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1. {पाप का आरम्भ} PS यहोवा द्वारा बनाए गए सभी जानवरों में सबसे अधिक चतुर साँप *साँप शायद शैतान। उसे बहुधा साँप, अजदहा और “सागर का दैत्य” कहा गया है। था। (वह स्त्री को धोखा देना चाहता था।) साँप ने कहा, “हे स्त्री क्या परमेश्वर ने सच—मुच तुमसे कहा हऐ कि तुम बाग के किसी पेड़ से फल ना खाना?” PEPS
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1. Now the serpent H5175 was H1961 more subtle H6175 than any H4480 H3605 beast H2416 of the field H7704 which H834 the LORD H3068 God H430 had made H6213 . And he said H559 unto H413 the woman H802 , Yea H637 H3588 , hath God H430 said H559 , Ye shall not H3808 eat H398 of every H4480 H3605 tree H6086 of the garden H1588 ?
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2. स्त्री न कहा, “नहीं परमेश्वर ने यह नहीं कहा। हम बाग़ के पेड़ों से फल खा सकते हैं।
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2. And the woman H802 said H559 unto H413 the serpent H5175 , We may eat H398 of the fruit H4480 H6529 of the trees H6086 of the garden H1588 :
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3. लेकिन एक पेड़ है जिसके फल हम लोग नहीं खा सकते हैं। परमेश्वर ने हम लोगों से कहा, ‘बाग के बीच के पेड़ के फल तुम नहीं खा सकते, तुम उसे छूना भी नहीं, नहीं तो मर जाओगे।’ ” PEPS
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3. But of the fruit H4480 H6529 of the tree H6086 which H834 is in the midst H8432 of the garden H1588 , God H430 hath said H559 , Ye shall not H3808 eat H398 of H4480 it, neither H3808 shall ye touch H5060 it, lest H6435 ye die H4191 .
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4. लेकिन साँप ने स्त्री से कहा, “तुम मरोगी नहीं।
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4. And the serpent H5175 said H559 unto H413 the woman H802 , Ye shall not H3808 surely die H4191 H4191 :
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5. परमेश्वर जानता है कि यदि तुम लोग उस पेड़ से फल खाओगे तो अच्छे और बुरे के बारे में जान जाओगे और तब तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे।” PEPS
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5. For H3588 God H430 doth know H3045 that H3588 in the day H3117 ye eat H398 thereof H4480 , then your eyes H5869 shall be opened H6491 , and ye shall be H1961 as gods H430 , knowing H3045 good H2896 and evil H7451 .
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6. स्त्री ने देखा कि पेड़ सुन्दर है। उसने देखा कि फल खाने के लिए अच्छा है और पेड़ उसे बुद्धिमान बनाएगा। तब स्त्री ने पेड़ से फल लिया और उसे खाया। उसका पती भी उसके साथ था इसलिए उसने कुछ फल उसे दिया और उसने उसे खाया। PEPS
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6. And when the woman H802 saw H7200 that H3588 the tree H6086 was good H2896 for food H3978 , and that H3588 it H1931 was pleasant H8378 to the eyes H5869 , and a tree H6086 to be desired H2530 to make one wise H7919 , she took H3947 of the fruit H4480 H6529 thereof , and did eat H398 , and gave H5414 also H1571 unto her husband H376 with H5973 her ; and he did eat H398 .
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7. तब पुरुष और स्त्री दोनों बदल गए। उनकी आँखे खुल गई और उन्होंने वस्तुओं को भिन्न दृष्टि से देखा। उन्होंने देखा कि उनके कपड़े नहीं है, वे नंगे है। इसलिए उन्होंने कुछ अंजीर के पत्ते लेकर उन्हें जोड़ा और कपड़ो के स्थान पर अपने लिए पहना। PEPS
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7. And the eyes H5869 of them both H8147 were opened H6491 , and they knew H3045 that H3588 they H1992 were naked H5903 ; and they sewed H8609 fig H8384 leaves H5929 together , and made H6213 themselves aprons H2290 .
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8. तब पुरुष और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में यहोवा परमेश्वर के आने की आवाज बाग में सुनी। वे बाग मे पेड़ों के बीच में छिप गए।
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8. And they heard H8085 H853 the voice H6963 of the LORD H3068 God H430 walking H1980 in the garden H1588 in the cool H7307 of the day H3117 : and Adam H121 and his wife H802 hid themselves H2244 from the presence H4480 H6440 of the LORD H3068 God H430 amongst H8432 the trees H6086 of the garden H1588 .
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9. यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर पुरुष से पूछा, “तुम कहाँ हो?” PEPS
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9. And the LORD H3068 God H430 called H7121 unto H413 Adam H121 , and said H559 unto him, Where H335 art thou?
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10. पुरुष ने कहा, “मैंने बाग में तेरे आने की आवाज सुनी और मैं डर गया। मैं नंगा था, इसलिए छिप गया।” PEPS
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10. And he said H559 , I heard H8085 H853 thy voice H6963 in the garden H1588 , and I was afraid H3372 , because H3588 I H595 was naked H5903 ; and I hid myself H2244 .
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11. यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?” PEPS
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11. And he said H559 , Who H4310 told H5046 thee that H3588 thou H859 wast naked H5903 ? Hast thou eaten H398 of H4480 the tree H6086 , whereof H834 H4480 I commanded H6680 thee that thou shouldest not H1115 eat H398 ?
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12. पुरुष ने कहा, “तूने जो स्त्री मेरे लिए बनाई उसने उस पेड़ से मुझे फल दिए, और मैंने उसे खाया।” PEPS
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12. And the man H120 said H559 , The woman H802 whom H834 thou gavest H5414 to be with H5973 me, she H1931 gave H5414 me of H4480 the tree H6086 , and I did eat H398 .
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13. तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “यह तुमने क्या किया?” स्त्री ने कहा, “साँप ने मुझे धोखा दिया। उसने मुझे बेवकूफ बनाया और मैंने फल खा लिया।” PEPS
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13. And the LORD H3068 God H430 said H559 unto the woman H802 , What H4100 is this H2063 that thou hast done H6213 ? And the woman H802 said H559 , The serpent H5175 beguiled H5377 me , and I did eat H398 .
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14. तब यहोवा परमेश्वर ने साँप से कहा, “तुमने यह बहुत बुरी बात की। इसलिए तुम्हारा बुरा हो होगा। अन्य जानवरों की अपेक्षा तुम्हारा बहुत बुरा होगा। तुम अपने पेट के बल रेंगने को मजबूर होगे। और धूल चाटने को विवश होगे जीवन के सभी दिनों में।
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14. And the LORD H3068 God H430 said H559 unto H413 the serpent H5175 , Because H3588 thou hast done H6213 this H2063 , thou H859 art cursed H779 above all H4480 H3605 cattle H929 , and above every H4480 H3605 beast H2416 of the field H7704 ; upon H5921 thy belly H1512 shalt thou go H1980 , and dust H6083 shalt thou eat H398 all H3605 the days H3117 of thy life H2416 :
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15. मैं तुम्हें और स्त्री को एक दूसरे का दुश्मन बनाऊँगा। तुम्हारे बच्चे और इसके बच्चे आपस में दुश्मन होंगे। तुम इसके बच्चे के पैर में डसोगे और वह तुम्हारा सिर कुचल देगी।” PS
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15. And I will put H7896 enmity H342 between H996 thee and the woman H802 , and between H996 thy seed H2233 and her seed H2233 ; it H1931 shall bruise H7779 thy head H7218 , and thou H859 shalt bruise H7779 his heel H6119 .
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16. तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “मैं तेरे गर्भावस्था में तुझे बहुत दुःखी करूँगा और जब तू बच्चा जनेगी तब तुझे बहुत पीड़ा होगी। तेरी चाहत तेरे पति के लिए होगी किन्तु वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” †तेरी चाहत … प्रभुता करेगा शाब्दिक तुम अपने पति पर हुकम चलाना चाहोगी। लेकिन वह तुझ पर प्रभुता करेगा। PS
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16. Unto H413 the woman H802 he said H559 , I will greatly H7235 multiply H7235 thy sorrow H6093 and thy conception H2032 ; in sorrow H6089 thou shalt bring forth H3205 children H1121 ; and thy desire H8669 shall be to H413 thy husband H376 , and he H1931 shall rule H4910 over thee.
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17. तब यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, “मैंने आज्ञा दी थी कि तुम विशेष पेड़ का फल न खाना। किन्तु तुमने अपनी पत्नी की बाते सुनीं और तुमने उस पेड़ का फल खाया। इसलिए मैं तुम्हारे कारण इस भूमि को शाप देता हूँ ‡शाप देता हूँ शाब्दिक किसी वस्तु या व्यक्ति के लिये बुरा आत्मा लेकिन वह तुझ पर प्रभुता करेगा। अपने जीवन के पूरे काल तक उस भोजन के लिए जो धरती देती है। तुम्हें कठिन मेहनत करनी पड़ेगी।
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17. And unto Adam H121 he said H559 , Because H3588 thou hast hearkened H8085 unto the voice H6963 of thy wife H802 , and hast eaten H398 of H4480 the tree H6086 , of which H834 I commanded H6680 thee, saying H559 , Thou shalt not H3808 eat H398 of H4480 it: cursed H779 is the ground H127 for thy sake H5668 ; in sorrow H6093 shalt thou eat H398 of it all H3605 the days H3117 of thy life H2416 ;
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18. तुम उन पेड़ पौधों को खाओगे जो खेतों में उगते है। किन्तु भूमि तुम्हारे लिए काँटे और खर—पतवार पैदा करेगी।
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18. Thorns H6975 also and thistles H1863 shall it bring forth H6779 to thee ; and thou shalt eat H398 H853 the herb H6212 of the field H7704 ;
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19. तुम अपने भोजन के लिए कठिन परिश्रम करोगे। तुम तब तक परिश्रम करोगे जब तक माथे पर पसीना ना आ जाए। तुम तब तक कठिन मेहनत करोगे जब तक तुम्हारी मृत्यु न आ जाए। उस समय तुम दुबारा मिट्टी बन जाओगे। जब मैंने तुमको बनाया था, तब तुम्हें मिट्टी से बनाया था और जब तुम मरोगे तब तुम उसी मिट्टी में पुनः मिल जाओगे।” PS
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19. In the sweat H2188 of thy face H639 shalt thou eat H398 bread H3899 , till H5704 thou return H7725 unto H413 the ground H127 ; for H3588 out of H4480 it wast thou taken H3947 : for H3588 dust H6083 thou H859 art , and unto H413 dust H6083 shalt thou return H7725 .
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20. आदम ने अपनी पत्नी का नाम हब्बा रखा, क्योंकि सारे मनुष्यों की वह आदिमाता थी। PEPS
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20. And Adam H121 called H7121 his wife H802 's name H8034 Eve H2332 ; because H3588 she H1931 was H1961 the mother H517 of all H3605 living H2416 .
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21. यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य और उसकी पत्नी के लिए जानवरों के चमड़ों से पोशाक बनाया। तब यहोवा ने ये पोशाक उन्हें दी। PEPS
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21. Unto Adam H121 also and to his wife H802 did the LORD H3068 God H430 make H6213 coats H3801 of skins H5785 , and clothed H3847 them.
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22. यहोवा परमेश्वर ने कहा, “देखो, पुरुष हमारे जैसा हो गया है। पुरुष अच्छाई और बुरा जानता है और अब पुरुष जीवन के पेड़ से भी फल ले सकता है। अगर पुरुष उस फल को खायेगा तो सदा ही जीवित रहेगा।” PEPS
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22. And the LORD H3068 God H430 said H559 , Behold H2005 , the man H120 is become H1961 as one H259 of H4480 us , to know H3045 good H2896 and evil H7451 : and now H6258 , lest H6435 he put forth H7971 his hand H3027 , and take H3947 also H1571 of the tree H4480 H6086 of life H2416 , and eat H398 , and live H2425 forever H5769 :
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23. तब यहोवा परमेश्वर ने पुरुष को अदन के बाग छोड़ने के लिए मजबूर किया। जिस मिट्टी से आदम बना था उस पृथ्वी पर आदम को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
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23. Therefore the LORD H3068 God H430 sent him forth H7971 from the garden H4480 H1588 of Eden H5731 , to till H5647 H853 the ground H127 from whence H4480 H8033 H834 he was taken H3947 .
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24. परमेश्वर ने आदम को बाग से बाहर निकाल दिया। तब परमेश्वर ने करूब (स्वर्गदूतों) को बाग के फाटक की रखवाली के लिए रखा। परमेश्वर ने वहाँ एक आग की तलवार भी रख दी। यह तलवार जीवन के पेड़ के रास्ते की रखवाली करती हुई चारों ओर चमकती थी। PE
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24. So he drove out H1644 H853 the man H120 ; and he placed H7931 at the east H4480 H6924 of the garden H1588 of Eden H5731 H853 Cherubims H3742 , and a flaming H3858 sword H2719 which turned every way H2015 , to keep H8104 H853 the way H1870 of the tree H6086 of life H2416 .
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