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1. बुरा व्यक्ति बहुत बुरा करता है जब वह स्वयं से कहता है, “मैं परमेश्वर का आदर नहीं करता और न ही डरता हूँ।”
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1. To the chief Musician H5329 , A Psalm of David H1732 the servant H5650 of the LORD H3068 . The transgression H6588 of the wicked H7563 saith H5002 within H7130 my heart H3820 , that there is no H369 fear H6343 of God H430 before H5048 his eyes H5869 .
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2. वह मनुष्य स्वयं से झूठ बोलता है। वह मनुष्य स्वयं अपने खोट को नहीं देखता। इसलिए वहक्षमा नहीं माँगता।
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2. For H3588 he flattereth H2505 H413 himself in his own eyes H5869 , until his iniquity H5771 be found H4672 to be hateful H8130 .
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3. उसके वचन बस व्यर्थ और झूठे होते हैं। वह विवेकी नहीं होता और न ही अच्छे काम सीखता है।
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3. The words H1697 of his mouth H6310 are iniquity H205 and deceit H4820 : he hath left off H2308 to be wise H7919 , and to do good H3190 .
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4. रात को वह अपने बिस्तर में कुचक्र रचता है। वह जाग कर कोई भी अच्छा काम नहीं करता। वह कुकर्म को छोड़ना नहीं चाहता।
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4. He deviseth H2803 mischief H205 upon H5921 his bed H4904 ; he setteth himself H3320 in H5921 a way H1870 that is not H3808 good H2896 ; he abhorreth H3988 not H3808 evil H7451 .
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5. हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है। हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है।
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5. Thy mercy H2617 , O LORD H3068 , is in the heavens H8064 ; and thy faithfulness H530 reacheth unto H5704 the clouds H7834 .
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6. हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है। तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है। हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है।
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6. Thy righteousness H6666 is like the great H410 mountains H2042 ; thy judgments H4941 are a great H7227 deep H8415 : O LORD H3068 , thou preservest H3467 man H120 and beast H929 .
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7. तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं। मनुष्यऔर दूत तेरे शरणागत हैं।
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7. How H4100 excellent H3368 is thy lovingkindness H2617 , O God H430 ! therefore the children H1121 of men H120 put their trust H2620 under the shadow H6738 of thy wings H3671 .
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8. हे यहोवा, तेरे मन्दिर की उत्तम बातों से वे नयी शक्ति पाते हैं। तू उन्हें अपने अद्भुत नदी के जल को पीने देता है।
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8. They shall be abundantly satisfied H7301 with the fatness H4480 H1880 of thy house H1004 ; and thou shalt make them drink H8248 of the river H5158 of thy pleasures H5730 .
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9. हे यहोवा, तुझसे जीवन का झरना फूटता है! तेरी ज्योति ही हमें प्रकाश दिखाती है।
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9. For H3588 with H5973 thee is the fountain H4726 of life H2416 : in thy light H216 shall we see H7200 light H216 .
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10. हे यहोवा, जो तुझे सच्चाई से जानते हैं, उनसे प्रेम करता रह। उन लोगों पर तू अपनी निज नेकी बरसा जो तेरे प्रति सच्चे हैं।
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10. O continue H4900 thy lovingkindness H2617 unto them that know H3045 thee ; and thy righteousness H6666 to the upright H3477 in heart H3820 .
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11. हे यहोवा, तू मुझे अभिमानियों के जाल में मत फँसने दे। दुष्ट जन मुझको कभी न पकड़ पायें।
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11. Let not H408 the foot H7272 of pride H1346 come against H935 me , and let not H408 the hand H3027 of the wicked H7563 remove H5110 me.
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12. उनके कब्रों के पत्थरो पर यह लिख दे: “दुष्ट लोग यहाँ पर गिरे हैं। वे कुचले गए। वे फिर कभी खड़े नहीं हो पायेंगे।” PE
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12. There H8033 are the workers H6466 of iniquity H205 fallen H5307 : they are cast down H1760 , and shall not H3808 be able H3201 to rise H6965 .
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