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1. {यहोशापात युद्ध का सामना करता है} PS कुछ समय पश्चात मोआबी, अम्मोनी और कुछ मूनी लोग यहोशापात के साथ युद्ध आरम्भ करने आए।
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1. It came to pass H1961 after H310 this H3651 also, that the children H1121 of Moab H4124 , and the children H1121 of Ammon H5983 , and with H5973 them other beside H4480 the Ammonites H5984 , came H935 against H5921 Jehoshaphat H3092 to battle H4421 .
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2. कुछ लोग आए औऱ उन्हीने यहोशापात से कहा, “तुम्हारे विरुद्ध एदोम से एक विशाल सेना आ रही है। वे मृत सागर की दूसरी ओर से आ रहे हैं। वे हसासोन्तामार में पहले से ही है।” (हसासोन्तामार के एनगदी भी कहा जाता है)
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2. Then there came H935 some that told H5046 Jehoshaphat H3092 , saying H559 , There cometh H935 a great H7227 multitude H1995 against H5921 thee from beyond H4480 H5676 the sea H3220 on this side Syria H4480 H758 ; and, behold H2009 , they be in Hazazon H2688 -tamar, which H1931 is En H5872 -gedi.
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3. यहोशापात डर गया और उसने यहोवा से यह पूछने का निश्चय किया कि मैं क्या करुँ उसने यहूदा में हर एक के लिये उपवास का समय घोषित किया।
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3. And Jehoshaphat H3092 feared H3372 , and set H5414 H853 himself H6440 to seek H1875 the LORD H3068 , and proclaimed H7121 a fast H6685 throughout H5921 all H3605 Judah H3063 .
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4. यहूदा के लोग एक साथ यहोवा से सहायता माँगने आए। वे यहूदा के सभी नगरों से यहोवा की सहायता माँगने आए।
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4. And Judah H3063 gathered themselves together H6908 , to ask H1245 help of H4480 the LORD H3068 : even H1571 out of all H4480 H3605 the cities H5892 of Judah H3063 they came H935 to seek H1245 H853 the LORD H3068 .
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5. यहोशापात यहोवा के मन्दिर में नये आँगन के सामने था। वह यरूशलेम और यहूदा से आए लोगों की सभा में खड़ा हुआ।
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5. And Jehoshaphat H3092 stood H5975 in the congregation H6951 of Judah H3063 and Jerusalem H3389 , in the house H1004 of the LORD H3068 , before H6440 the new H2319 court H2691 ,
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6. उसने कहा, “हे हमारे पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर, तू स्वर्ग में परमेश्वर है! तू सभी राष्टों में सभी राज्यों पर शासन करता है! तू प्रभुता और शक्ति रखता है! कोई व्यक्ति तेरे विरुद्ध खड़ा नही हो सकता!
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6. And said H559 , O LORD H3068 God H430 of our fathers H1 , art not H3808 thou H859 God H430 in heaven H8064 ? and rulest H4910 not thou H859 over all H3605 the kingdoms H4467 of the heathen H1471 ? and in thine hand H3027 is there not power H3581 and might H1369 , so that none H369 is able to withstand H3320 H5973 thee?
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7. तू हमारा परमेश्वर है। तूने इस प्रदेश में रहने वालों को इसे छोड़ने को विवश किया। यह तूने अपने इस्राएली लोगों के सामने किया। तूने यह भूमि इब्राहाम के वंशजों को सदैव के लिये दे दी। इब्राहाम तेरा मित्र था।
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7. Art not H3808 thou H859 our God H430 , who didst drive out H3423 H853 the inhabitants H3427 of this H2063 land H776 before H4480 H6440 thy people H5971 Israel H3478 , and gavest H5414 it to the seed H2233 of Abraham H85 thy friend H157 forever H5769 ?
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8. इब्राहीम के वंशज इस देश में रहते थे और उन्होने एक मन्दिर तेरे नाम पर बनाया।
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8. And they dwelt H3427 therein , and have built H1129 thee a sanctuary H4720 therein for thy name H8034 , saying H559 ,
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9. उन्होने कहा, ‘यदि हम लोगों पर आपत्ति आएगी जैसे तलवार, दण्ड, रोग या अकाल तो हम इस मन्दिर के सामने और तेरे सामने खड़े होगे। इस मन्दिर पर तेरा नाम है। जब हम लोगों पर विपत्ति आएगी तो हम लोग तुझको पुकारेंगे। तब तू हमारी सुनेगा और हमारी रक्षा करेगा।’
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9. If H518 , when evil H7451 cometh H935 upon H5921 us, as the sword H2719 , judgment H8196 , or pestilence H1698 , or famine H7458 , we stand H5975 before H6440 this H2088 house H1004 , and in thy presence H6440 , ( for H3588 thy name H8034 is in this H2088 house H1004 ,) and cry H2199 unto H413 thee in our affliction H4480 H6869 , then thou wilt hear H8085 and help H3467 .
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10. “किन्तु इस समय यही अम्मोन, मोआब और सेईर पर्वत के लोग चढ़ आए हैं! तूने इस्राएल के लोगों को उस समय उनकी भूमि में नही जाने दिया जब इस्राएल के लोग मिस्र से आए। इसलिए इस्राएल के लोग मुड़ गए थे और उन लोगों ने उनको नष्ट नही किया था।
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10. And now H6258 , behold H2009 , the children H1121 of Ammon H5983 and Moab H4124 and mount H2022 Seir H8165 , whom H834 thou wouldest not H3808 let H5414 Israel H3478 invade H935 , when they came H935 out of the land H4480 H776 of Egypt H4714 , but H3588 they turned H5493 from H4480 H5921 them , and destroyed H8045 them not H3808 ;
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11. किन्तु देख कि वे लोग हमें उन्हें नष्ट न करने का किस प्रकार का पुरस्कार दे रहे हैं। वे हमें तेरी भूमि से बाहर होने के लिए विवश करने आए हैं। यह भूमि तूने हमें दी है।
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11. Behold H2009 , I say, how they H1992 reward H1580 H5921 us , to come H935 to cast us out H1644 of thy possession H4480 H3425 , which H834 thou hast given us to inherit H3423 .
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12. हमारे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे! हम लोग उस विशाल सेना के विरुद्ध कोई शक्ति नही रखते जो हमारे विरुद्ध आ रही है! हम नहीं जानते कि क्या करें! यही कारण है कि हम तुझसे सहायता की आशा करते हैं।” PS
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12. O our God H430 , wilt thou not H3808 judge H8199 them? for H3588 we have no H369 might H3581 against H6440 this H2088 great H7227 company H1995 that cometh H935 against H5921 us; neither H3808 know H3045 we H587 what H4100 to do H6213 : but H3588 our eyes H5869 are upon H5921 thee.
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13. यहूदा के सभी लोग यहोवा के सामने अपने शिशुओं, पत्नियों और बच्चों के साथ खड़े थे।
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13. And all H3605 Judah H3063 stood H5975 before H6440 the LORD H3068 , with H1571 their little ones H2945 , their wives H802 , and their children H1121 .
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14. तब यहोवा की आत्मा यहजीएल पर उतरी। यहजीएल जकर्याह का पुत्र था। (जकर्याह बनायाह का पुत्र था बनायाह यीएल का पुत्र था और यीएल मत्तन्याह का पुत्र था।) यहजीएल एक लेवीवंशी था और आसाप का वंशज था।
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14. Then upon H5921 Jahaziel H3166 the son H1121 of Zechariah H2148 , the son H1121 of Benaiah H1141 , the son H1121 of Jeiel H3273 , the son H1121 of Mattaniah H4983 , a Levite H3881 of H4480 the sons H1121 of Asaph H623 , came H1961 the Spirit H7307 of the LORD H3068 in the midst H8432 of the congregation H6951 ;
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15. उस सभा के बीच यहजीएल ने कह “राजा यहशापात तथा यहूदा और यरूशलेम में रहने वाले लोगों, मेरी सुनों! यहोवा तुमसे यह कहता है: ‘इस विशाल सेना से न तो डरो, न हो परेशान होओ क्योंकि यह तुम्हारा युद्ध नही है। यह परमेश्वर का युद्ध है!
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15. And he said H559 , Hearken H7181 ye, all H3605 Judah H3063 , and ye inhabitants H3427 of Jerusalem H3389 , and thou king H4428 Jehoshaphat H3092 , Thus H3541 saith H559 the LORD H3068 unto you , Be not afraid H859 H3372 H408 nor H408 dismayed H2865 by reason of H4480 H6440 this H2088 great H7227 multitude H1995 ; for H3588 the battle H4421 is not H3808 yours, but H3588 God H430 's.
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16. कल तुम वहाँ जाओ और उन लोगों से लड़ो। वे सीस के दर्रे से होकर आएँगे। तुम लोग उन्हें घाटी के अन्त में यरूएल मरुभूमि की दूसरी ओर पाओगे।
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16. Tomorrow H4279 go ye down H3381 against H5921 them: behold H2009 , they come up H5927 by the cliff H4608 of Ziz H6732 ; and ye shall find H4672 them at the end H5490 of the brook H5158 , before H6440 the wilderness H4057 of Jeruel H3385 .
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17. इस युद्ध में तुम्हें लड़ना नही पड़ेगा। अपने स्थानों पर दृढ़ता से खड़े रहो। तुम देखोगे कि यहोवा ने तुम्हें बचा लिया। यहूदा और यरूशलेम के लोगों, डरो नहो परेशान मत हो! यहोवा तुम्हारे साथ है अत: कल उन लोगों के विरुद्ध जाओ।’ ” PEPS
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17. Ye shall not H3808 need to fight H3898 in this H2063 battle : set yourselves H3320 , stand H5975 ye still , and see H7200 H853 the salvation H3444 of the LORD H3068 with H5973 you , O Judah H3063 and Jerusalem H3389 : fear H3372 not H408 , nor H408 be dismayed H2865 ; tomorrow H4279 go out H3318 against H6440 them : for the LORD H3068 will be with H5973 you.
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18. यहोशापात अति नम्रता से झुका। उसका सिर भूमि को छू रहा था और यहूदा तथा यरूशलेम में रहने वाले सभी लोग यहोवा के सामने गिर गए और उन सभी ने यहोवा की उपासना की।
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18. And Jehoshaphat H3092 bowed his head H6915 with his face H639 to the ground H776 : and all H3605 Judah H3063 and the inhabitants H3427 of Jerusalem H3389 fell H5307 before H6440 the LORD H3068 , worshiping H7812 the LORD H3068 .
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19. कहाती परिवार समूह के लेवीवंशी और कहाती लोग, इस्राएल के यहोवा परमेश्वर की स्तुति के लिये खड़े हुए। उन्होने अत्यन्त उच्च स्वर में स्तुति की। PEPS
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19. And the Levites H3881 , of the children H1121 of H4480 the Kohathites H6956 , and of H4480 the children H1121 of the Korhites H7145 , stood up H6965 to praise H1984 the LORD H3068 God H430 of Israel H3478 with a loud H1419 voice H6963 on high H4605 .
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20. यहोशापात की सेना तकोआ मरुभूमि में बहुत सवेरे गई। जब वे बढ़ना आरम्भ कर रहे थे, यहोशापात खड़ा हुआ और उसने कहा, “यहूदा और यरूशलेम के लोगों, मेरी सुनों। अपने यहोवा परमेश्वर में विश्वास रखो और तब तुम शक्ति के साथ खड़े रहोगे। यहोवा के नबियों में विश्वास रखो। तुम लोग सफल होगे!” PEPS
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20. And they rose early H7925 in the morning H1242 , and went forth H3318 into the wilderness H4057 of Tekoa H8620 : and as they went forth H3318 , Jehoshaphat H3092 stood H5975 and said H559 , Hear H8085 me , O Judah H3063 , and ye inhabitants H3427 of Jerusalem H3389 ; Believe H539 in the LORD H3068 your God H430 , so shall ye be established H539 ; believe H539 his prophets H5030 , so shall ye prosper H6743 .
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21. यहोशापात ने लोगों का सुझाव सुना। तब उसने यहोवा के लिये गायक चुने। वे गायक यहोवा की स्तुति के लिये चुने गए थे क्योंकि वह पवित्र और अद्भुत है। वे सेना के सामने कदम मिलाते हुए बढ़े और उन्होने यहोवा की स्तुति की। इन गायकों ने गाया, “परमेश्वर को धन्यवाद दो क्योंकि उसका प्रेम सदैव रहता है!” *परमेश्वर को … रहता है देखें भजन. 136
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21. And when he had consulted H3289 with H413 the people H5971 , he appointed H5975 singers H7891 unto the LORD H3068 , and that should praise H1984 the beauty H1927 of holiness H6944 , as they went out H3318 before H6440 the army H2502 , and to say H559 , Praise H3034 the LORD H3068 ; for H3588 his mercy H2617 endureth forever H5769 .
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22. ज्योंहो उन लोगों ने गाना गाकर यहोवा की स्तुति आरम्भ की, यहोवा ने अज्ञात गुप्त आक्रमण अम्मोन, मोआब और सेईर पर्वत के लोगों पर कराया। ये वे लोग थे जो यहूदा पर आक्रमण करने आए थे। वे लोग पिट गए।
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22. And when H6256 they began H2490 to sing H7440 and to praise H8416 , the LORD H3068 set H5414 ambushments H693 against H5921 the children H1121 of Ammon H5983 , Moab H4124 , and mount H2022 Seir H8165 , which were come H935 against Judah H3063 ; and they were smitten H5062 .
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23. अम्मोनी और मोआबी लोगों ने सेईर पर्वत से आये लोगों के विरुद्ध युद्ध आरम्भ किया। अम्मोनी और मोआबी लोगों ने सेईर पर्वत से आए लोगों को मार डाला और नष्ट कर दिया। जब वे सेईर के लोगों को मार चुके तो उन्होने एक दूसरे को मार डाला। PEPS
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23. For the children H1121 of Ammon H5983 and Moab H4124 stood up H5975 against H5921 the inhabitants H3427 of mount H2022 Seir H8165 , utterly to slay H2763 and destroy H8045 them : and when they had made an end H3615 of the inhabitants H3427 of Seir H8165 , every one H376 helped H5826 to destroy H4889 another H7453 .
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24. यहूदा के लोग मरुभूमि में सामना करने के बिन्दु पर आए। उन्होने शत्रु की विशाल सेना को देखा। किन्तु उन्होने केवल शवो को भूमि पर पड़े देखा। कोई व्यक्ति बचा न था।
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24. And when Judah H3063 came H935 toward H5921 the watch tower H4707 in the wilderness H4057 , they looked H6437 unto H413 the multitude H1995 , and, behold H2009 , they were dead bodies H6297 fallen H5307 to the earth H776 , and none H369 escaped H6413 .
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25. यहोशापात और उसकी सेना शवों से बहुमूल्य चीजें लेने आई। उन्हें बहुत से जानवर, धन, वस्त्र और कीमती चीज़ें मिलीं। यहोशापात और उसकी सेना ने उन्हें अपने लिये ले लिया। चीज़ें उससे अधिक थीं जितना यहोशापात और उसकी सेना ले जा सकती थी। उनको शवों से कीमती चीज़ें इकट्ठी करने में तीन दिन लगे, क्योंकि वे बहुत अधिक थीं।
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25. And when Jehoshaphat H3092 and his people H5971 came H935 to take away H962 H853 the spoil H7998 of them , they found H4672 among them in abundance H7230 both riches H7399 with the dead bodies H6297 , and precious H2530 jewels H3627 , which they stripped off H5337 for themselves , more than H369 they could carry away H4853 : and they were H1961 three H7969 days H3117 in gathering H962 H853 of the spoil H7998 , it H1931 was so much H7227 .
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26. चौथे दिन यहोशापात और उसकी सेना बराका की घाटी में मिले। उन्होने उस स्थान पर यहोवा की स्तुति की। यही कारण है कि उस स्थान का नाम आज तक “बराका की घाटी” है। PEPS
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26. And on the fourth H7243 day H3117 they assembled themselves H6950 in the valley H6010 of Berachah H1294 ; for H3588 there H8033 they blessed H1288 H853 the LORD H3068 : therefore H5921 H3651 H853 the name H8034 of the same H1931 place H4725 was called H7121 , The valley H6010 of Berachah H1294 , unto H5704 this day H3117 .
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27. तब यहोशापात यहूदा और यरूशलेम के लोगों को यरूशलेम लौटा कर ले गया। यहोवा ने उन्हें अत्यन्त प्रसन्न किया क्योंकि उनके शत्रु पराजित हो गये थे।
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27. Then they returned H7725 , every H3605 man H376 of Judah H3063 and Jerusalem H3389 , and Jehoshaphat H3092 in the forefront H7218 of them , to go again H7725 to H413 Jerusalem H3389 with joy H8057 ; for H3588 the LORD H3068 had made them to rejoice H8055 over their enemies H4480 H341 .
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28. वे यरूशलेम में वीणा सितार और तुरहियों के साथ आये और यहोवा के मन्दिर में गए। PEPS
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28. And they came H935 to Jerusalem H3389 with psalteries H5035 and harps H3658 and trumpets H2689 unto H413 the house H1004 of the LORD H3068 .
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29. सभी देशों के सारे राज्य यहोवा से भयभीत थे क्योंकि उन्होने सुना कि यहोवा इस्राएल के शत्रुओं से लड़ा।
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29. And the fear H6343 of God H430 was H1961 on H5921 all H3605 the kingdoms H4467 of those countries H776 , when they had heard H8085 that H3588 the LORD H3068 fought H3898 against H5973 the enemies H341 of Israel H3478 .
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30. यही कारण है कि यहोशापात के राज्य में शान्ति रही। यहोशापात के परमेश्वर ने उसे चारों ओर से शान्ति दी। PS
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30. So the realm H4438 of Jehoshaphat H3092 was quiet H8252 : for his God H430 gave him rest H5117 round about H4480 H5439 .
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31. {यहोशापात के शासन का अन्त} PS यहोशापात ने यहूदा देश पर शासन किया। यहोशापात ने जब शासन आरम्भ किया तो वह पैंतीस वर्ष का था। उसने पच्चीस वर्ष यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ का नाम अजूबा था। अजूबा शिल्ही की पुत्री थी।
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31. And Jehoshaphat H3092 reigned H4427 over H5921 Judah H3063 : he was thirty H7970 and five H2568 years H8141 old H1121 when he began to reign H4427 , and he reigned H4427 twenty H6242 and five H2568 years H8141 in Jerusalem H3389 . And his mother H517 's name H8034 was Azubah H5806 the daughter H1323 of Shilhi H7977 .
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32. यहोशापात सच्चे मार्ग पर अपने पिता आसा की तरह रहा। यहोशापात, आसा के मार्ग का अनुसरण करने से मुड़ा नही। यहोशापात ने यहोवा की दृष्टि में उचित किया।
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32. And he walked H1980 in the way H1870 of Asa H609 his father H1 , and departed H5493 not H3808 from H4480 it, doing H6213 that which was right H3477 in the sight H5869 of the LORD H3068 .
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33. किन्तु उच्च स्थान नही हटाये गये और लोगों ने अपना हृदय उस परमेश्वर का अनुसरण करने में नही लगाया जिसका अनुसरण उनके पूर्वज करते थे। PEPS
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33. Howbeit H389 the high places H1116 were not H3808 taken away H5493 : for as yet H5750 the people H5971 had not H3808 prepared H3559 their hearts H3824 unto the God H430 of their fathers H1 .
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34. यहोशापात ने आरम्भ से अन्त तक जो कुछ किया वह येहू की रचनाओं में लिखा है। येहू के पिता का नाम हनानी था। ये बातें इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखी हुई हैं। PEPS
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34. Now the rest H3499 of the acts H1697 of Jehoshaphat H3092 , first H7223 and last H314 , behold H2009 , they are written H3789 in the book H1697 of Jehu H3058 the son H1121 of Hanani H2607 , who H834 is mentioned H5927 in H5921 the book H5612 of the kings H4428 of Israel H3478 .
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35. कुछ समय पश्चात यहूदा के राजा यहोशापात ने इस्राएल के राजा अहज्याह के साथ सन्धि की। अहज्याह ने बुरा किया।
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35. And after H310 this H3651 did Jehoshaphat H3092 king H4428 of Judah H3063 join himself H2266 with H5973 Ahaziah H274 king H4428 of Israel H3478 , who H1931 did very wickedly H7561 H6213 :
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36. यहोशापात ने अहज्याह का साथ तर्शीश नगर में जहज जाने देने में दिया। उन्होने जहाजों को एस्योन गेबेर नगर में बनाया।
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36. And he joined H2266 himself with H5973 him to make H6213 ships H591 to go H1980 to Tarshish H8659 : and they made H6213 the ships H591 in Ezion H6100 -geber.
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37. तब एलीआजर ने यहोशापात के विरुद्ध कहा। एलीआजर के पिता का नाम दोदावाह था। एलीआजर मारेशा नगर का था। उसने कहा, “यहोशापात, तुम अहज्याह के साथ मिल गये हो, यही कारण है कि यहोवा तुम्हारे कार्य को नष्ट करेगा।” जहाज टूट गए, अत: यहोशापात और अहज्याह उन्हें तर्शीश नगर को न भेज सके। PE
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37. Then Eliezer H461 the son H1121 of Dodavah H1735 of Mareshah H4480 H4762 prophesied H5012 against H5921 Jehoshaphat H3092 , saying H559 , Because thou hast joined thyself H2266 with H5973 Ahaziah H274 , the LORD H3068 hath broken H6555 H853 thy works H4639 . And the ships H591 were broken H7665 , that they were not able H6113 H3808 to go H1980 to H413 Tarshish H8659 .
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