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1. फिर एलीहू यों कहता गया;
1. Furthermore Elihu H453 answered H6030 and said H559 ,
2. हे बुद्धिमानो! मेरी बातें सुनो, और हे ज्ञानियो! मेरी बातों पर कान लगाओ;
2. Hear H8085 my words H4405 , O ye wise H2450 men ; and give ear H238 unto me , ye that have knowledge H3045 .
3. क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं।
3. For H3588 the ear H241 trieth H974 words H4405 , as the mouth H2441 tasteth H2938 meat H398 .
4. जो कुछ ठीक है, हम अपने लिये चुन लें; जो भला है, हम आपस में समझ बूझ लें।
4. Let us choose H977 to us judgment H4941 : let us know H3045 among H996 ourselves what H4100 is good H2896 .
5. क्योंकि अय्यूब ने कहा है, कि मैं निर्दोष हूँ, और ईश्वर ने मेरा हक़ मार दिया है।
5. For H3588 Job H347 hath said H559 , I am righteous H6663 : and God H410 hath taken away H5493 my judgment H4941 .
6. यद्यपि मैं सच्चाई पर हूं, तौभी झूठा ठहरता हूँ, मैं निरपराध हूँ, परन्तु मेरा घाव असाध्य है।
6. Should I lie H3576 against H5921 my right H4941 ? my wound H2671 is incurable H605 without H1097 transgression H6588 .
7. अय्यूब के तुल्य कौन शूरवीर है, जो ईश्वर की निन्दा पानी की नाईं पीता है,
7. What H4310 man H1397 is like Job H347 , who drinketh up H8354 scorning H3933 like water H4325 ?
8. जो अनर्थ करने वालों का साथ देता, और दुष्ट मनुष्यों की संगति रखता है?
8. Which goeth H732 in company H2274 with H5973 the workers H6466 of iniquity H205 , and walketh H1980 with H5973 wicked H7562 men H376 .
9. उसने तो कहा है, कि मनुष्य को इस से कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्वर की संगति रखे।
9. For H3588 he hath said H559 , It profiteth H5532 a man H1397 nothing H3808 that he should delight H7521 himself with H5973 God H430 .
10. इसलिऐ हे समझवालो! मेरी सुनो, यह सम्भव नहीं कि ईश्वर दुष्टता का काम करे, और सर्वशकितमान बुराई करे।
10. Therefore H3651 hearken H8085 unto me , ye men H376 of understanding H3824 : far be it H2486 from God H410 , that he should do wickedness H4480 H7562 ; and from the Almighty H7706 , that he should commit iniquity H4480 H5766 .
11. वह मनुष्य की करनी का फल देता है, और प्रत्येक को अपनी अपनी चाल का फल भुगताता है।
11. For H3588 the work H6467 of a man H120 shall he render H7999 unto him , and cause every man H376 to find H4672 according to his ways H734 .
12. नि:सन्देह ईश्वर दुष्टता नहीं करता और सर्वशक्तिमान अन्याय करता है।
12. Yea H637 , surely H551 God H410 will not H3808 do wickedly H7561 , neither H3808 will the Almighty H7706 pervert H5791 judgment H4941 .
13. किस ने पृथ्वी को उसके हाथ में सौंप दिया? वा किस ने सारे जगत का प्रबन्ध किया?
13. Who H4310 hath given him a charge H6485 H5921 over the earth H776 ? or who H4310 hath disposed H7760 the whole H3605 world H8398 ?
14. यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये और अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले,
14. If H518 he set H7760 his heart H3820 upon H413 man, if he gather H622 unto H413 himself his spirit H7307 and his breath H5397 ;
15. तो सब देहधारी एक संग नाश हो जाएंगे, और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा।
15. All H3605 flesh H1320 shall perish H1478 together H3162 , and man H120 shall turn again H7725 unto H5921 dust H6083 .
16. इसलिये इस को सुन कर समझ रख, और मेरी इन बातों पर कान लगा।
16. If H518 now thou hast understanding H998 , hear H8085 this H2063 : hearken H238 to the voice H6963 of my words H4405 .
17. जो न्याय का बैरी हो, क्या वह शासन करे? जो पूर्ण धमीं है, क्या तू उसे दुष्ट ठहराएगा?
17. Shall even H637 he that hateth H8130 right H4941 govern H2280 ? and wilt thou condemn H7561 him that is most H3524 just H6662 ?
18. वह राजा से कहता है कि तू नीच है; और प्रधानों से, कि तुम दुष्ट हो।
18. Is it fit to say H559 to a king H4428 , Thou art wicked H1100 ? and to H413 princes H5081 , Ye are ungodly H7563 ?
19. ईश्वर तो हाकिमों का पक्ष नहीं करता और धनी और कंगाल दोनों को अपने बनाए हुए जान कर उन में कुछ भेद नहीं करता।
19. How much less to him that H834 accepteth H5375 not H3808 the persons H6440 of princes H8269 , nor H3808 regardeth H5234 the rich H7771 more than H6440 the poor H1800 ? for H3588 they all H3605 are the work H4639 of his hands H3027 .
20. आधी रात को पल भर में वे मर जाते हैं, और प्रजा के लोग हिलाए जाते और जाते रहते हैं। और प्रतापी लोग बिना हाथ लगाए उठा लिए जाते हैं।
20. In a moment H7281 shall they die H4191 , and the people H5971 shall be troubled H1607 at midnight H2676 H3915 , and pass away H5674 : and the mighty H47 shall be taken away H5493 without H3808 hand H3027 .
21. क्योंकि ईश्वर की आंखें मनुष्य की चालचलन पर लगी रहती हैं, और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है।
21. For H3588 his eyes H5869 are upon H5921 the ways H1870 of man H376 , and he seeth H7200 all H3605 his goings H6806 .
22. ऐसा अन्धियारा वा घोर अन्धकार कहीं नहीं है जिस में अनर्थ करने वाले छिप सकें।
22. There is no H369 darkness H2822 , nor H369 shadow of death H6757 , where H8033 the workers H6466 of iniquity H205 may hide themselves H5641 .
23. क्योंकि उसने मनुष्य का कुछ समय नहीं ठहराया ताकि वह ईश्वर के सम्मुख अदालत में जाए।
23. For H3588 he will not H3808 lay H7760 upon H5921 man H376 more H5750 than right ; that he should enter H1980 into judgment H4941 with H413 God H410 .
24. वह बड़े बड़े बलवानों को बिना पूछपाछ के चूर चूर करता है, और उनके स्थान पर औरों को खड़ा कर देता है।
24. He shall break in pieces H7489 mighty men H3524 without H3808 number H2714 , and set H5975 others H312 in their stead H8478 .
25. इसलिये कि वह उनके कामों को भली भांति जानता है, वह उन्हें रात में ऐसा उलट देता है कि वे चूर चूर हो जाते हैं।
25. Therefore H3651 he knoweth H5234 their works H4566 , and he overturneth H2015 them in the night H3915 , so that they are destroyed H1792 .
26. वह उन्हें दुष्ट जान कर सभों के देखते मारता है,
26. He striketh H5606 them as H8478 wicked men H7563 in the open H4725 sight H7200 of others;
27. क्योंकि उन्होंने उसके पीछे चलना छोड़ दिया है, और उसके किसी मार्ग पर चित्त लगाया,
27. Because H834 H3651 H5921 they turned back H5493 from H4480 H310 him , and would not H3808 consider H7919 any H3605 of his ways H1870 :
28. यहां तक कि उनके कारण कंगालों की दोहाई उस तक पहुंची और उसने दीन लोगों की दोहाई सुनी।
28. So that they cause the cry H6818 of the poor H1800 to come H935 unto H5921 him , and he heareth H8085 the cry H6818 of the afflicted H6041 .
29. जब वह चैन देता तो उसे कौन दोषी ठहरा सकता है? और जब वह मुंह फेर ले, तब कौन उसका दर्शन पा सकता है? जाति भर के साथ और अकेले मनुष्य, दोनों के साथ उसका बराबर व्यवहार है
29. When he H1931 giveth quietness H8252 , who H4310 then can make trouble H7561 ? and when he hideth H5641 his face H6440 , who H4310 then can behold H7789 him? whether it be done against H5921 a nation H1471 , or against H5921 a man H120 only H3162 :
30. ताकि भक्तिहीन राज्य करता रहे, और प्रजा फन्दे में फंसाई जाए।
30. That the hypocrite H120 H2611 reign not H4480 H4427 , lest the people H5971 be ensnared H4480 H4170 .
31. क्या किसी ने कभी ईश्वर से कहा, कि मैं ने दण्ड सहा, अब मैं भविष्य में बुराई करूंगा,
31. Surely it is meet H3588 to be said H559 unto H413 God H410 , I have borne H5375 chastisement , I will not H3808 offend H2254 any more :
32. जो कुछ मुझे नहीं सूज पड़ता, वह तू मुझे सिखा दे; और यदि मैं ने टेढ़ा काम किया हो, तो भविष्य में वैसा करूंगा?
32. That which I see H2372 not H1107 teach H3384 thou H859 me: if H518 I have done H6466 iniquity H5766 , I will do H3254 no H3808 more.
33. क्या वह तेरे ही मन के अनुसार बदला पाए क्योंकि तू उस से अप्रसन्न है? क्योंकि तुझे निर्णय करना है, कि मुझे; इस कारण जो कुछ तुझे समझ पड़ता है, वह कह दे।
33. Should it be according to thy mind H4480 H5973 ? he will recompense H7999 it, whether H3588 thou refuse H3988 , or whether H3588 thou H859 choose H977 ; and not H3808 I H589 : therefore speak H1696 what H4100 thou knowest H3045 .
34. सब ज्ञानी पुरुष वरन जितने बुद्धिमान मेरी सुनते हैं वे मुझ से कहेंगे, कि
34. Let men H376 of understanding H3824 tell H559 me , and let a wise H2450 man H1397 hearken H8085 unto me.
35. अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं कहता, और उसके वचन समझ के साथ होते हैं।
35. Job H347 hath spoken H1696 without H3808 knowledge H1847 , and his words H1697 were without H3808 wisdom H7919 .
36. भला होता, कि अय्यूब अन्त तक परीक्षा में रहता, क्योंकि उसने अनर्थियों के से उत्तर दिए हैं।
36. My desire H15 is that Job H347 may be tried H974 unto H5704 the end H5331 because H5921 of his answers H8666 for wicked H205 men H376 .
37. और वह अपने पाप में विरोध बढ़ाता है; ओर हमारे बीच ताली बजाता है, और ईश्वर के विरुद्ध बहुत सी बातें बनाता है।
37. For H3588 he addeth H3254 rebellion H6588 unto H5921 his sin H2403 , he clappeth H5606 his hands among H996 us , and multiplieth H7235 his words H561 against God H410 .
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