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:

1. {एलीपज का कथन} PS फिर तेमान के एलीपज ने उत्तर दिया:
1. Then Eliphaz H464 the Temanite H8489 answered H6030 and said H559 ,
2. “यदि कोई व्यक्ति तुझसे कुछ कहना चाहे तो
क्या उससे तू बेचैन होगा मुझे कहना ही होगा!
2. If we attempt to commune H5254 H1697 with H413 thee , wilt thou be grieved H3811 ? but who H4310 can H3201 withhold H6113 himself from speaking H4405 ?
3. हे अय्यूब, तूने बहुत से लोगों को शिक्षा दी
और दुर्बल हाथों को तूने शक्ति दी।
3. Behold H2009 , thou hast instructed H3256 many H7227 , and thou hast strengthened H2388 the weak H7504 hands H3027 .
4. जो लोग लड़खड़ा रहे थे तेरे शब्दों ने उन्हें ढाढ़स बंधाया था।
तूने निर्बल पैरों को अपने प्रोत्साहन से सबल किया।
4. Thy words H4405 have upheld H6965 him that was falling H3782 , and thou hast strengthened H553 the feeble H3766 knees H1290 .
5. किन्तु अब तुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है
और तेरा साहस टूट गया है।
विपदा की मार तुझ पर पड़ी
और तू व्याकुल हो उठा।
5. But H3588 now H6258 it is come H935 upon H413 thee , and thou faintest H3811 ; it toucheth H5060 H5704 thee , and thou art troubled H926 .
6. तू परमेश्वर की उपासना करता है,
सो उस पर भरोसा रख।
तू एक भला व्यक्ति है
सो इसी को तू अपनी आशा बना ले।
6. Is not H3808 this thy fear H3374 , thy confidence H3690 , thy hope H8615 , and the uprightness H8537 of thy ways H1870 ?
7. अय्यूब, इस बात को ध्यान में रख कि कोई भी सज्जन कभी नहीं नष्ट किये गये।
निर्दोष कभी भी नष्ट नहीं किया गया है।
7. Remember H2142 , I pray thee H4994 , who H4310 ever perished H6 , being innocent H5355 ? or where H375 were the righteous H3477 cut off H3582 ?
8. मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो कष्टों को बढ़ाते हैं और जो जीवन को कठिन करते हैं।
किन्तु वे सदा ही दण्ड भोगते हैं।
8. Even as H834 I have seen H7200 , they that plow H2790 iniquity H205 , and sow H2232 wickedness H5999 , reap H7114 the same.
9. परमेश्वर का दण्ड उन लोगों को मार डालता है
और उसका क्रोध उन्हें नष्ट करता है।
9. By the blast H4480 H5397 of God H433 they perish H6 , and by the breath H4480 H7307 of his nostrils H639 are they consumed H3615 .
10. दुर्जन सिंह की तरह गुरर्ते और दहाड़ते हैं,
किन्तु परमेश्वर उन दुर्जनों को चुप कराता है।
परमेश्वर उनके दाँत तोड़ देता है।
10. The roaring H7581 of the lion H738 , and the voice H6963 of the fierce lion H7826 , and the teeth H8127 of the young lions H3715 , are broken H5421 .
11. बुरे लोग उन सिंहों के समान होते हैं जिन के पास शिकार के लिये कुछ भी नहीं होता।
वे मर जाते हैं और उनके बच्चे इधर—उधर बिखर जाते है, और वे मिट जाते हैं।
11. The old lion H3918 perisheth H6 for lack H4480 H1097 of prey H2964 , and the stout lion H3833 's whelps H1121 are scattered abroad H6504 .
12. “मेरे पास एक सन्देश चुपचाप पहुँचाया गया,
और मेरे कानों में उसकी भनक पड़ी।
12. Now a thing H1697 was secretly brought H1589 to H413 me , and mine ear H241 received H3947 a little H8102 thereof H4480 .
13. जिस तरह रात का बुरा स्वप्न नींद उड़ा देता हैं,
ठीक उसी प्रकार मेरे साथ में हुआ है।
13. In thoughts H5587 from the visions H4480 H2384 of the night H3915 , when deep sleep H8639 falleth H5307 on H5921 men H376 ,
14. मैं भयभीत हुआ और काँपने लगा।
मेरी सब हड्‌डियाँ हिल गई।
14. Fear H6343 came upon H7122 me , and trembling H7460 , which made all H7230 my bones H6106 to shake H6342 .
15. मेरे सामने से एक आत्मा जैसी गुजरी
जिससे मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गये।
15. Then a spirit H7307 passed H2498 before H5921 my face H6440 ; the hair H8185 of my flesh H1320 stood up H5568 :
16. वह आत्मा चुपचाप ठहर गया
किन्तु मैं नहीं जान सका कि वह क्या था।
मेरी आँखों के सामने एक आकृति खड़ी थी,
और वहाँ सन्नाटा सा छाया था।
फिर मैंने एक बहुत ही शान्त ध्वनि सुनी।
16. It stood still H5975 , but I could not H3808 discern H5234 the form H4758 thereof : an image H8544 was before H5048 mine eyes H5869 , there was silence H1827 , and I heard H8085 a voice H6963 , saying ,
17. “मनुष्य परमेश्वर से अधिक उचित नहीं हो सकता।
अपने रचयिता से मनुष्य अधिक पवित्र नहीं हो सकता।
17. Shall mortal man H582 be more just than God H6663 H4480 H433 ? shall a man H1397 be more pure H2891 than his maker H4480 H6213 ?
18. परमेश्वर अपने स्वर्गीय सेवकों तक पर भरोसा नहीं कर सकता।
परमेश्वर को अपने दूतों तक में दोष मिल जातें हैं।
18. Behold H2005 , he put no trust H539 H3808 in his servants H5650 ; and his angels H4397 he charged H7760 with folly H8417 :
19. सो मनुष्य तो और भी अधिक गया गुजरा है।
मनुष्य तो कच्चे मिट्टी के घरौंदों में रहते हैं।
इन मिट्टी के घरौंदों की नींव धूल में रखी गई हैं।
इन लोगों को उससे भी अधिक आसानी से मसल कर मार दिया जाता है,
जिस तरह भुनगों को मसल कर मारा जाता है।
19. How much less H637 in them that dwell in H7931 houses H1004 of clay H2563 , whose H834 foundation H3247 is in the dust H6083 , which are crushed H1792 before H6440 the moth H6211 ?
20. लोग भोर से सांझ के बीच में मर जाते हैं किन्तु उन पर ध्यान तक कोई नहीं देता है।
वे मर जाते हैं और सदा के लिये चले जाते हैं।
20. They are destroyed H3807 from morning H4480 H1242 to evening H6153 : they perish H6 forever H5331 without any H4480 H1097 regarding H7760 it .
21. उनके तम्बूओं की रस्सियाँ उखाड़ दी जाती हैं,
और ये लोग विवेक के बिना मर जाते हैं।” PE
21. Doth not H3808 their excellency H3499 which is in them go away H5265 ? they die H4191 , even without H3808 wisdom H2451 .
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