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1. {धर्म का राज्य} PS देखो, एक राजा धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमार न्याय से हुकूमत करेंगे। (प्रका. 19:11, इब्रा. 1:8-9)
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1. Behold H2005 , a king H4428 shall reign H4427 in righteousness H6664 , and princes H8269 shall rule H8323 in judgment H4941 .
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2. हर एक मानो आँधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।
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2. And a man H376 shall be H1961 as a hiding place H4224 from the wind H7307 , and a covert H5643 from the tempest H2230 ; as rivers H6388 of water H4325 in a dry place H6724 , as the shadow H6738 of a great H3515 rock H5553 in a weary H5889 land H776 .
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3. उस समय देखनेवालों की आँखें धुँधली न होंगी, और सुननेवालों के कान लगे रहेंगे।
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3. And the eyes H5869 of them that see H7200 shall not H3808 be dim H8159 , and the ears H241 of them that hear H8085 shall hearken H7181 .
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4. उतावलों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और तुतलानेवालों की जीभ फुर्ती से और साफ बोलेगी।
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4. The heart H3824 also of the rash H4116 shall understand H995 knowledge H3045 , and the tongue H3956 of the stammerers H5926 shall be ready H4116 to speak H1696 plainly H6703 .
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5. मूर्ख फिर उदार न कहलाएगा और न कंजूस दानी कहा जाएगा।
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5. The vile person H5036 shall be no H3808 more H5750 called H7121 liberal H5081 , nor H3808 the churl H3596 said H559 to be bountiful H7771 .
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6. क्योंकि मूर्ख तो मूर्खता ही की बातें बोलता* और मन में अनर्थ ही गढ़ता रहता है कि वह अधर्म के काम करे और यहोवा के विरुद्ध झूठ कहे, भूखे को भूखा ही रहने दे और प्यासे का जल रोक रखे।
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6. For H3588 the vile person H5036 will speak H1696 villainy H5039 , and his heart H3820 will work H6213 iniquity H205 , to practice H6213 hypocrisy H2612 , and to utter H1696 error H8442 against H413 the LORD H3068 , to make empty H7324 the soul H5315 of the hungry H7457 , and he will cause the drink H4945 of the thirsty H6771 to fail H2637 .
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7. छली की चालें बुरी होती हैं, वह दुष्ट युक्तियाँ निकालता है कि दरिद्र को भी झूठी बातों में लूटे जब कि वे ठीक और नम्रता से भी बोलते हों।
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7. The instruments H3627 also of the churl H3596 are evil H7451 : he H1931 deviseth H3289 wicked devices H2154 to destroy H2254 the poor H6041 with lying H8267 words H561 , even when the needy H34 speaketh H1696 right H4941 .
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8. परन्तु उदार मनुष्य उदारता ही की युक्तियाँ निकालता है, वह उदारता में स्थिर भी रहेगा। PS
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8. But the liberal H5081 deviseth H3289 liberal things H5081 ; and by H5921 liberal things H5081 shall he stand H6965 .
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9. {यरूशलेम की स्त्रियाँ} PS हे सुखी स्त्रियों, उठकर मेरी सुनो; हे निश्चिन्त पुत्रियों*, मेरे वचन की ओर कान लगाओ।
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9. Rise up H6965 , ye women H802 that are at ease H7600 ; hear H8085 my voice H6963 , ye careless H982 daughters H1323 ; give ear H238 unto my speech H565 .
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10. हे निश्चिन्त स्त्रियों, वर्ष भर से कुछ ही अधिक समय में तुम विकल हो जाओगी; क्योंकि तोड़ने को दाखें न होंगी और न किसी भाँति के फल हाथ लगेंगे।
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10. Many days H3117 and years H8141 shall ye be troubled H7264 , ye careless women H982 : for H3588 the vintage H1210 shall fail H3615 , the gathering H625 shall not H1097 come H935 .
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11. हे सुखी स्त्रियों, थरथराओ, हे निश्चिन्त स्त्रियों, विकल हो; अपने-अपने वस्त्र उतारकर अपनी-अपनी कमर में टाट कसो।
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11. Tremble H2729 , ye women that are at ease H7600 ; be troubled H7264 , ye careless ones H982 : strip H6584 you , and make you bare H6209 , and gird H2290 sackcloth upon H5921 your loins H2504 .
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12. वे मनभाऊ खेतों और फलवन्त दाखलताओं के लिये छाती पीटेंगी।
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12. They shall lament H5594 for H5921 the teats H7699 , for H5921 the pleasant H2531 fields H7704 , for H5921 the fruitful H6509 vine H1612 .
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13. मेरे लोगों के वरन् प्रसन्न नगर के सब हर्ष भरे घरों में भी भाँति-भाँति के कटीले पेड़ उपजेंगे।
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13. Upon H5921 the land H127 of my people H5971 shall come up H5927 thorns H6975 and briers H8068 ; yea H3588 , upon H5921 all H3605 the houses H1004 of joy H4885 in the joyous H5947 city H7151 :
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14. क्योंकि राजभवन त्यागा जाएगा, कोलाहल से भरा नगर सुनसान हो जाएगा और पहाड़ी और उन पर के पहरुओं के घर सदा के लिये माँदे और जंगली गदहों का विहार-स्थान और घरेलू पशुओं की चराई उस समय तक बने रहेंगे
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14. Because H3588 the palaces H759 shall be forsaken H5203 ; the multitude H1995 of the city H5892 shall be left H5800 ; the forts H6076 and towers H975 shall be H1961 for H1157 dens H4631 forever H5704 H5769 , a joy H4885 of wild asses H6501 , a pasture H4829 of flocks H5739 ;
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15. जब तक आत्मा ऊपर से हम पर उण्डेला न जाए, और जंगल फलदायक बारी न बने, और फलदायक बारी फिर वन न गिनी जाए।
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15. Until H5704 the spirit H7307 be poured H6168 upon H5921 us from on high H4480 H4791 , and the wilderness H4057 be H1961 a fruitful field H3759 , and the fruitful field H3759 be counted H2803 for a forest H3293 .
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16. तब उस जंगल में न्याय बसेगा, और उस फलदायक बारी में धर्म रहेगा।
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16. Then judgment H4941 shall dwell H7931 in the wilderness H4057 , and righteousness H6666 remain H3427 in the fruitful field H3759 .
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17. और धर्म का फल शान्ति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा। (रोम. 14:7, याकू. 3:18)
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17. And the work H4639 of righteousness H6666 shall be H1961 peace H7965 ; and the effect H5656 of righteousness H6666 quietness H8252 and assurance H983 forever H5704 H5769 .
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18. मेरे लोग शान्ति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।
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18. And my people H5971 shall dwell H3427 in a peaceable H7965 habitation H5116 , and in sure H4009 dwellings H4908 , and in quiet H7600 resting places H4496 ;
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19. वन के विनाश के समय ओले गिरेंगे, और नगर पूरी रीति से चौपट हो जाएगा।
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19. When it shall hail H1258 , coming down H3381 on the forest H3293 ; and the city H5892 shall be low H8213 in a low place H8218 .
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20. क्या ही धन्य हो तुम जो सब जलाशयों के पास बीज बोते, और बैलों और गदहों को स्वतंत्रता से चराते हो। PE
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20. Blessed H835 are ye that sow H2232 beside H5921 all H3605 waters H4325 , that send forth H7971 thither the feet H7272 of the ox H7794 and the ass H2543 .
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