|
|
1. याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन॥ उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा,
|
1. The words H1697 of Agur H94 the son H1121 of Jakeh H3348 , even the prophecy H4853 : the man H1397 spoke H5002 unto Ithiel H384 , even unto Ithiel H384 and Ucal H401 ,
|
2. निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है।
|
2. Surely H3588 I H595 am more brutish H1198 than any man H4480 H376 , and have not H3808 the understanding H998 of a man H120 .
|
3. न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है।
|
3. I neither H3808 learned H3925 wisdom H2451 , nor have H3045 the knowledge H1847 of the holy H6918 .
|
4. कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता!
|
4. Who H4310 hath ascended up H5927 into heaven H8064 , or descended H3381 ? who H4310 hath gathered H622 the wind H7307 in his fists H2651 ? who H4310 hath bound H6887 the waters H4325 in a garment H8071 ? who H4310 hath established H6965 all H3605 the ends H657 of the earth H776 ? what H4100 is his name H8034 , and what H4100 is his son H1121 's name H8034 , if H3588 if thou canst tell H3045 ?
|
5. ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।
|
5. Every H3605 word H565 of God H433 is pure H6884 : he H1931 is a shield H4043 unto them that put their trust H2620 in him.
|
6. उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे॥
|
6. Add H3254 thou not H408 unto H5921 his words H1697 , lest H6435 he reprove H3198 thee , and thou be found a liar H3576 .
|
7. मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़:
|
7. Two H8147 things have I required H7592 of H4480 H854 thee; deny H4513 H4480 me them not H408 before H2962 I die H4191 :
|
8. अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।
|
8. Remove far H7368 from H4480 me vanity H7723 and lies H1697 H3577 : give H5414 me neither H408 poverty H7389 nor riches H6239 ; feed H2963 me with food H3899 convenient H2706 for me:
|
9. ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।
|
9. Lest H6435 I be full H7646 , and deny H3584 thee , and say H559 , Who H4310 is the LORD H3068 ? or lest H6435 I be poor H3423 , and steal H1589 , and take H8610 the name H8034 of my God H430 in vain .
|
10. किसी दास की, उसके स्वामी से चुगली न करना, ऐसा न हो कि वह तुझे शाप दे, और तू दोषी ठहराया जाए॥
|
10. Accuse H3960 not H408 a servant H5650 unto H413 his master H113 , lest H6435 he curse H7043 thee , and thou be found guilty H816 .
|
11. ऐसे लोग हैं, जो अपने पिता को शाप देते और अपनी माता को धन्य नहीं कहते।
|
11. There is a generation H1755 that curseth H7043 their father H1 , and doth not H3808 bless H1288 their mother H517 .
|
12. ऐसे लोग हैं जो अपनी दृष्टि में शुद्ध हैं, तौभी उनका मैल धोया नहीं गया।
|
12. There is a generation H1755 that are pure H2889 in their own eyes H5869 , and yet is not H3808 washed H7364 from their filthiness H4480 H6675 .
|
13. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं उनकी दृष्टि क्या ही घमण्ड से भरी रहती है, और उनकी आंखें कैसी चढ़ी हुई रहती हैं।
|
13. There is a generation H1755 , O how H4100 lofty H7311 are their eyes H5869 ! and their eyelids H6079 are lifted up H5375 .
|
14. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं, जिनके दांत तलवार और उनकी दाढ़ें छुरियां हैं, जिन से वे दीन लोगों को पृथ्वी पर से, और दरिद्रों को मनुष्यों में से मिटा डालें॥
|
14. There is a generation H1755 , whose teeth H8127 are as swords H2719 , and their jaw teeth H4973 as knives H3979 , to devour H398 the poor H6041 from off the earth H4480 H776 , and the needy H34 from among men H4480 H120 .
|
15. जैसे जोंक की दो बेटियां होती हैं, जो कहती हैं दे, दे, वैसे ही तीन वस्तुएं हैं, जो तृप्त नहीं होतीं; वरन चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं, बस।
|
15. The horseleach H5936 hath two H8147 daughters H1323 , crying , Give H3051 , give H3051 . There are three H7969 H2007 things that are never H3808 satisfied H7646 , yea , four H702 things say H559 not H3808 , It is enough H1952 :
|
16. अधोलोक और बांझ की कोख, भूमि जो जल पी पी कर तृप्त नहीं होती, और आग जो कभी नहीं कहती, बस॥
|
16. The grave H7585 ; and the barren H6115 womb H7356 ; the earth H776 that is not H3808 filled H7646 with water H4325 ; and the fire H784 that saith H559 not H3808 , It is enough H1952 .
|
17. जिस आंख से कोई अपने पिता पर अनादर की दृष्टि करे, और अपमान के साथ अपनी माता की आज्ञा न माने, उस आंख को तराई के कौवे खोद खोद कर निकालेंगे, और उकाब के बच्चे खा डालेंगे॥
|
17. The eye H5869 that mocketh H3932 at his father H1 , and despiseth H936 to obey H3349 his mother H517 , the ravens H6158 of the valley H5158 shall pick it out H5365 , and the young H1121 eagles H5404 shall eat H398 it.
|
18. तीन बातें मेरे लिये अधिक कठिन है, वरन चार हैं, जो मेरी समझ से परे हैं:
|
18. There be three H7969 things which are too wonderful H6381 for H4480 me, yea, four H702 which I know H3045 not H3808 :
|
19. आकाश में उकाब पक्षी का मार्ग, चट्टान पर सर्प की चाल, समुद्र में जहाज की चाल, और कन्या के संग पुरूष की चाल॥
|
19. The way H1870 of an eagle H5404 in the air H8064 ; the way H1870 of a serpent H5175 upon H5921 a rock H6697 ; the way H1870 of a ship H591 in the midst H3820 of the sea H3220 ; and the way H1870 of a man H1397 with a maid H5959 .
|
20. व्यभिचारिणी की चाल भी वैसी ही है; वह भोजन कर के मुंह पोंछती, और कहती है, मैं ने कोई अनर्थ काम नहीं किया॥
|
20. Such H3651 is the way H1870 of an adulterous H5003 woman H802 ; she eateth H398 , and wipeth H4229 her mouth H6310 , and saith H559 , I have done H6466 no H3808 wickedness H205 .
|
21. तीन बातों के कारण पृथ्वी कांपती है; वरन चार है, जो उस से सही नहीं जातीं:
|
21. For H8478 three H7969 things the earth H776 is disquieted H7264 , and for H8478 four H702 which it cannot H3808 H3201 bear H5375 :
|
22. दास का राजा हो जाना, मूढ़ का पेट भरना
|
22. For H8478 a servant H5650 when H3588 he reigneth H4427 ; and a fool H5036 when H3588 he is filled H7646 with meat H3899 ;
|
23. घिनौनी स्त्री का ब्याहा जाना, और दासी का अपनी स्वामिन की वारिस होना॥
|
23. For H8478 an odious H8130 woman when H3588 she is married H1166 ; and a handmaid H8198 that H3588 is heir H3423 to her mistress H1404 .
|
24. पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं:
|
24. There be four H702 things which are little H6996 upon the earth H776 , but they H1992 are exceeding wise H2449 H2450 :
|
25. च्यूटियां निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूप काल में अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं;
|
25. The ants H5244 are a people H5971 not H3808 strong H5794 , yet they prepare H3559 their meat H3899 in the summer H7019 ;
|
26. शापान बली जाति नहीं, तौभी उनकी मान्दें पहाड़ों पर होती हैं;
|
26. The conies H8227 are but a feeble H3808 H6099 folk H5971 , yet make H7760 they their houses H1004 in the rocks H5553 ;
|
27. टिड्डियों के राजा तो नहीं होता, तौभी वे सब की सब दल बान्ध बान्ध कर पलायन करती हैं;
|
27. The locusts H697 have no H369 king H4428 , yet go they forth H3318 all H3605 of them by bands H2686 ;
|
28. और छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तौभी राजभवनों में रहती है॥
|
28. The spider H8079 taketh hold H8610 with her hands H3027 , and is in kings H4428 ' palaces H1964 .
|
29. तीन सुन्दर चलने वाले प्राणी हैं; वरन चार हैं, जिन की चाल सुन्दर है:
|
29. There be three H7969 things which go H6806 well H3190 , yea, four H702 are comely H3190 in going H1980 :
|
30. सिंह जो सब पशुओं में पराक्रमी हैं, और किसी के डर से नहीं हटता;
|
30. A lion H3918 which is strongest H1368 among beasts H929 , and turneth not away H3808 H7725 for H4480 H6440 any H3605 ;
|
31. शिकारी कुत्ता और बकरा, और अपनी सेना समेत राजा।
|
31. A greyhound H2223 H4975 ; a he goat H8495 also H176 ; and a king H4428 , against H5973 whom there is no H408 rising up H6965 .
|
32. यदि तू ने अपनी बड़ाई करने की मूढ़ता की, वा कोई बुरी युक्ति बान्धी हो, तो अपने मुंह पर हाथ धर।
|
32. If H518 thou hast done foolishly H5034 in lifting up thyself H5375 , or if H518 thou hast thought evil H2161 , lay thine hand H3027 upon thy mouth H6310 .
|
33. क्योंकि जैसे दूध के मथने से मक्खन और नाक के मरोड़ने से लोहू निकलता है, वैसे ही क्रोध के भड़काने से झगड़ा उत्पन्न होता है॥
|
33. Surely H3588 the churning H4330 of milk H2461 bringeth forth H3318 butter H2529 , and the wringing H4330 of the nose H639 bringeth forth H3318 blood H1818 : so the forcing H4330 of wrath H639 bringeth forth H3318 strife H7379 .
|