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1. कल के दिन के विषय में मत फूल, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा।
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1. Boast not thyself H408 H1984 of tomorrow H3117 H4279 ; for H3588 thou knowest H3045 not H3808 what H4100 a day H3117 may bring forth H3205 .
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2. तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तूझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना।
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2. Let another man H2114 praise H1984 thee , and not H3808 thine own mouth H6310 ; a stranger H5237 , and not H408 thine own lips H8193 .
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3. पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ का क्रोध उन दोनों से भी भारी है।
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3. A stone H68 is heavy H3514 , and the sand H2344 weighty H5192 ; but a fool H191 's wrath H3708 is heavier H3515 than them both H4480 H8147 .
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4. क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?
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4. Wrath H2534 is cruel H395 , and anger H639 is outrageous H7858 ; but who H4310 is able to stand H5975 before H6440 envy H7068 ?
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5. खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है।
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5. Open H1540 rebuke H8433 is better H2896 than secret H5641 love H4480 H160 .
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6. जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।
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6. Faithful H539 are the wounds H6482 of a friend H157 ; but the kisses H5390 of an enemy H8130 are deceitful H6280 .
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7. सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं।
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7. The full H7649 soul H5315 loatheth H947 a honeycomb H5317 ; but to the hungry H7457 soul H5315 every H3605 bitter thing H4751 is sweet H4966 .
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8. स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है।
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8. As a bird H6833 that wandereth H5074 from H4480 her nest H7064 , so H3651 is a man H376 that wandereth H5074 from his place H4480 H4725 .
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9. जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है।
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9. Ointment H8081 and perfume H7004 rejoice H8055 the heart H3820 : so doth the sweetness H4986 of a man's friend H7453 by hearty counsel H4480 H6098 H5315 .
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10. जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।
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10. Thine own friend H7453 , and thy father H1 's friend H7453 , forsake H5800 not H408 ; neither H408 go H935 into thy brother H251 's house H1004 in the day H3117 of thy calamity H343 : for better H2896 is a neighbor H7934 that is near H7138 than a brother H4480 H251 far off H7350 .
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11. हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान हो कर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करने वाले को उत्तर दे सकूंगा।
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11. My son H1121 , be wise H2449 , and make my heart H3820 glad H8055 , that I may answer H7725 H1697 him that reproacheth H2778 me.
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12. बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं।
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12. A prudent H6175 man foreseeth H7200 the evil H7451 , and hideth himself H5641 ; but the simple H6612 pass on H5674 , and are punished H6064 .
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13. जो पराए का उत्तरदायी हो उसका कपड़ा, और जो अनजान का उत्तरदायी हो उस से बन्धक की वस्तु ले ले।
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13. Take H3947 his garment H899 that H3588 is surety H6148 for a stranger H2114 , and take a pledge H2254 of him for H1157 a strange woman H5237 .
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14. जो भोर को उठ कर अपने पड़ोसी को ऊंचे शब्द से आशीर्वाद देता है, उसके लिये यह शाप गिना जाता है।
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14. He that blesseth H1288 his friend H7453 with a loud H1419 voice H6963 , rising early H7925 in the morning H1242 , it shall be counted H2803 a curse H7045 to him.
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15. झड़ी के दिन पानी का लगातार टपकना, और झगडालू पत्नी दोनों एक से हैं;
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15. A continual H2956 dropping H1812 in a very rainy H5464 day H3117 and a contentious H4079 woman H802 are alike H7737 .
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16. जो उस को रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दाहिने हाथ से वह तेल पकड़ेगा।
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16. Whosoever hideth H6845 her hideth H6845 the wind H7307 , and the ointment H8081 of his right hand H3225 , which betrayeth H7121 itself .
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17. जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।
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17. Iron H1270 sharpeneth H2300 iron H1270 ; so a man H376 sharpeneth H2300 the countenance H6440 of his friend H7453 .
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18. जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है।
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18. Whoso keepeth H5341 the fig tree H8384 shall eat H398 the fruit H6529 thereof : so he that waiteth H8104 on his master H113 shall be honored H3513 .
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19. जैसे जल में मुख की परछाई सुख से मिलती है, वैसे ही एक मनुष्य का मन दूसरे मनुष्य के मन से मिलता है।
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19. As in water H4325 face H6440 answereth to face H6440 , so H3651 the heart H3820 of man H120 to man H120 .
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20. जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आंखें भी तृप्त नहीं होती।
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20. Hell H7585 and destruction H10 are never H3808 full H7646 ; so the eyes H5869 of man H120 are never H3808 satisfied H7646 .
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21. जैसे चान्दी के लिये कुठाई और सोने के लिये भट्ठी हैं, वैसे ही मनुष्य के लिये उसकी प्रशंसा है।
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21. As the refining pot H4715 for silver H3701 , and the furnace H3564 for gold H2091 ; so is a man H376 to H6310 to his praise H4110 .
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22. चाहे तू मूर्ख को अनाज के बीच ओखली में डाल कर मूसल से कूटे, तौभी उसकी मूर्खता नहीं जाने की।
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22. Though H518 thou shouldest bray H3806 H853 a fool H191 in a mortar H4388 among H8432 wheat H7383 with a pestle H5940 , yet will not H3808 his foolishness H200 depart H5493 from H4480 H5921 him.
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23. अपनी भेड़-बकरियों की दशा भली-भांति मन लगा कर जान ले, और अपने सब पशुओं के झुण्डों की देखभाल उचित रीति से कर;
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23. Be thou diligent to know H3045 H3045 the state H6440 of thy flocks H6629 , and look H7896 H3820 well to thy herds H5739 .
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24. क्योंकि सम्पत्ति सदा नहीं ठहरती; और क्या राजमुकुट पीढ़ी-पीढ़ी चला जाता है?
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24. For H3588 riches H2633 are not H3808 forever H5769 : and doth H518 the crown H5145 endure to every generation H1755 H1755 ?
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25. कटी हुई घास उठ गई, नई घास दिखाई देती हैं, पहाड़ों की हरियाली काट कर इकट्ठी की गई है;
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25. The hay H2682 appeareth H1540 , and the tender grass H1877 showeth itself H7200 , and herbs H6212 of the mountains H2022 are gathered H622 .
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26. भेड़ों के बच्चे तेरे वस्त्र के लिये हैं, और बकरों के द्वारा खेत का मूल्य दिया जाएगा;
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26. The lambs H3532 are for thy clothing H3830 , and the goats H6260 are the price H4242 of the field H7704 .
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27. और बकरियों का इतना दूध होगा कि तू अपने घराने समेत पेट भर के पिया करेगा, और तेरी लौण्डियों का भी जीवन निर्वाह होता रहेगा॥
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27. And thou shalt have goats H5795 ' milk H2461 enough H1767 for thy food H3899 , for the food H3899 of thy household H1004 , and for the maintenance H2416 for thy maidens H5291 .
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