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HOV
1. बुरे लोगों के विषय में डाह करना, और उसकी संगति की चाह रखना;
1. Be not H408 thou envious H7065 against evil H7451 men H376 , neither H408 desire H183 to be H1961 with H854 them.
2. क्योंकि वे उपद्रव सोचते रहते हैं, और उनके मुंह से दुष्टता की बात निकलती है।
2. For H3588 their heart H3820 studieth H1897 destruction H7701 , and their lips H8193 talk H1696 of mischief H5999 .
3. घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।
3. Through wisdom H2451 is a house H1004 built H1129 ; and by understanding H8394 it is established H3559 :
4. ज्ञान के द्वारा कोठरियां सब प्रकार की बहुमूल्य और मनभाऊ वस्तुओं से भर जाती हैं।
4. And by knowledge H1847 shall the chambers H2315 be filled H4390 with all H3605 precious H3368 and pleasant H5273 riches H1952 .
5. बुद्धिमान पुरूष बलवान भी होता है, और ज्ञानी जन अधिक शक्तिमान होता है।
5. A wise H2450 man H1397 is strong H5797 ; yea , a man H376 of knowledge H1847 increaseth H553 strength H3581 .
6. इसलिये जब तू युद्ध करे, तब युक्ति के साथ करना, विजय बहुत से मन्त्रियों के द्वारा प्राप्त होती है।
6. For H3588 by wise counsel H8458 thou shalt make H6213 thy war H4421 : and in multitude H7230 of counselors H3289 there is safety H8668 .
7. बुद्धि इतने ऊंचे पर है कि मूढ़ उसे पा नहीं सकता; वह सभा में अपना मुंह खोल नहीं सकता॥
7. Wisdom H2454 is too high H7311 for a fool H191 : he openeth H6605 not H3808 his mouth H6310 in the gate H8179 .
8. जो सोच विचार के बुराई करता है, उस को लोग दुष्ट कहते हैं।
8. He that deviseth H2803 to do evil H7489 shall be called H7121 a mischievous H4209 person H1167 .
9. मूर्खता का विचार भी पाप है, और ठट्ठा करने वाले से मनुष्य घृणा करते हैं॥
9. The thought H2154 of foolishness H200 is sin H2403 : and the scorner H3887 is an abomination H8441 to men H120 .
10. यदि तू विपत्ति के समय साहस छोड़ दे, तो तेरी शक्ति बहुत कम है।
10. If thou faint H7503 in the day H3117 of adversity H6869 , thy strength H3581 is small H6862 .
11. जो मार डाले जाने के लिये घसीटे जाते हैं उन को छुड़ा; और जो घात किए जाने को हैं उन्हें मत पकड़ा।
11. If H518 thou forbear H2820 to deliver H5337 them that are drawn H3947 unto death H4194 , and those that are ready H4131 to be slain H2027 ;
12. यदि तू कहे, कि देख मैं इस को जानता था, तो क्या मन का जांचने वाला इसे नहीं समझता? और क्या तेरे प्राणों का रक्षक इसे नहीं जानता? और क्या वह हर एक मनुष्य के काम का फल उसे देगा?
12. If H3588 thou sayest H559 , Behold H2005 , we knew H3045 it H2088 not H3808 ; doth not H3808 he that pondereth H8505 the heart H3820 consider H995 it ? and he that keepeth H5341 thy soul H5315 , doth not he H1931 know H3045 it ? and shall not he render H7725 to every man H120 according to his works H6467 ?
13. हे मेरे पुत्र तू मधु खा, क्योंकि वह अच्छा है, और मधु का छत्ता भी, क्योंकि वह तेरे मुंह में मीठा लगेगा।
13. My son H1121 , eat H398 thou honey H1706 , because H3588 it is good H2896 ; and the honeycomb H5317 , which is sweet H4966 to H5921 thy taste H2441 :
14. इसी रीति बुद्धि भी तुझे वैसी ही मीठी लगेगी; यदि तू उसे पा जाए तो अन्त में उसका फल भी मिलेगा, और तेरी आशा टूटेगी॥
14. So H3651 shall the knowledge H3045 of wisdom H2451 be unto thy soul H5315 : when H518 thou hast found H4672 it , then there shall be H3426 a reward H319 , and thy expectation H8615 shall not H3808 be cut off H3772 .
15. हे दुष्ट, तू धर्मी के निवास को नाश करने के लिये घात को बैठ; ओर उस के विश्रामस्थान को मत उजाड़;
15. Lay not wait H408 H693 , O wicked H7563 man , against the dwelling H5116 of the righteous H6662 ; spoil H7703 not H408 his resting place H7258 :
16. क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है; परन्तु दुष्ट लोग विपत्ति में गिर कर पड़े ही रहते हैं।
16. For H3588 a just H6662 man falleth H5307 seven H7651 times , and riseth up again H6965 : but the wicked H7563 shall fall H3782 into mischief H7451 .
17. जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन हो।
17. Rejoice H8055 not H408 when thine enemy H341 falleth H5307 , and let not H408 thine heart H3820 be glad H1523 when he stumbleth H3782 :
18. कहीं ऐसा हो कि यहोवा यह देख कर अप्रसन्न हो और अपना क्रोध उस पर से हटा ले॥
18. Lest H6435 the LORD H3068 see H7200 it , and it displease H7489 H5869 him , and he turn away H7725 his wrath H639 from H4480 H5921 him.
19. कुकमिर्यों के कारण मत कुढ़ दुष्ट लोगों के कारण डाह कर;
19. Fret not thyself H408 H2734 because of evil H7489 men , neither H408 be thou envious H7065 at the wicked H7563 ;
20. क्योंकि बुरे मनुष्य को अन्त में कुछ फल मिलेगा, दुष्टों का दिया बुझा दिया जाएगा॥
20. For H3588 there shall be H1961 no H3808 reward H319 to the evil H7451 man ; the candle H5216 of the wicked H7563 shall be put out H1846 .
21. हे मेरे पुत्र, यहोवा और राजा दोनों का भय मानना; और बलवा करने वालों के साथ मिलना;
21. My son H1121 , fear H3372 thou H853 the LORD H3068 and the king H4428 : and meddle H6148 not H408 with H5973 them that are given to change H8138 :
22. क्योंकि उन पर विपत्ति अचानक पड़ेगी, और दोनों की ओर से आने वाली आपत्ति को कौन जानता है?
22. For H3588 their calamity H343 shall rise H6965 suddenly H6597 ; and who H4310 knoweth H3045 the ruin H6365 of them both H8147 ?
23. बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं॥ न्याय में पक्षपात करना, किसी रीति भी अच्छा नहीं।
23. These H428 things also H1571 belong to the wise H2450 . It is not H1077 good H2896 to have respect H5234 of persons H6440 in judgment H4941 .
24. जो दुष्ट से कहता है कि तू निर्दोष है, उस को तो हर समाज के लोग शाप देते और जाति जाति के लोग धमकी देते हैं;
24. He that saith H559 unto the wicked H7563 , Thou H859 art righteous H6662 ; him shall the people H5971 curse H5344 , nations H3816 shall abhor H2194 him:
25. परन्तु जो लोग दुष्ट को डांटते हैं उनका भला होता है, और उत्तम से उत्तम आशीर्वाद उन पर आता है।
25. But to them that rebuke H3198 him shall be delight H5276 , and a good H2896 blessing H1293 shall come H935 upon H5921 them.
26. जो सीधा उत्तर देता है, वह होठों को चूमता है॥
26. Every man shall kiss H5401 his lips H8193 that giveth H7725 a right H5228 answer H1697 .
27. अपना बाहर का काम काज ठीक करना, और खेत में उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना॥
27. Prepare H3559 thy work H4399 without H2351 , and make it fit H6257 for thyself in the field H7704 ; and afterwards H310 build H1129 thine house H1004 .
28. व्यर्थ अपने पड़ोसी के विरूद्ध साक्षी देना, और उस को फुसलाना।
28. Be H1961 not H408 a witness H5707 against thy neighbor H7453 without cause H2600 ; and deceive H6601 not with thy lips H8193 .
29. मत कह, कि जैसा उस ने मेरे साथ किया वैसा ही मैं भी उसके साथ करूंगा; और उस को उसके काम के अनुसार पलटा दूंगा॥
29. Say H559 not H408 , I will do H6213 so H3651 to him as H834 he hath done H6213 to me : I will render H7725 to the man H376 according to his work H6467 .
30. मैं आलसी के खेत के पास से और निर्बुद्धि मनुष्य की दाख की बारी के पास हो कर जाता था,
30. I went H5674 by H5921 the field H7704 of the slothful H6102 H376 , and by H5921 the vineyard H3754 of the man H120 void H2638 of understanding H3820 ;
31. तो क्या देखा, कि वहां सब कहीं कटीले पेड़ भर गए हैं; और वह बिच्छू पेड़ों से ढंप गई है, और उसके पत्थर का बाड़ा गिर गया है।
31. And, lo H2009 , it was all H3605 grown over H5927 with thorns H7063 , and nettles H2738 had covered H3680 the face H6440 thereof , and the stone H68 wall H1444 thereof was broken down H2040 .
32. तब मैं ने देखा और उस पर ध्यान पूर्वक विचार किया; हां मैं ने देख कर शिक्षा प्राप्त की।
32. Then I H595 saw H2372 , and considered it well H7896 H3820 : I looked H7200 upon it, and received H3947 instruction H4148 .
33. छोटी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ी देर हाथ पर हाथ रख के और लेटे रहना,
33. Yet a little H4592 sleep H8142 , a little H4592 slumber H8572 , a little H4592 folding H2264 of the hands H3027 to sleep H7901 :
34. तब तेरा कंगालपन डाकू की नाईं, और तेरी घटी हथियारबन्द के समान पड़ेगी॥
34. So shall thy poverty H7389 come H935 as one that traveleth H1980 ; and thy want H4270 as an armed H4043 man H376 .
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