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1. तब शूही बिल्दद ने कहा,
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1. Then answered H6030 Bildad H1085 the Shuhite H7747 , and said H559 ,
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2. प्रभुता करना और डराना यह उसी का काम है; वह अपने ऊंचे ऊंचे स्थानों में शान्ति रखता है।
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2. Dominion H4910 and fear H6343 are with H5973 him , he maketh H6213 peace H7965 in his high places H4791 .
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3. क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो सकती? और कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता?
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3. Is there H3426 any number H4557 of his armies H1416 ? and upon H5921 whom H4310 doth not H3808 his light H216 arise H6965 ?
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4. फिर मनुष्य ईश्वर की दृष्टि में धमीं क्योंकर ठहर सकता है? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह क्योंकर निर्मल हो सकता है?
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4. How H4100 then can man H582 be justified H6663 with H5973 God H410 ? or how H4100 can he be clean H2135 that is born H3205 of a woman H802 ?
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5. देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अन्धेरा ठहरता, और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते।
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5. Behold H2005 even H5704 to the moon H3394 , and it shineth H166 not H3808 ; yea , the stars H3556 are not pure H2141 H3808 in his sight H5869 .
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6. फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, और आदमी कहां रहा जो केंचुआ है!
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6. How much less H637 H3588 man H582 , that is a worm H7415 ? and the son H1121 of man H120 , which is a worm H8438 ?
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