|
|
1. हे परमेश्वर, सिय्योन में स्तुति तेरी बाट जोहती है; और तेरे लिये मन्नतें पूरी की जाएँगी*।
|
1. To the chief Musician H5329 , A Psalm H4210 and Song H7892 of David H1732 . Praise H8416 waiteth H1747 for thee , O God H430 , in Zion H6726 : and unto thee shall the vow H5088 be performed H7999 .
|
2. हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएँगे। (प्रेरि. 10:34-35, यह 66:23)
|
2. O thou that hearest H8085 prayer H8605 , unto H5704 thee shall all H3605 flesh H1320 come H935 .
|
3. अधर्म के काम मुझ पर प्रबल हुए हैं; हमारे अपराधों को तू क्षमा करेगा।
|
3. Iniquities H1697 H5771 prevail H1396 against H4480 me: as for our transgressions H6588 , thou H859 shalt purge them away H3722 .
|
4. क्या ही धन्य है वह, जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे आँगनों में वास करे! हम तेरे भवन के, अर्थात् तेरे पवित्र मन्दिर के उत्तम-उत्तम पदार्थों से तृप्त होंगे।
|
4. Blessed H835 is the man whom thou choosest H977 , and causest to approach H7126 unto thee, that he may dwell H7931 in thy courts H2691 : we shall be satisfied H7646 with the goodness H2898 of thy house H1004 , even of thy holy H6918 temple H1964 .
|
5. हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हे पृथ्वी के सब दूर-दूर देशों के और दूर के समुद्र पर के रहनेवालों के आधार, तू धार्मिकता से किए हुए अद्भुत कार्यों द्वारा हमें उत्तर देगा;
|
5. By terrible things H3372 in righteousness H6664 wilt thou answer H6030 us , O God H430 of our salvation H3468 ; who art the confidence H4009 of all H3605 the ends H7099 of the earth H776 , and of them that are afar off H7350 upon the sea H3220 :
|
6. तू जो पराक्रम का फेंटा कसे हुए, अपनी सामर्थ्य के पर्वतों को स्थिर करता है;
|
6. Which by his strength H3581 setteth fast H3559 the mountains H2022 ; being girded H247 with power H1369 :
|
7. तू जो समुद्र का महाशब्द, उसकी तरंगों का महाशब्द, और देश-देश के लोगों का कोलाहल शान्त करता है*; (मत्ती 8:26, यह. 17:12-13)
|
7. Which stilleth H7623 the noise H7588 of the seas H3220 , the noise H7588 of their waves H1530 , and the tumult H1995 of the people H3816 .
|
8. इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं; तू उदयाचल और अस्ताचल दोनों से जयजयकार कराता है।
|
8. They also that dwell H3427 in the uttermost parts H7098 are afraid H3372 at thy tokens H4480 H226 : thou makest the outgoings H4161 of the morning H1242 and evening H6153 to rejoice H7442 .
|
9. तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्वर की नदी जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार करके मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है।
|
9. Thou visitest H6485 the earth H776 , and waterest H7783 it : thou greatly H7227 enrichest H6238 it with the river H6388 of God H430 , which is full H4390 of water H4325 : thou preparest H3559 them corn H1715 , when H3588 thou hast so H3651 provided H3559 for it.
|
10. तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है।
|
10. Thou waterest the ridges H8525 thereof abundantly H7301 : thou settlest H5181 the furrows H1417 thereof : thou makest it soft H4127 with showers H7241 : thou blessest H1288 the springing H6780 thereof.
|
11. तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है; तेरे मार्गों में उत्तम-उत्तम पदार्थ पाए जाते हैं।
|
11. Thou crownest H5849 the year H8141 with thy goodness H2896 ; and thy paths H4570 drop H7491 fatness H1880 .
|
12. वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं; और पहाड़ियाँ हर्ष का फेंटा बाँधे हुए है।
|
12. They drop H7491 upon the pastures H4999 of the wilderness H4057 : and the little hills H1389 rejoice H1524 on every side H2296 .
|
13. चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं; और तराइयाँ अन्न से ढँपी हुई हैं, वे जयजयकार करती और गाती भी हैं। PE
|
13. The pastures H3733 are clothed H3847 with flocks H6629 ; the valleys H6010 also are covered over H5848 with corn H1250 ; they shout for joy H7321 , they also H637 sing H7891 .
|