1242 since thy days H4480 H3117 ; and caused the dayspring H7837 to know H3045 his place H4725 ;
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13. ताकि वह पृथ्वी की छोरों को वश में करे, और दुष्ट लोग उस में से झाड़ दिए जाएं?
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13. That it might take hold H270 of the ends H3671 of the earth H776 , that the wicked H7563 might be shaken H5287 out of H4480 it?
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14. वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी बदलती है, और सब वस्तुएं मानो वस्त्र पहिने हुए दिखाई देती हैं।
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14. It is turned H2015 as clay H2563 to the seal H2368 ; and they stand H3320 as H3644 a garment H3830 .
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15. दुष्टों से उनका उजियाला रोक लिया जाता है, और उनकी बढ़ाई हुई बांह तोड़ी जाती है।
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15. And from the wicked H4480 H7563 their light H216 is withheld H4513 , and the high H7311 arm H2220 shall be broken H7665 .
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16. क्या तू कभी समुद्र के सोतों तक पहुंचा है, वा गहिरे सागर की थाह में कभी चला फिरा है?
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16. Hast thou entered H935 into H5704 the springs H5033 of the sea H3220 ? or hast thou walked H1980 in the search H2714 of the depth H8415 ?
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17. क्या मृत्यु के फाटक तुझ पर प्रगट हुए, क्या तू घोर अन्धकार के फाटकों को कभी देखन पाया है?
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17. Have the gates H8179 of death H4194 been opened H1540 unto thee? or hast thou seen H7200 the doors H8179 of the shadow of death H6757 ?
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18. क्या तू ने पृथ्वी की चौड़ाई को पूरी रीति से समझ लिया है? यदि तू यह सब जानता है, तो बतला दे।
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18. Hast thou perceived H995 H5704 the breadth H7338 of the earth H776 ? declare H5046 if H518 thou knowest H3045 it all H3605 .
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19. उजियाले के निवास का मार्ग कहां है, और अन्धियारे का स्थान कहां है?
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19. Where H335 H2088 is the way H1870 where light H216 dwelleth H7931 ? and as for darkness H2822 , where H335 H2088 is the place H4725 thereof,
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20. क्या तू उसे उसके सिवाने तक हटा सकता है, और उसके घर की डगर पहिचान सकता है?
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20. That H3588 thou shouldest take H3947 it to H413 the bound H1366 thereof , and that H3588 thou shouldest know H995 the paths H5410 to the house H1004 thereof?
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21. नि:सन्देह तू यह सब कुछ जानता होगा! क्योंकि तू तो उस समय उत्पन्न हुआ था, और तू बहुत आयु का है।
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21. Knowest H3045 thou it , because H3588 thou wast then H227 born H3205 ? or because the number H4557 of thy days H3117 is great H7227 ?
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22. फिर क्या तू कभी हिम के भणडार में पैठा, वा कभी ओलों के भणडार को तू ने देखा है,
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22. Hast thou entered H935 into H413 the treasures H214 of the snow H7950 ? or hast thou seen H7200 the treasures H214 of the hail H1259 ,
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23. जिस को मैं ने संकट के समय और युद्ध और लड़ाई के दिन के लिये रख छोड़ा है?
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23. Which H834 I have reserved H2820 against the time H6256 of trouble H6862 , against the day H3117 of battle H7128 and war H4421 ?
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24. किस मार्ग से उजियाला फैलाया जाता है, ओर पुरवाई पृथ्वी पर बहाई जाती है?
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24. By what H335 H2088 way H1870 is the light H216 parted H2505 , which scattereth H6327 the east wind H6921 upon H5921 the earth H776 ?
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25. महावृष्टि के लिये किस ने नाला काटा, और कड़कने वाली बिजली के लिये मार्ग बनाया है,
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25. Who H4310 hath divided H6385 a watercourse H8585 for the overflowing of waters H7858 , or a way H1870 for the lightning H2385 of thunder H6963 ;
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26. कि निर्जन देश में और जंगल में जहां कोई मनुष्य नहीं रहता मेंह बरसाकर,
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26. To cause it to rain H4305 on H5921 the earth H776 , where no H3808 man H376 is; on the wilderness H4057 , wherein there is no H3808 man H120 ;
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27. उजाड़ ही उजाड़ देश को सींचे, और हरी घास उगाए?
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27. To satisfy H7646 the desolate H7722 and waste H4875 ground ; and to cause the bud H4161 of the tender herb H1877 to spring forth H6779 ?
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28. क्या मेंह का कोई पिता है, और ओस की बूंदें किस ने उत्पन्न की?
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28. Hath H3426 the rain H4306 a father H1 ? or H176 who H4310 hath begotten H3205 the drops H96 of dew H2919 ?
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29. किस के गर्भ से बर्फ निकला है, और आकाश से गिरे हुए पाले को कौन उत्पन्न करता है?
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29. Out of whose womb H4480 H990 H4310 came H3318 the ice H7140 ? and the hoary frost H3713 of heaven H8064 , who H4310 hath engendered H3205 it?
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30. जल पत्थर के समान जम जाता है, और गहिरे पानी के ऊपर जमावट होती है।
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30. The waters H4325 are hid H2244 as with a stone H68 , and the face H6440 of the deep H8415 is frozen H3920 .
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31. क्या तू कचपचिया का गुच्छा गूंथ सकता वा मृगशिरा के बन्धन खोल सकता है?
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31. Canst thou bind H7194 the sweet influences H4575 of Pleiades H3598 , or H176 loose H6605 the bands H4189 of Orion H3685 ?
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32. क्या तू राशियों को ठीक ठीक समय पर उदय कर सकता, वा सप्तर्षि को साथियों समेत लिए चल सकता है?
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32. Canst thou bring forth H3318 Mazzaroth H4216 in his season H6256 ? or canst thou guide H5148 Arcturus H5906 with H5921 his sons H1121 ?
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33. क्या तू आकाशमण्डल की विधियां जानता और पृथ्वी पर उनका अधिकार ठहरा सकता है?
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33. Knowest H3045 thou the ordinances H2708 of heaven H8064 ? canst thou set H7760 the dominion H4896 thereof in the earth H776 ?
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34. क्या तू बादलों तक अपनी वाणी पहुंचा सकता है ताकि बहुत जल बरस कर तुझे छिपा ले?
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34. Canst thou lift up H7311 thy voice H6963 to the clouds H5645 , that abundance H8229 of waters H4325 may cover H3680 thee?
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35. क्या तू बिजली को आज्ञा दे सकता है, कि वह जाए, और तुझ से कहे, मैं उपस्थित हूँ?
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35. Canst thou send H7971 lightnings H1300 , that they may go H1980 , and say H559 unto thee, Here H2009 we are ?
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36. किस ने अन्त:करण में बुद्धि उपजाई, और मन में समझने की शक्ति किस ने दी है?
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36. Who H4310 hath put H7896 wisdom H2451 in the inward parts H2910 ? or H176 who H4310 hath given H5414 understanding H998 to the heart H7907 ?
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37. कौन बुद्धि से बादलों को गिन सकता है? और कौन आकाश के कुप्पों को उण्डेल सकता है,
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37. Who H4310 can number H5608 the clouds H7834 in wisdom H2451 ? or who H4310 can stay H7901 the bottles H5035 of heaven H8064 ,
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38. जब धूलि जम जाती है, और ढेले एक दूसरे से सट जाते हैं?
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38. When the dust H6083 groweth H3332 into hardness H4165 , and the clods H7263 cleave fast together H1692 ?
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39. क्या तू सिंहनी के लिये अहेर पकड़ सकता, और जवान सिंहों का पेट भर सकता है,
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39. Wilt thou hunt H6679 the prey H2964 for the lion H3833 ? or fill H4390 the appetite H2416 of the young lions H3715 ,
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40. जब वे मांद में बैठे हों और आड़ में घात लगाए दबक कर बैठे हों?
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40. When H3588 they couch H7817 in their dens H4585 , and abide H3427 in the covert H5521 to lie in wait H3926 H695 ?
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41. फिर जब कौवे के बच्चे ईश्वर की दोहाई देते हुए निराहार उड़ते फिरते हैं, तब उन को आहार कौन देता है?
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41. Who H4310 provideth H3559 for the raven H6158 his food H6718 ? when H3588 his young ones H3206 cry H7768 unto H413 God H410 , they wander H8582 for lack H1097 of meat H400 .
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