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1

1. फिर मैंने देखा कि जो सिंहासन पर विराजमान था, उसके दाहिने हाथ में एक लपेटा हुआ पुस्तक *पुस्तक एक लम्बा लपेटा हुआ कागज अथवा चमड़ा जिसे प्राचीन युग में लिखने के काम में लाया जाता था। अर्थात् एक ऐसी पुस्तक जिसे लिखकर लपेट दिया जाता था। जिस पर दोनों ओर लिखावट थी। तथा उसे सात मुहर लगाकर मुद्रित किया हुआ था।
1. And G2532 I saw G1492 in G1909 the G3588 right hand G1188 of him that sat G2521 on G1909 the G3588 throne G2362 a book G975 written G1125 within G2081 and G2532 on the backside G3693 , sealed G2696 with seven G2033 seals G4973 .
2. मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत की ओर देखा जो दृढ़ स्वर से घोषणा कर रहा था, “इस लपेटे हुए पुस्तक की मुहरों को तोड़ने और इसे खोलने में समर्थ कौन है?”
2. And G2532 I saw G1492 a strong G2478 angel G32 proclaiming G2784 with a loud G3173 voice G5456 , Who G5101 is G2076 worthy G514 to open G455 the G3588 book G975 , and G2532 to loose G3089 the G3588 seals G4973 thereof G848 ?
3. किन्तु स्वर्ग में अथवा पृथ्वी पर या पाताल लोक में कोई भी ऐसा नहीं था जो उस लपेटे हुए पुस्तक को खोले और उसके भीतर झाँके।
3. And G2532 no man G3762 in G1722 heaven G3772 , nor G3761 in G1909 earth G1093 , neither G3761 under G5270 the G3588 earth G1093 , was able G1410 to open G455 the G3588 book G975 , neither G3761 to look G991 thereon G846 .
4. क्योंकि उस पुस्तक को खोलने की क्षमता रखने वाला या भीतर से उसे देखने की शक्ति वाला कोई भी नहीं मिल पाया था इसलिए मैं सुबक-सुबक कर रो पड़ा।
4. And G2532 I G1473 wept G2799 much G4183 , because G3754 no man G3762 was found G2147 worthy G514 to open G455 and G2532 to read G314 the G3588 book G975 , neither G3777 to look G991 thereon G846 .
5. फिर उन प्राचीनों में से एक ने मुझसे कहा, “रोना बन्द कर। सुन, यहूदा के वंश का सिंह जो दाऊद का वंशज है विजयी हुआ है। वह इन सातों मुहरों को तोड़ने और इस लपेटे हुए पुस्तक को खोलने में समर्थ है।” PEPS
5. And G2532 one G1520 of G1537 the G3588 elders G4245 saith G3004 unto me G3427 , Weep G2799 not G3361 : behold G2400 , the G3588 Lion G3023 G5607 of G1537 the G3588 tribe G5443 of Judah G2455 , the G3588 Root G4491 of David G1138 , hath prevailed G3528 to open G455 the G3588 book G975 , and G2532 to loose G3089 the G3588 seven G2033 seals G4973 thereof G848 .
6. फिर मैंने देखा कि उस सिंहासन तथा उन चार प्राणियों के सामने और उन पूर्वजों की उपस्थिति में एक मेमना खड़ा है। वह ऐसे दिख रहा था, मानो उसकी बलि चढ़ाई गयी हो। उसके सात सींग थे और सात आँखें थीं जो परमेश्वर की सात आत्माएँ हैं। जिन्हें समूची धरती पर भेजा गया था।
6. And G2532 I beheld G1492 , and G2532 , lo G2400 , in G1722 the midst G3319 of the G3588 throne G2362 and G2532 of the G3588 four G5064 beasts G2226 , and G2532 in G1722 the midst G3319 of the G3588 elders G4245 , stood G2476 a Lamb G721 as G5613 it had been slain G4969 , having G2192 seven G2033 horns G2768 and G2532 seven G2033 eyes G3788 , which G3739 are G1526 the G3588 seven G2033 Spirits G4151 of God G2316 sent forth G649 into G1519 all G3956 the G3588 earth G1093 .
7. फिर वह आया और जो सिंहासन पर विराजमान था, उसके दाहिने हाथ से उसने वह लपेटा हुआ पुस्तक ले लिया।
7. And G2532 he came G2064 and G2532 took G2983 the G3588 book G975 out of G1537 the G3588 right hand G1188 of him that sat G2521 upon G1909 the G3588 throne G2362 .
8. जब उसने वह लपेटा हुआ पुस्तक ले लिया तो उन चारों प्राणियों तथा चौबीसों प्राचीनों ने उस मेमने को दण्डवत प्रणाम किया। उनमें से हरेक के पास वीणा थी तथा वे सुगन्धित सामग्री से भरे सोने के धूपदान थामे थे; जो संत जनों की प्रार्थनाएँ हैं।
8. And G2532 when G3753 he had taken G2983 the G3588 book G975 , the G3588 four G5064 beasts G2226 and G2532 four and twenty G1501 G5064 elders G4245 fell down G4098 before G1799 the G3588 Lamb G721 , having G2192 every one of them G1538 harps G2788 , and G2532 golden G5552 vials G5357 full G1073 of odors G2368 , which G3739 are G1526 the G3588 prayers G4335 of saints G40 .
9. वे एक नया गीत गा रहे थे: “तू यह पुस्तक लेने को समर्थ है,
और जो इस पर लगी मुहर खोलने को
क्योंकि तेरा वध बलि के रूप कर दिया,
और अपने लहू से तूने परमेश्वर के हेतु
जनों को हर जाति से, हर भाषा से, सभी कुलों से, सब राष्ट्रों से मोल लिया।
9. And G2532 they sung G103 a new G2537 song G5603 , saying G3004 , Thou art G1488 worthy G514 to take G2983 the G3588 book G975 , and G2532 to open G455 the G3588 seals G4973 thereof G848 : for G3754 thou wast slain G4969 , and G2532 hast redeemed G59 us G2248 to God G2316 by G1722 thy G4675 blood G129 out of G1537 every G3956 kindred G5443 , and G2532 tongue G1100 , and G2532 people G2992 , and G2532 nation G1484 ;
10. और तूने उनको रूप का राज्य दे दिया। और हमारे परमेश्वर के हेतु उन्हें याजक बनाया।
वे धरती पर राज्य करेंगे।” PS
10. And G2532 hast made G4160 us G2248 unto our G2257 God G2316 kings G935 and G2532 priests G2409 : and G2532 we shall reign G936 on G1909 the G3588 earth G1093 .
11. तभी मैंने देखा और अनेक स्वर्गदूतों की ध्वनियों को सुना। वे उस सिंहासन, उन प्राणियों तथा प्राचीनों के चारों ओर खड़े थे। स्वर्गदूतों की संख्या लाखों और करोड़ों थी
11. And G2532 I beheld G1492 , and G2532 I heard G191 the voice G5456 of many G4183 angels G32 round about G2943 the G3588 throne G2362 and G2532 the G3588 beasts G2226 and G2532 the G3588 elders G4245 : and G2532 the G3588 number G706 of them G846 was G2258 ten thousand times ten thousand G3461 G3461 , and G2532 thousands of thousands G5505 G5505 ;
12. वे ऊँचे स्वर में कह रहे थे: “वह मेमना जो मार डाला गया था, वह पराक्रम, धन, विवेक, बल, आदर,
महिमा और स्तुति प्राप्त करने को योग्य है।” PS
12. Saying G3004 with a loud G3173 voice G5456 , Worthy G514 is G2076 the G3588 Lamb G721 that was slain G4969 to receive G2983 power G1411 , and G2532 riches G4149 , and G2532 wisdom G4678 , and G2532 strength G2479 , and G2532 honor G5092 , and G2532 glory G1391 , and G2532 blessing G2129 .
13. फिर मैंने सुना कि स्वर्ग की, धरती पर की, पाताल लोक की, समुद्र की, समूची सृष्टि हाँ, उस समूचे ब्रह्माण्ड का हर प्राणी कह रहा था: “जो सिंहासन पर बैठा है और मेमना का स्तुति,
आदर, महिमा और पराक्रम सर्वदा रहें!”
13. And G2532 every G3956 creature G2938 which G3739 is G2076 in G1722 heaven G3772 , and G2532 on G1722 the G3588 earth G1093 , and G2532 under G5270 the G3588 earth G1093 , and G2532 such as G3739 are G2076 in G1909 the G3588 sea G2281 , and G2532 all G3956 that G3588 are in G1722 them G846 , heard G191 I saying G3004 , Blessing G2129 , and G2532 honor G5092 , and G2532 glory G1391 , and G2532 power G2904 , be unto him that sitteth G2521 upon G1909 the G3588 throne G2362 , and G2532 unto the G3588 Lamb G721 forever and ever G1519 G165 G165 .
14. फिर उन चारों प्राणियों ने “आमीन” कहा और प्राचीनों ने नत मस्तक होकर उपासना की। PE
14. And G2532 the G3588 four G5064 beasts G2226 said G3004 , Amen G281 . And G2532 the G3588 four and twenty G1501 G5064 elders G4245 fell down G4098 and G2532 worshipped G4352 him that liveth G2198 forever and ever G1519 G165 G165 .
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